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मीडिया को बीजेपी की जीत कुछ ज्यादा ही बड़ी नजर आ रही है

आज 19 मई को आए पांच राज्यों के चुनाव नतीजे बता रहे हैं कि बीजेपी को काफी फायदा हुआ है। असम में उसकी सरकार बन गई है। मीडिया ने कांग्रेस का मरसिया पढ़ दिया है। लेकिन मीडिया अपने खेल से बाज नहीं आ रहा है। उसे बीजेपी की जीत कुछ ज्यादा ही बड़ी नजर आ रही है। हम लोग बहुत जल्द पिछला चुनाव भूल जाते हैं।...बिहार में कुछ महीने पहले जो इतिहास बना था , उसे असम के शोर में दबाने की कोशिश हो रही है। ...मीडिया वाले उस शिद्दत से केरल में कम्युनिस्टों की वापसी का शोर नहीं मचा रहे हैं। जितनी शिद्दत से वो असम केंद्रित चुनाव विश्लेषण को पेश कर रहे हैं। ... ...लेकिन क्या वाकई इसे बीजेपी की ऐतिहासिक जीत करार दिया जाए। क्या वाकई जनता ने कांग्रेस को दफन कर दिया है। लेकिन अगर इन चुनाव नतीजों की गहराई में जाकर देखा जाए तो अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कारणों से पब्लिक ने विभिन्न पार्टियों को चुना है। असम की बात पहले करते हैं। असम में लंबे अर्से से कांग्रेस की सरकार थी और तरुण गोगोई के पास कमान थी। लेकिन 10 सालों में कांग्रेस ने इस राज्य में ऐसा ठोस कुछ भी नहीं किया कि जनता उसे तीसरी बार भी मौका देती। अस

व्हील चेयर पर मां...

-यूसुफ किरमानी मेरे पास मां नहीं है। ट्वीटर पर डालने के लिए फोटो भी नहीं है। एक फोटो थी, उसे भाई या बहन ने ले लिया, तब से वापस नहीं किया। लेकिन फिर सोचता हूं कि कोई फोटो मेरी मां का वजूद तय नहीं कर सकता। क्योंकि मां के होने का एहसास हर वक्त रहता है। जिनके पास मां है...उनसे जलन होती है। काश, मेरी मां भी आज जिंदा होती...कुछ नहीं तो फलाने साहब की तरह मां की फोटो ट्वीट कर ज़माने भर की हमदर्दी पा लेता। ...लोग कहते देखों इतना बड़ा लेखक-पत्रकार और मां की फोटो ट्वीट कर रहा है बेचारा। कितना बड़ा दिल है...मां को छोटे-छोटे गमले भी दिखा रहा है। मां हमेशा अपने बच्चे के लिए ढाल का काम करती है। बच्चे पर कोई आफत आए, मां सबसे पहले उस आफत का सामना करने को तैयार रहती है। बच्चा अगर चोर या गिरहकट है तो भी उसकी मां आसानी से उसे चोर या गिरहकट मानने को तैयार नहीं होती। जब ज़माना आप पर तरह-तरह के आरोप लगाए तो एक मां ही ऐसी होती है जो आपके साथ खड़ी होती है। देश में या विदेश में या फिर किसी कंपनी में जब आपकी साख फर्जी डिग्री, फर्जी हलफनामे, फर्जी जुमलेबाजी से डूबने लगती है तो ऐसे में आप मां को आगे कर देत

रहस्यः भगवा आतंकवाद को हिंदू धर्म से कौन जोड़ रहा है

केंद्र में बीजेपी की सरकार बने हुए अब दो साल से ज्यादा हो चुके हैं। पहले दो साल तक तमाम चिंतक, स्तंभकार और लेखक इस बात पर जोर देते रहे कि इतना बहुमत मिला है तो केंद्र सरकार जरूर कुछ करेगी। हमारे जैसे लोग जो किसी भी सरकार को आलोचनात्मक नजरिए से ही देखने की कोशिश करते हैं, इस उम्मीद में रहे कि हो सकता है कि बीजेपी सरकार के तरकश में कोई तीर हो और वो भारत की तमाम बीमारियों का इलाज करने में जुट जाए। लेकिन ऐसा कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा और सब्र का पैमाना अब छलकने को है। यह बात धीरे-धीरे साफ होती जा रही है कि बीजेपी सरकार को ऐसे लोगों का समूह संचालित कर रहा है, जिनके इरादे कुछ और हैं। इस समूह ने संघ परिवार तक को प्रभावित कर रखा है। इस समूह ने जो एजेंडा सरकार बनने के वक्त तय किया था, केंद्र सरकार उसी एजेंडे पर पहले दिन से ही चल रही है। यह समूह अपने एजेंडे को लागू कराने की इतनी जल्दी में है कि उसे लगता है कि अगला मौका नहीं मिलेगा। बात की शुरुआत ताजा घटनाक्रम से करते हैं। मालेगांव ब्लास्ट में आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल पुरोहित समेत तमाम लोगों को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने क्ली

चूंकि...इसलिए...नहीं कहेंगे...

चूंकि जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और डॉ. मनमोहन सिंह जय हिंद बोलते थे....इसलिए हम जयहिंद नहीं बोलेंगे... चूंकि मामूली से लड़के कन्हैया कुमार ने नया नारा - जय जवान, जय किसान, जय संविधान ...दिया है तो इसलिए अब हम इसका भी विरोध करेंगे और इसकी जगह फर्जी राष्ट्रवाद का नया नारा ढूंढेंगे... चूंकि बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने भारतीय संविधान लिखकर तमाम परेशानियां बढ़ा दी थीं तो इसलिए उन्हें छद्म रूप से मानेंगे लेकिन उन्हें और उनके विचारों को मिटाने की कोशिश जारी रहेगी। चूंकि शास्त्री जी जय जवान-जय किसान बोलते थे ....इसलिए हम वो भी नहीं बोलेंगे...शर्म आती है न चूंकि नेहरू ने डिस्कवरी अॉफ इंडिया में आइडिया अॉफ इंडिया का जो खाका पेश किया...हम उसे सख्त नापसंद करते हैं...इसलिए हम सिर्फ बहुसंंख्यक आबादी वाले अखंड ..?.. राष्ट्र को आइडिया अॉफ इंडिया मानेंगे... चूंकि बाबा साहब ने लिखा था ...We the people of India...इसलिए हमें ये सब न कहकर कहेंगे...We the only people of India who are custodian of this (so called) Nationalism...  चूंकि भारत के गांवों

सुन रहा है न तू...

जुमलेबाजों के लिए किसानों के आंसू मायने नहीं रखते ....................................................................... कल बारिश के साथ ओले पड़े...तीन दिन पहले भी बारिश हुई थी ओले पड़े थे... मैं पिछले चार दिन से इस इंतजार में था कि कोई नेता, कोई मंत्री, कोई प्रधान चौकीदार कम से कम दो शब्द बोलकर उन किसानों के आंसू पोंछने की कोशिश करेगा, जिनके गेंहू की फसल इस अचानक बदले मौसम में बर्बाद हो गई... लेकिन कहीं कोई बयान...कहीं कोई सहायता की घोषणा नहीं हुई...इस बारिश और ओले ने छोटे किसान को तो बर्बाद कर दिया है लेकिन संजीव बालियान, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, बीरेंद्र सिंह जैसे बड़े तथाकथित किसानों को भी नुकसान पहुंचा है...लेकिन मजाल है कि किसी के मुंह से कोई लफ्ज निकला हो...मजाल है कि किसी मदद की घोषणा की गई... अब जरा अपनी आंखों के सामने दिल्ली की यमुना नदी के किनारे की कल की वो तस्वीर लाइए...गुरुजी के साथ विशालकाय मंच पर देश के प्रधान चौकीदार... सामने नर्तकियां, संगीतकार, भजन गायक....और न जाने क्या-क्या...मंच से देश को बताया जा रहा है कि ऐसे ही कार्यक्रम

देशभक्ति चौराहे पर नुमाइश की चीज नहीं

राष्ट्रप्रेम सिर्फ तिरंगा लहराने से नहीं व्यक्त होता है...यह दिल से महसूस करने की चीज होती है... देशभक्ति की नुमाइश चौराहों पर नहीं की जाती...सियाचिन के बर्फीले पहाड़ों में की जाती है... जुमलेबाजी राजनीतिक सभाओं में शोभा देती है...जनता से मजाक करने के लिए नहीं की जाती... और आज जो खबरों में है... बीजेपी आईटी सेल की नींव रखने वाले एक्सपर्ट प्रद्युत बोरा ने BJP को नमस्ते कह दिया है...और जाते-जाते प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के काम करने के तरीके पर सवाल भी उठाया है...उनका कहना है कि पागलपन ने पार्टी को जकड़ लिया है... मित्रों...देशभक्तों...इससे सख्त टिप्पणी तो अभी तक बीजेपी के खिलाफ विपक्ष तक ने नहीं की है। किसी ने पागलपन शब्द का इस्तेमाल बीजेपी के लिए नहीं किया है... हम आईटी एक्सपर्ट को उनके इस शब्द के लिए शाबाशी नहीं दे रहे हैं...क्योंकि जब उन्होंने इस पार्टी को ज्वाइन किया था, तभी हमें लगा था कि इतना जीनियस आदमी भला इस पार्टी में कैसे रहेगा...लेकिन वह दिल की बात दिल में रही...लेकिन बोरा का दर्द बाहर आ गया। इससे पहले प्रशांत किशोर ने भी मोदी का साथ

राष्ट्रभक्ति क्या है...क्या सारा ठेका सिर्फ सिर्फ एक पार्टी के पास है ?

देशभक्ति के नाम पर देश में अराजकता का माहौल बनाया जा रहा है...जेएनयू जल रहा है...वहां के स्टूडेंट्स को देशद्रोही बताया जा रहा है...यहां तक कि कुछ पत्रकारों ने इस प्रचार युद्ध को संभाल लिया है कि जो देश की सत्तारुढ़ पार्टी के खिलाफ है, वह देशद्रोही है। प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू होने से पहले बीजेपी के नेता पूछते हैं कि आप भारत माता के साथ हो या जेएनयू वालों के साथ...कितनी शर्मनाक स्थिति है। दरअसल राष्ट्रभक्ति क्या है...इस पर मैं कई दिनों से विचार कर रहा था। बार-बार दिमाग में कन्हैया कुमार का चेहरा घूमता रहा, जिसे देशद्रोह के नाम पर जेल में बंद कर दिया गया। देश के बहुत बड़े कानूनविद और पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी जो अटल बिहारी वाजपेयी के समय एजी थे, उन्होंने आज कहा कि जिस देशद्रोह के आरोप कन्हैया कुमार को बंद कर दिया है, वह कोई आरोप नहीं है। सोराबजी अपने स्पष्ट विचारों के लिए उस वक्त भी जाना जाता था। उनका बयान आप आज के इंडियन एक्सप्रेस में पढ़ सकते हैं। इसके बाद मुझे सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार की फेसबुक वॉल पर जाने का मौका मिला तो वहां उन्होंने एक कहानी के जरिए राष्ट्रभक्ति के