प्लीज, उन्हें हिंदू आतंकवादी न कहें
कुछ जगहों पर हुए ब्लास्ट के सिलसिले में इंदौर से हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर बहुत सख्त प्रतिक्रिया (tough reaction) देखने को मिली। इनकी गिरफ्तारी से बीजेपी और आरएसएस के लोगों ने एक बहुत वाजिब सवाल उठाया है और उस पर देशव्यापी बहस बहुत जरूरी है। हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के बाद न्यूज चैनलों और कुछ अखबारों ने जो खबर दिखाई और पढ़ाई, इनके लिए hindu terrorist यानी हिंदू आतंकवादी शब्द का इस्तेमाल किया। यह ठीक वही पैटर्न था जब कुछ मुस्लिम आतंकवादियों के पकड़े जाने पर पहले अमेरिका परस्त पश्चिमी मीडिया (western media) ने और फिर भारतीय मीडिया ने उनको इस्लामी आतंकवादी (islamic terrorist) लिखना शुरू कर दिया।
बीजेपी के बड़े नेता यशवंत सिन्हा ने 24 अक्टूबर को एक बयान जारी कर इस बात पर सख्त आपत्ति जताई कि हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं को हिंदू आतंकवादी क्यों बताया जा रहा है। सिन्हा ने अपने बयान में यह भी कहा कि बीजेपी के प्राइम मिनिस्ट इन वेटिंग लालकृष्ण आडवाणी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी यह कई बार कह चुके हैं कि आतंकवादी का कोई धर्म या जाति नहीं होती।
अब देखिए, सिन्हा साहब का बयान कितना अच्छा और साफ-सुथरा है। लेकिन या तो सिन्हा साहब के पास या फिर उनकी अपनी पार्टी के पास आरएसएस का मुखपत्र पान्चजन्य (अंग्रेजी में organizer) पढ़ने की फुरसत नहीं है जिसके हर अंक में इस्लाम (islam) को आतंकवादी धर्म बताने की कोशिश जारी है। इस मुहिम अकेले वह समाचारपत्र शामिल नहीं है।
अंकल सैम के भतीजे जॉर्ज डब्ल्यू बुश जब आतंकवाद की लड़ाई को चरम पर ले गए तो अमेरिका का वह मीडिया जो बुश का अंध समर्थक बन चुका था, उसके रणनीतिकारों ने सबसे पहले इस्लाम को आतंकवादी धर्म लिखना शुरू किया। हालांकि अमेरिका में तब भी और आज भी एक बहुत बड़े वर्ग (अब तो यह तादाद और बढ़ गई है खासकर आर्थिक मंदी के कारण, अमेरिकी लोगों का कहना है कि बुश के इस्लाम विरोधी रवैए और मिडिल ईस्ट पर युद्ध थोपने के कारण ये हालात बने ) ने इसका सख्ती से विरोध किया। वहां पर ऐसे अखबार और वेबसाइट हैं जो रोजाना यह आंकड़ा छापते हैं कि आज अमेरिकी हमले में दुनिया के किस कोने में कितने बेगुनाह लोग मारे गए।
भारत में हिंदू उन्माद को चरम पर ले जाने की आरोपी बीजेपी और काफी हद तक कांग्रेस को लगा कि क्यों न हम भी इस शब्द को अपना लें और रातोरात भारतीय मीडिया और नेताओं के मुखारबिंद से इस्लामी आतंकवाद शब्द फूटने लगे। लेकिन जिस मीडिया ने अमेरिका और भारत में बीजेपी के इशारे पर इस शब्द को जन-जन तक पहुंचाया, उसे अब ऐसी गलती नहीं करनी चाहिए। हिंदू आतंकवादी शब्द लिखे जाने पर मुझे सख्त आपत्ति है। चंद लोगों के पकड़े जाने से आप पूरे हिंदू धर्म को गाली नहीं दे सकते। सही मायने में हिंदू धर्म इस्लाम की ही तरह बहुत सहिष्णु है, तभी तो यहां सभी धर्मों को फैलने का मौका मिला।
यह सही है कि हिंदू धर्म के कतिपय गुमराह लोगों ने कई जगह बम ब्लास्ट किए, उड़ीसा, कर्नाटक व कुछ अन्य स्थानों पर ईसाई महिलाओं (christian women ) से रेप किए, उनकी संपत्ति को लूटा, गुजरात में जो कुछ हुआ उसे बार-बार दोहराने की जरूरत नहीं। लेकिन इन सबके बावजूद हिंदू धर्म बहुत सहिष्णु है। उस धर्म में अच्छे लोगों की तादाद सबसे ज्यादा है। अगर हिंदू कट्टर होते तो बीजेपी न जाने कब की अखिल भारतीय पार्टी बन गई होती और कश्मीर से कन्याकुमारी तक सिर्फ कमल खिल रहा होता। यह ठीक उसी तरह है कि मेरे जैसा मुसलमान अगर मुस्लिम लीग को वोट देता फिरता तो मुस्लिम लीग इस देश की सबसे बड़ी पार्टी होती और अनपढ़ व गरीब मुसलमानों को मौकापरस्त मुलायम सिंह यादव व मायावती जैसों का मुंह नहीं देखना पड़ता। भारत की बुनियाद में ये बातें बहुत मजबूती से डाल दी गई हैं। इसलिए आने वाले वक्त में ऐसे लोगों की तादाद ज्यादा बढ़ेगी। कुछ राज्यों में जल्द ही और देश भर में लोकसभा चुनाव अगले साल होना तय है। नतीजे आने पर खुद ही पता चल जाएगा कि बीजेपी क्या वाकई उन लोगों का प्रतिनिधित्व करती है, जिनके उन्माद को वह चरम पर ले गई है? जवाब नहीं में आएगा, इसका मुझे यकीन है। इसलिए यशवंत सिन्हा की इस बात में मैं पूर्ण सहमत हूं कि बम ब्लास्ट के सिलसिले में पकड़े गए उन गुमराह लोगों को कतई हिंदू आतंकवादी न कहा जाए और न लिखा जाए।
टिप्पणियाँ
दीपावली की हार्दिक शुभकामना
क्या हासिल होगा इस से? बस नफरत और बढ़ेगी.