सोशल मीडिया का अनसोशल खेल
जिस सोशल मीडिया (Social Media) की बदौलत सरकारें गिराने और बदलने के दावे कल तक किए
जा रहे थे, वो दावे अब खाक होते नजर आ रहे हैं। सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म की लगभग
सारी साइटों को चूंकि बिजनेस करना है, इसलिए उन्हें अलग-अलग देशों में वहां की
सरकार के सामने घुटने टेकने पड़ रहे हैं। हाल ही में फेसबुक (Facebook) और ट्विटर ने अपनी
साइट से 70 फीसदी ऐसा कंटेंट हटाया है जो इस्राइल के खिलाफ फलस्तीन के संघर्ष को
बताता है। इस्राइल (Twitter) की कानून मंत्री आयलेट शाकेड ने वहां की संसद में हाल ही में
घोषणा की कि आखिरकार हम अपने मकसद में कामयाब हो गए। फेसबुक और ट्विटर 70 फीसदी
फलस्तीनी कंटेंट हटाने को राजी हो गए हैं।
उन्होंने
संसद में जो लाइन पढ़ी, उसमें कहा इस्राइल
को फेसबुक, ट्विटर और गूगल (Google) से काफी सहयोग मिला है और हमें ये कहते हुए खुशी हो रही
है कि तमाम सोशल मीडिया साइटों से इस्राइल विरोधी लाखों पोस्ट, अकाउंट, विडियो हटा
दिए गए हैं। आयलेट की घोषणा से पहले ये आऱोप लगते रहे हैं कि फेसबुक, ट्विटर के
अलावा गूगल पर इस बात का दबाव है कि वो अपने-अपने प्लैटफॉर्म औऱ सर्च इंजन (Search Engine) से उस
कंटेंट को हटाए जिनसे लोगों को फलस्तीनी संघर्ष को लेकर सहानुभूति न पैदा हो।
ज्यादातर कंटेंट का संबंध इस्राइली सेना का फलस्तीनियों पर किए जा रहे जुल्म से
संबंध था। फलस्तीनी बच्चों की बेरहमी से पिटाई, उनको गोली मारने जैसे विडियो सोशल
मीडिया पर उपलब्ध थे। हालांकि फेसबुक, ट्विटर बीच-बीच में घोषणा करते रहे कि वे
किसी भी सरकार के आगे नहीं झुकते हैं। लेकिन इस्राइली कानून मंत्री की घोषणा का
खंडन अभी तक इन साइटों ने नहीं किया है।
इस घटनाक्रम से पहले इस्राइल ने सैकड़ों की
तादाद में ऐसे फलस्तीनियों की गिरफ्तारी की, जिनका फेसबुक या ट्विटर अकाउंट था। ये
लोग इस्राइली कब्जे वाले फलस्तीनी इलाके में रहते हैं। बेथलहम जिले में इस्राइली
कब्जे वाले वेस्ट बैंक की माजिद यूसिफ अटवन (22) को उसके फेसबुक पोस्टों की वजह से
45 दिन जेल की सजा सुनाई गई और 794 यूएस डॉलर का जुर्माना लगाया गया। अटवन को 19
अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। अटवन मूलतः स्वतंत्र फोटोग्राफर हैं और उन्हें
फोटो खींचने के दौरान इस्राइली सेना की जो बेरहम नजर आती थी, वे बहुत आसानी से
उसको फेसबुक पर बयान कर देती थीं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक इस्राइल ने
सैकड़ों की तादाद में इंटरनेट (Internet) मॉनिटर करने वाले कर्मचारियों को रखा हुआ है जो इस
तरह की सूचनाएं जमा करते हैं या उसे काउंटर करते हैं। फेसबुक, ट्विटर, गूगल ने
बिना किसी पड़ताल के इन्हीं कर्मचारियों की सूचना पर ऐसे सारे कंटेंट हटाए।
फलस्तीन के स्वतंत्र फोटो जनर्लिस्ट निहाद तवील का फेसबुक अकाउंट देखेंगे तो
पाएंगे कि उनके फेसबुक अकाउंट से काफी तस्वीरें गायब हो गई हैं। देश-विदेश के तमाम
पत्रकार निहाद की फेसबुक वॉल पर जाकर उन तस्वीरों के माध्यम से फलस्तीन की असली
तस्वीर देखते थे। हम उस फलस्तीन को जान लेते थे जिसे पश्चिमी मीडिया इस्राइल के
प्रभाव में दुनिया को बताना नहीं चाहता। लेकिन अब सोशल मीडिया का प्लैटफॉर्म भी
कुंद कर दिया गया है।
फेसबुक, ट्विटर सिर्फ इस्राइल के ही
दबाव में नहीं आए हैं। वे भारत में भी अक्सर दबाव में आ जाते हैं।
स्क्रिट राइटर. प्रोड्यूर और स्टैंडअप कॉमिडियन तन्यमय भट का लता
मंगेशकर का मजाक उड़ाने वाला विडियो जब एआईबी ने मई में जारी किया तो मुंबई पुलिस
ने फेसबुक, गूगल और यूट्यूब से आग्रह किया कि इस विडियो को हटा दिया जाए। इससे
करोड़ों भारतीयों की भावनाएं आहत हो रही हैं। यह तो पता नहीं कि फेसबुक, गूगल और
यूट्यूब ने इस पर क्या स्टैंड लिया लेकिन वो विडियो गायब हो गया। पता नहीं इसे
फेसबुक और यूट्यूब ने खुद हटाया या फिर एआईबी ने हटाया लेकिन इस पर फेसबुक ने कभी
जबान नहीं खोली।
पिछली कांग्रेस सरकार के समय जब तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन
सिंह औऱ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के फोटोशॉप से बनाए गए चित्र, विडियो और
कॉर्टून फेसबुक पर ज्यादा आए, उस वक्त भी भारत सरकार ने फेसबुक से शिकायत की थी।
उसके बाद उनमें कमी आ गई थी। उस वक्त मौजूदा बीजेपी विपक्ष में थी और उसने सोशल
मीडिया का इस्तेमाल बहुत बेहतर ढंग से किया था। आज भी यह कहा जाता है कि बीजेपी की
जीत में सोशल मीडिया की बड़ी भूमिका रही है। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र
मोदी अमेरिका यात्रा के दौरान सिलकॉन वैली में फेसबुक के मुख्यालय भी जा पहुंचे
थे। यह मुलाकात तो एक बहाना थी, फेसबुक ने नेट न्यूट्रिलिटी का अभियान छेड़ा हुआ
था। भारत में लोग मान चुके थे कि फेसबुक अपने मकसद में कामयाब हो जाएगा लेकिन भारत
में इस अभियान के विरोध में चले अभियान के बाद फेसबुक को झुकना पड़ा।
खतरे और भी हैं
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अगर भारत में विदेशी सोशल मीडिया के जवाब में यहां का सोशल मीडिया खड़ा करने
की कोशिश होगी, तो भी उसकी वो धार नहीं रहेगी जो फेसबुक, ट्विटर और दूसरे साइट्स
की हैं। सर्च इंजन की ताकत गूगल, माइक्रोसाफ्ट और याहू के पास है। अगर आपकी साइट
इन तीनों सर्च इंजन में नहीं है को आप कहीं नहीं हैं। आप चाहे जितनी टॉप क्लास
साइट बना लें। कुल मिलाकर सोशल मीडिया के गेम बड़े खिलाड़ी खेलेंगे। इसमें कभी
समझौते होंगे तो कभी धमकी भी दी जाएगी। आप फेसबुक, ट्विटर पर कुछ भी पोस्ट करके
भले ही मुगालता पाले रहें।
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