धर्म किसका है


अगर इधर आपने अखबारों को गौर से पढ़ा होगा तो यकीनन कुछ सुर्खियां आपकी नजरों से गुजरी होंगी, हालांकि वे बड़ी खबरें नहीं थीं लेकिन कुछ अखबारों में उनको जगह मिली। क्या थी वें खबरें - बिहार में एक मंदिर में प्रसाद चढ़ाने की कोशिश करने वाले एक दलित की हत्या कर दी गई। कई लोग घायल हो गए।
आंध्र प्रदेश का अदिलाबाद इलाका भयानक सांप्रदायिक हिंसा (communal violence) से झुलस रहा है। यहां दो दिनों में 15 लोगों को जिंदा जला दिया गया। मरने वाले सभी लोग मुसलमान थे। इसमें सबसे लोमहर्षक कांड जो हुआ है वह है एक ही परिवार के नौ लोगों को जिंदा जलाने का मामला। ये सारी घटनाएं दुर्गा पूजा से जुड़ी हुई हैं। बिहार की घटना नालंदा जिले में हुई। वही नालंदा जहां कभी ज्ञान की गंगा बहती थी और दुनिया को रास्ता दिखाने वाले विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी। वहां के एक मंदिर में प्रसाद चढ़ाने वालों की लाइन लगी हुई थी। लाइन में दलित लोग भी लगे हुए थे। लेकिन उनका नंबर नहीं आ रहा था। लाइन में लगे कारू पासवान ने इस पर पुजारी से आपत्ति दर्ज कराई और कहा कि हमने भी मंदिर में चंदा दिया है। पुजारी ने उसे धमकाया कि पहला हक सवर्णो का प्रसाद चढ़ाने का है। अन्य दलितों ने इस पर घोर आपत्ति जताई। इतने में वहा मौजूद रतन सिंह नामक व्यक्ति ने गोलियां चलानी शुरू कर दीं। इस गोलीबारी में कारू पासवान मारा गया और कई दलित घायल हो गए। अंततः दलित अपनी देवी दुर्गा को वहां प्रसाद न चढ़ा सके। नालंदा के एसपी विनीत विनायक का कहना है कि रतन सिंह फिलहाल फरार है। रतन का संबंध कथित तौर पर एक भगवा पार्टी से बताया जाता है। किसी अखबार में इस घटना का फॉलोअप नहीं आया कि वहां आगे क्या हालात हैं और रतन सिंह अब भी फरार है या पकड़ा गया।

आंध्र प्रदेश की घटना भी दुर्गा पूजा के आसपास हुई और एक खास इलाके में अब तक सांप्रदायिक हिंसा जारी है। सबसे ज्यादा दिल दहलाने वाली घटना एक दिन पहले बैंसा कस्बे में हुई जिसमें एक ही परिवार के नौ लोगों को मिट्टी का तेल छिड़ककर जिंदा जला दिया गया। मरने वालों में महिलाएं और बच्चे भी है। प्रशासन का कहना है कि इस घटना के लिए एक भगवाधारी संगठन जिम्मेदार है। बैंसा में यह घटना ठीक उसी तरह की है कि जब उड़ीसा में कई साल पहले एक ईसाई मिशनरी (christian missioneries) ग्राहम स्टेंस को उनके दो छोटे बच्चों के साथ एक वाहन में जिंदा जला जला दिया गया था। उस घटना का दोषी उस भगवाधारी संगठन का नेता अब जेल में उम्रकैद काट रहा है। यहां हम आंघ्र प्रदेश में घटी घटनाओं को एक तरफ रख दें और सिर्फ बिहार में घटी घटना पर ही बात करें तो यह ट्रेंड में हमें किस तरफ इशारा करता है। क्या हम लोग धीरे-धीरे उस तरफ बढ़ रहे हैं जब धर्म को संचालित करने वाले लोग राजनीतिक पार्टियों या उनके बनाए फ्रंटल संगठनों के होंगे। यानी बीजेपी या प्रवीण तोगड़िया जैसे नेता जैसा कहेंगे वैसा ही धर्म हर हिंदू को मानना पड़ेगा या मुस्लिम लीग अथवा तालिबान जैसा कहेंगे वैसा ही धर्म मुसलमानों को मानना पड़ेगा।
मेरे इस लिखने का मकसद यह बिल्कुल नहीं है कि मैं यहां कोई दलित अथवा मुस्लिम चेतना जगाने की कोशिश कर रहा हूं। मैं यह सवाल हर उस इंसान से पूछना चाहता हूं कि धर्म का संचालन क्या राजनीतिक दल या उनके बड़बोले नेताओं को करने दिया जाए। आप मुसलमानों से तो उम्मीद करते हैं कि वे बुखारी जैसे मौलानाओं को हाशिए पर भेज दें फिर बाकी नेताओं को हाशिए पर भेजने की अपील क्यों नहीं की जाती। यह पहल तो उसी बहुसंख्यक समाज को करनी होगी जो इस तरह का वातावरण बनते देखना चाहता है। आखिर अगर कोई दलित मंदिर में प्रसाद चढ़ाना चाहता है तो आप उसे क्यों रोकना चाहते हैं। क्या यही आपकी धार्मिक सहिष्णुता (religious tolrance) है?

टिप्पणियाँ

kirmani ji, hinsa sabhi ki buri hai, hatyayen dharm ke naam par karna aur buri baat hai, lekin ek-tarfa soch nahi apnani chahiye, rahi baat nav-bharat times ho ya koi aur bada naam, kisi bade naam se judne se soch bhi badi hogi yah laazmi to nahi
Shuaib ने कहा…
धर्म नहीं सिखाता आपस मे नफ़रत करना मगर धर्म अपनाने के बाद ख़ुदबख़ुद एकदूसरे के धर्म केलिए नफरत जाग उठती है।

http://shuaib.in/chittha
मैं युसूफ जी बात से पुरी तरह सहमत हूँ, हिन्दुओं के धर्म परवर्तन की सबसे बड़ी वजह यही है क्यूंकि जब एक शहर में किसी को इज्ज़त नही मिलती तो आदमी उस शहर को छोड़ देता है, यही उडीसा के हिन्दुओं ने किया है, अब भगवा ब्रिगेड उसकी भड़ास निकाल रही है........
Aruna Kapoor ने कहा…
Dharm ka matalab hi ab tak logon ki samaz mein nahi aayaa hai!... apane aap ko sirf hindu yaa muslimkehane bhar se dharm ke prati ka aapaka farj pura nahi ho jaata...

Dharm mein varnit shiksha ka bhi jivan mein prayog karana jaruri hai!...bahut satik baat kahi hai aapane!...dhanyawad!
नटखट बच्चा ने कहा…
बहुसंख्यक समाज के ८० प्रतिशत लोग इस तरह की घट्नायो की निंदा करते है ,ओर उनके लिए बजरंग दल गूंडे सरीखे ही है पर दुखद बात ये है की मुस्लिम समाज का चाहे पढ़ा लिखा इंसान हो या अनपढ़ सब के सब की सोच एक सी ही है .चाहे वो एम् जे अकबर हो या जामिया मिलिया का कुलपति या बुखारी सबकी सोच एक ही है .हम कहते है बजरंग दल गूंडा है आप कहेगे सिमी को ?
उडीसा के बारे में आप कितना जानते है ?क्या आपको मालूम है की वहां की लडाई का मूल कारन दो जनजातियों की आपसी लडाई है .एक आदिवासी वर्ग की दूसरे आदिवासी वर्ग से मूल कारण आर्थिक भी है ?कभी पढ़ा है आपने ?अपनी जानकारी बढ़ाने के लिए तीन दिन पहले का दैनिक जागरण पढ़ ले .

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