पीएनबी महाघोटाला : जेटली तो बोले...अब मोदी की बारी
देश में इतना बड़ा पीएनबी घोटाला हो गया। दो लोग चुप रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरूण जेटली कुछ नहीं बोले। लेकिन अब इनमें से एक बोल पड़ा है। हो सकता है कि मोदी आज बोलें। वह आज लखनऊ में होने जा रही इन्वेस्टर्स समिट में बोल सकते हैं। मोदी का भाषण आज ग़ौर से सुना जाना चाहिए।...क्योंकि आज वहाँ देश के कई बड़े उद्योगपतियों के आने की उम्मीद है।
लेकिन वित्त मंत्री अरूण जेटली इस मुद्दे पर बोल उठे हैं और जेटली का बयान सरकार के घुटने टेकने का सबूत है...
वित्त मंत्री कल शाम को प्रकट हुए और पीएनबी महाघोटाले पर बयान जारी किया । जिसमें उन्होंने पूरे बैंकिंग मैनेजमेंट और ऑडिटर्स पर ज़िम्मेदारी डालते हुए सिस्टम फ़ेल होने को ज़िम्मेदार बता डाला। जेटली ने कांग्रेस या पिछली सरकार पर इस घोटाले की ज़िम्मेदारी नहीं डाली। जिसकी कोशिश कई दिनों से उनके साथी मंत्री कर रहे थे।
जेटली के बयान के बाद आरबीआई का बयान आया कि वह तो 2016 से अब तक तीन बार बैंकों को इस बारे में चेतावनी दे चुका था।
यह दोनों बयान भारत सरकार के घुटने टेकने का सबसे बड़ा सबूत है। उर्जित पटेल यानी अंबानी जी के रिश्तेदार 2016 से आरबीआई गवर्नर हैं। उर्जित को इस पद पर किसने बैठाया था। पीएनबी और दूसरे बैंकों में इतने बड़े ट्रांजैक्शन हो रहे थे तो क्या आप लोग यानी जेटली जी और पटेल जी वहाँ झख मार रहे थे...सरकारी बैंकों के सुपरविजन के लिए कौन ज़िम्मेदार है।
कह दो कि यह झूठ है कि बैंकों के बड़े ट्रांजैक्शन की सूचना वित्त मंत्रालय और आरबीआई के पास नहीं जाती है...
वित्त मंत्रालय के उस बाबू का नाम बताओ जिसके पास यह सूचना जाती थी...जेटली के बयान के बाद मंत्रालय और आरबीआई के कुछ अफ़सरों पर इस मामले में गाज गिरेगी। लेकिन जब मेहुल हमारा भाई है तो अकेले किसी मंत्रालय के बाबू या आरबीआई के सिर्फ़ अफ़सर कैसे दोषी हुए।...
...मामला यहीं फँस रहा है। मंत्रालय के बाबू जब देख रहे हैं कि पीएम के प्रोग्राम में मेहुल भाई समेत कई दलालों को आने के लिए निमंत्रणपत्र व वीआईपी पास जारी किए गए हैं तो उनकी क्या मजाल कि वह उसे किसी काम के लिए मना कर दें। जो पत्रकार मंत्रालय कवर करते हैं उन्हें पता होगा कि हर मंत्री के दफ़्तर के बाहर दो चार ऐसे लोग दिखाई देते हैं जो मंत्री के बहुत ख़ास होते है और वही लोग मंत्री के लिए दलाली भी करते हैं। यह मेहुल भाई वही दलाल था जिससे पूरा वित्त मंत्रालय डरता था। गुजरात के तमाम व्यापारियों के काम यही मेहुल भाई ही तो कराता था।
तो सवाल यह है कि मेहुल भाई को सत्ता के गलियारे का रास्ता किसने दिखाया...इस घोटाले पर जब कभी कोई बाबू या नेता सा पत्रकार किताब लिखेगा तो शायद बताए कि मेहुल को दिल्ली में सत्ता के गलियारे किसने दिखाए। बहरहाल, जेटली और आरबीआई के बयान के बाद सरकार ने सारे मामले में घुटने टेक दिए हैं.....
टिप्पणियाँ
कोई भी उम्मीद नहीं, इन बस्ती के सरदारों से !
किसने कहा ज़मीर न बिकते, दुनियां में खुद्दारों के
सबसे पहले बिका भरोसा,शिकवा नहीं बज़ारों से !