एग्जिट पोल और Artificial Intelligence managed Media

आज आख़िरी दौर के वोट डाले जा रहे हैं।...शाम को गोदी मीडिया पर एक्ज़िट पोल यानि कौन सरकार बनाएगा की भविष्यवाणी आने लगेगी...ज़ाहिर है कि ये सारे के सारे एक्ज़िट पोल अमित शाह द्वारा मैनेज कराये गए एग्जिट पोल हैं...इसलिए इनको गंभीरता से लेने की ज़रूरत नहीं है। 

अगर आप रोज़ेदार हैं तो आराम से रोज़ा खोलिए। दुआ माँगिए और कुरानशरीफ की तिलावत कीजिए।...कोई भी शैतानी ताक़त आपके ईमान को हराने की ताक़त नहीं रखती। शैतानी ताक़तों ने अपनी पराजय पहले ही स्वीकार कर ली है। 

अगर आप रोज़ेदार नहीं हैं तो आपको भी एग्जिट पोल को दिल पर लेने की ज़रूरत नहीं है। आराम से टीवी के सामने कुछ जूस, नारियल पानी, चाय-पकौड़े वग़ैरह लेकर बैठिए और टीवी एंकरों द्वारा बोली जा रही भाषा पर ध्यान दीजिए। ...और फिर 23 मई को चुनाव नतीजों से इसका मिलान कीजिए। आपको समझ आ जाएगा कि आपसे किस क़दर झूठ बोला गया। 

कुछ बातें आपके काम की और भविष्य के पत्रकारों के लिए
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भारतीय मीडिया अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (Artificial  Intelligence managed Media =AIM) का शिकार हो चुका है जो पहले से तय लक्ष्यों के लिए तैयार की गई भाषा का इस्तेमाल करता है। इसीलिए इसका नाम ही बनावटी बुद्धिमत्ता नियंत्रित मीडिया है। जहाँ आपके दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया जाता बल्कि किसी और के दिमाग से इस्तेमाल से तैयार कंटेंट को आगे बढ़ाया जाता है। डिजिटल कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम के लिए AIM को तैयार किया गया है। बनावटी संवेदनाएँ यानी इमोशन बनाने, पैदा करने और उसे तय मक़सद के लिए भुनाने की क्षमता भी AIM के पास है। आने वाले समय पर इस पर मेरा लिखना जारी रहेगा।

हाल ही में मोदी के लिए इस्तेमाल सबसे लोकप्रिय शब्द चीफ़ डिवाइडर ऑफ़ इंडिया जैसे शब्द यहाँ अब लिखना मुश्किल होगा। 

मॉस कम्यूनिकेशन यानी पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे मेरे युवा साथी इस शब्द AIM को नोट करके रख लें। उनके लिए काम की चीज़ है और आज पहली बार मैं इसके बारे में लिख रहा हूँ। क्योंकि अब वो जिस मीडिया में नौकरी करेंगे उन्हें इसका सामना करना पड़ेगा। जिस प्रोफ़ेशन में वो घुसने जा रहे हैं उन्हें AIM नियंत्रित कंटेंट को लिखना या बताना होगा। रोज़ाना दफ़्तर में घुसने से पहले अपने संवेदनाओं की हत्या करके उसे पैरों तले मसल कर अंदर क़दम रखिएगा।




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