पैसे और अपार मीडिया कवरेज ने भारतीय खिलाड़ियों को आत्ममुग्ध कर दिया है। इन लोगों को जंतर मंतर पर बैठी 7 भारतीय महिला पहलवानों का संघर्ष फर्जी लग रहा है। पीटी ऊषा जिन्हें भारत में उड़न परी का ख़िताब मिला, उन्हें भी महिला पहलवानों की बातों पर यक़ीन नहीं है। भारत में जब कोई महिला यौन शोषण का आरोप लगाती है, तो उससे पहले वो उसके नतीजों पर विचार करती है। क्या आपको लगता है कि महिला पहलवानों ने भाजपा के बाहुबली सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का आरोप बिना सोचे समझे लगा दिया। वो भी तब जब उनकी सरकार हो, उनका बोलबाला हो। मुझे आशंका है कि पीटी ऊषा के सरकार समर्थक बयान आने के बाद इन महिला पहलवानों में से कोई आत्महत्या न कर ले। वैसे भी इस देश में शीर्ष लोग जब किसी की आत्महत्या पर चुटकुले बनाने लगें तो अब खिलाड़ी तो क्या किसी पकौड़े तलने वाले की ख़ुदकुशी पर कोई पत्ता भी नहीं हिलेगा। ये सचिन, ये विराट कोहली...समेत असंख्य भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी जिन्होंने करोड़ों रूपये भारत की जनता के जुनून के दम पर कमाए हैं, इनकी औक़ात नहीं है कि ये सरकार के ख़िलाफ़ बोल सकें। ये लोग उन महान फ़ुटबॉलर मेसी, रोनाल
टिप्पणियाँ
regards
bhai sahab apka blog lock kyon kiya gaya tha jo kholne ke baad unhen mafi bhi mangni padi.