पर्यावरण की चिंता के साथ दीपावली मुबारक

इस दिवाली पर ब्लॉग एक्शन डे वालों ने इस दिन को पता नहीं जानबूझकर या अनजाने में पर्यावरण (Enviornment) से जोड़ दिया है। यानी इन दो दिनों में हम लोग पर्यावरण को लेकर संकल्प लें। यह संदेश इतने जोर-शोर से पहुंचाना है कि इस सिलसिले में दुनिया के तमाम देशों की जो बैठक हो रही है, उसमें ब्लॉगर्स (Bloggers) का भी एक प्रेशर ग्रुप (Pressure Group) मौजूद रहे। आप मेरे ब्लॉग की दाईं तरफ ऊपर की ओर जो चीज देख रहे हैं वही ब्लॉग एक्शन डे (Blog Action Day) का निशान और लिंक है। मैं और मेरे जैसे तमाम लोग इस महती कार्य में शामिल हैं लेकिन मैंने जानबूझकर भाषा के रूप में हिंदी का चयन किया, हालांकि वहां अंग्रेजी वालों का बोलबाला है।

बहरहाल, यह तो हुई उनकी कहानी लेकिन इस दिवाली पर मैं महसूस कर रहा हूं कि लोग काफी जागरुक हो गए हैं या कहिए महंगाई और मंदी (Recession) का भी असर है कि तीन दिन पहले पटाखे फोड़ने के नाम पर होने वाला शोरशराबा इस बार नहीं के बराबर है। लेकिन हम लोगों का यह त्योहार रोशनी, संपन्नता का है तो बिना पटाखे फोड़े बिना मनाने की सलाह मैं नहीं देने वाला। यह तमाम पूंजीवादी देशों (Capitalist Countries) का रोना-पीटना है जो पर्यावरण रक्षा के नाम पर गरीब देशों को यह न करो-वह न करो कि जबरन सलाह देते रहते हैं। अब यह लगभग साबित हो चुका है कि दुनिया के तमाम देश और खासकर विकसित (पूंजीवादी भी कह सकते हैं) देश जानलेवा गैसों के उत्सर्जन (यानी पैदा करने में) में सबसे आगे हैं लेकिन वे अपने लिए न तो कोई नियम बना रहे हैं और न ही किसी बात का पालन कर रहे हैं। इन सब की अगुआई अमेरिका (US) कर रहा है।

इसलिए दीपावली की हार्दिक बधाई देते हुए तमाम सरोकारों को मद्देनजर रखते हुए ही हम लोगों को यह त्यौहार मनाना है।

एक खास सूचना यह भी है कि आपके इस ब्लॉग हिंदी वाणी को एक साल पूरा हो गया है और जो लोग हमारे कारवां में देश-विदेश से जुड़े हैं, मैं उनका तहेदिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। आशा है कि स्नेह बना रहेगा। हालांकि एक साल पूरा होने पर मैं तमाम लफ्फाजी भरी बातें यहां लिख सकता था लेकिन यह कोई इतनी बड़ी घटना नहीं है कि इसके लिए आपका समय नष्ट किया जाए। सो दीपावली की पावन बेला और इस ब्लॉग के एक साल पूरा करने पर हार्दिक मुबारकबाद पेश करता हूं। आइए एक दीया जलाएं...हम सभी में फैले अंधकार को दूर भगाने के लिए....

टिप्पणियाँ

शरद कोकास ने कहा…
यह ज़िद की बात नहीं है लेकिन आप पटाखों के शोर में और धुएँ में खुश रह सकते हैं तो कोई बात नहीं । सभी लोग पटाखे जलाते हैं .. बुज़ुर्ग बेचारे कहते रहते है बेटा मुझे अस्थमा की तकलीफ है, कोई कहता है बेटा हार्ट की प्रॉब्लम है ज़रा धीरे , और मुझे तो पता नहीं क्यो सिवाकासी के पटाखा कारखानों मे काम करने वाले उन मासूम बच्चों का चेहरा याद आ जाता है । फिर भी क्या करें दिवाली तो मनाना ही है और बगैर पटाखों के दिवाली कैसी ?
Minoo Bhagia ने कहा…
aap sabhi ko deepawali ki hardik shubhkaamnayein !
yuva ने कहा…
Chinta bilkul jaayaj hai. Par Shivkaashee ke majdooron kee bhee chintaa saath men karna chaahiye.
Dr. Amar Jyoti ने कहा…
विकसित देशों द्वारा पर्यावरण की उपेक्षा वाली आपकी बात से तो सहमति है। परन्तु मात्र इसी कारण अरबों रुपये की आतिशबाज़ी जलाकर पर्यावरण को और अधिक प्रदूषित करने में कौन सी बुद्धिमानी है? इसी धन से देश के बाल-श्रमिकों का जीवन सँवारा जा सकता है।
Dr. Amar Jyoti ने कहा…
और हां!'हिन्दी वाणी' की सालगिरह मुबारक।

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