मसूद अज़हर के बाद आगे क्या...

अंग्रेज़ी का शब्द हाइप बहुत लाजवाब शब्द है। हाइप यानि किसी चीज़ को इतना बढ़ा चढ़ाकर पेश करना कि लोग उस चीज़ के, उस शब्द के निगेटिव (नकारात्मक) या पॉज़िटिव (सकारात्मक) ढंग से दीवाने हो जायें।

पश्चिम की मीडिया और उनके नेताओं को यह खेल आता है। भारत में किस पार्टी को इसमें निपुणता मिली है, उसका अंदाज़ा आपको अब हो रहा होगा।...

चुनाव शुरू होते ही उस आतंकी यानी मसूद अज़हर के नाम से हाइप वाली ख़बरें आने लगीं जिसे भाजपा की पिछली सरकार यानी अटल सरकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में कंधार छोड़कर आई थी। ...भोले भारतीय भूल गये इस घटना को। 

भारतीय मीडिया और भाजपा नेताओं ने यह नाम इस हद तक जपा कि हम जनता के लोगों को ऐसा लगा कि अगर यह मसूद अज़हर नामक आतंकी अगर ज़िंदा या मुर्दा मिल जाये तो भारत में आतंकवाद खत्म हो जाएगा। 

हम भारत सरकार के साथ हाइप खड़ा करने में जी जान से जुट गये...हमारी हर समस्या का निदान मसूद अज़हर हो गया...

रोज़गार नहीं मिल रहा, बस मसूद अज़हर के ग्लोबल आतंकी घोषित होते ही रोज़गार मिलने लगेगा...किसानों को फसल का वाजिब मूल्य नहीं मिल रहा, कोई बात नहीं, मसूद अज़हर जैसे ग्लोबल आतंकी घोषित हुआ वैसे ही किसान मालामाल हो जायेंगे। नीरव मोदी-मेहुल चौकसी भी लौट आयेंगे सारा लूटा हुआ पैसा लेकर और कहेंगे - ये लो मसूद अज़हर पर इतना पैसा हम न्यौछावर कर रहे हैं।

...ख़ैर अब तो हमारी बहुत बड़ी जीत साबित हुई बताई जा रही है कि मसूद अज़हर को आख़िरकार भारत के दबाव में उसे ग्लोबल आतंकी घोषित कर दिया गया। मीडिया मोदी जी पर क़ुर्बान हो गई। मोदी जी की वजह से यह कामयाबी मिली। ...



हमारे पड़ोसी इतने ख़ुश हुए कि कहने लगे अब भारत में आतंकवाद खत्म हो जायेगा। हमारे सैनिकों पर हमले नहीं होंगे। उन्हें शहादत नहीं देनी पड़ेगी। मैंने उनकी ख़ुशी को काफ़ूर नहीं करना चाहा यह बताकर कि अभी अभी गढ़ चिरौली (महाराष्ट्र) में 15 शहीद हो गये। ...लेकिन मैंने उनको बताया कि जिस यूएन प्रस्ताव के तहत उसे बैन किया गया, उसमें पुलवामा अटैक का ज़िक्र नहीं है। वह बरस पड़े। बोले- आप पत्रकार लोगों में यही कमी है। चीज़ों को समग्रता में नहीं देखते। अरे उसे टटोल आतंकवाद के लिए बैन किया गया है। पुलवामा भी उसमें शामिल है। मैंने कहा- सारा प्रस्ताव अब सार्वजनिक है। अशार पढ़ लो। वह ग़ुस्सा निकालते और पैर पटकते चले गये।

थोड़ी देर बाद फिर लौटे। पूछा- आपका फलाने मंत्रालय में कुछ जुगाड़ है या यूँ ही पत्रकार बने फिरते हो। मैंने कहा- सेवा तो बताइये। उन्होंने कहा- हमारे छोटे का इंटरव्यू है। अगर मंत्री कह देगा तो काम बन जायेगा। मैंने कहा- अब किसी से नौकरी के लिए कहना ही नहीं पड़ेगा। वह बोले- कैसे? मैंने कहा- बस मसूद अज़हर ग्लोबल आतंकी बन गया है। मोदी जी पहली फ़ुर्सत में नौकरियाँ देंगे। उन्होंने मुझे घूरा और यह कहते हुए उठ खड़े हुए कि आप मुद्दे से भटका रहे हैं।

सचमुच यक़ीन मानिये....हम एक दूसरे को मुद्दे से भटका रहे हैं। क्या अमेरिका पोषित ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद आतंकवाद खत्म हुआ, क्या इस्राइल पोषित जहन्नुमी अबू बकर बगदादी के पैर उखड़ने या मारे जाने के बाद आतंकवाद खत्म हुआ, पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई पोषित हाफिज सईद तो मुंबई टेरर अटैक के बाद ग्लोबल आतंकी घोषित किया जा चुका है, क्या उसके बाद हाफिज सईद या उसके आतंकी नेटवर्क का ख़ात्मा हो पाया? दरअसल, ये सारे नाम हाइप वाले हैं जिन्हें मीडिया खड़ा करता है या कराया जाता है।

दरअसल, ग्लोबल आतंकवाद अमेरिका-इस्राइल-सऊदी अरब (वहाबी आतंकी देश) के रहमोकरम पर ज़िंदा है। आतंकियों के ग्लोबल नेटवर्क को खादपानी भी यही देते हैं। 

यह तमाम देशों में छोटे छोटे गुट खड़े करके आतंक फैलाते हैं और अपनी सुविधा और नीति के तहत उसे खत्म भी कर देते हैं। आपको जूनियर बुश का ज़माना याद है? किस तरह से आतंकवाद के खिलाफ युद्ध छेड़ने के नाम पर इराक़ पर हमला किया गया और उसके सारे तेल और खनिज संपदा पर अमेरिका ने क़ब्ज़ा कर लिया। 

चीन ने अपने स्वार्थों के तहत मसूद अज़हर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने के मामले में पहले चार बार अड़ंगा लगाया और अब अपने सिल्क रूट प्रोजेक्ट में भारत को शामिल करने के लिए उसने दाँव खेला है। चीन अपने प्रोजेक्ट में भारत, पाकिस्तान, ईरान आदि को शामिल करके यूरोपियन यूनियन जैसा कुछ बनाना चाहता है। जिसकी अपनी इकॉनमी होगी। उधर, यूएन में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस मसूद अज़हर पर प्रस्ताव इसलिए लाये ताकि भारत को ईरान के तेल कारोबार से निकालकर सऊदी अरब के ज़रिये अमेरिकी तेल बेचा जा सके। 

पाकिस्तानी सेना हमारे कश्मीर में खासी दिलचस्पी लेती है। कश्मीरी अवाम के संघर्ष को वह हर तरह से मदद करती है। उसके पास मसूद अज़हर और हाफिज सईद जैसे असंख्य प्यादे हैं। वह फिर नया प्यादा खड़ा कर देगी। लेकिन मसूद अज़हर का हाइप खड़ा करके या इसकी आड़ में राष्ट्रवाद को ही देश का सबसे बड़ा मुद्दा बनाकर पेश करना खुद को धोखा देना है। मसूद अज़हर तो ग्लोबल आतंकी घोषित हो गया लेकिन उसके बाद क्या...?    






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