हिंदुत्व...संस्कृति...कमेंट या बहसबाजी
संदर्भः मोहल्ला और हिंदीवाणी ब्लॉगों पर टिप्पणी के बहाने बहसबाजी
(मित्रों, आप हमारे ब्लॉग पर आते हैं, प्रतिक्रिया देते हैं, मैं आपके ब्लॉग पर जाता हूं, प्रतिक्रिया देता हूं। यहां हम लोग विचारों की लड़ाई नहीं लड़ रहे। न तो मैं आपके ऊपर अपने विचार थोप सकता हूं और न ही आप मेरे ऊपर अपने विचार थोप सकते हैं। हम लोग एक दूसरे प्रभावित जरूर हो सकते हैं।)
मेरे नीचे वाले लेख पर कॉमनमैन ने बड़ी तीखी प्रतिक्रिया दी है।
हालांकि बेचारे अपने असली नाम से ब्लॉग की दुनिया में आने से शरमाते हैं। वह कहते हैं कि हिंदुओं को गलियाने का ठेका मेरे या मोहल्ला के अविनाश जैसे लोगों ने ले रखा है। शायद आप सभी ने एक-एक लाइन मेरे ब्लॉग पर पढ़ी होगी, कहीं भी किसी भी लाइन में ऐसी कोई कोशिश नहीं की गई है। फिर भी साहब का गिला है कि ठेके हम लोगों के पास है। आप पंथ निरपेक्षता के नाम पर किसी को भी गाली दें लेकिन आप जैसे लोगों को पकड़ने या कहने वाला कोई नहीं है। अलबत्ता अगर कोई सेक्युलरिज्म की बात करता है तो आप जैसों को बुरा लगता है। अब तो बाबा साहब आंबेडकर को फिर से जन्म लेकर भारतीय संविधान का पुनर्लेखन करना पड़ेगा कि भाई हमारी संविधान सभा तो गलती से सेक्युलरिज्म की बात लिख गई थी।
रही बात यह कि हमारे जैसे लोग अन्य देशों में जाकर इसकी शुरुआत क्यों नहीं करते। आप अप्रत्यक्ष रूप से जो कहना चाहते हैं, वह हमें समझ में रहा है। भाई मेरे, यह देश तो अब नहीं छूटेगा। बल्कि मेरे बाद की पीढियों के लिए भी वसीयत है कि वे यहां से न जाएं। जब मेरे पिता और दादा जी उस वक्त पाकिस्तान नहीं गए जब इस देश को बांटा जा रहा था तो भला अब कौन जाए गालिब ये गलियां छोड़कर। हालांकि उस समय तमाम मीर साहबान (या सैयद साहबान-दो उन दिनों मेरे पिता औऱ दादा के बारे में बोला जाता था) के रास्ते पर जाकर वे ऐसा कर सकते थे। लेकिन वे लोग नैशनल शिब्ली कॉलेज में स्वतंत्रता आंदोलन की लौ जगमगाए हुए थे तो उन्हें पाकिस्तान जाने का होश कहां रहा होगा। अब आप बताइए कि क्या इस देश में सेक्युलरिज्म की बात करना गुनाह है? क्या दलितों को मंदिर में न घुसने देने पर उसका विरोध गुनाह है? क्या किसी बुखारी या प्रवीन तोगड़िया टाइप लोगों का विरोध नाजायज है? क्या हम जैसों को इस देश में तभी रहने को मिलेगा जब हम जैसे किसी भगवा पार्टी के मेंबर बन जाएंगे? बहरहाल, दोस्त हम तो यहीं रहेंगे और यहीं रहकर सेक्युलरिज्म की अलख जगाएंगे।
सुरेश चंद गुप्ता जी, आपकी टिप्पणी काफी वजनदार है। मैं आपकी बहुत इज्जत करता हूं। लेकिन आपका यह कहना कि मोहल्ला ब्लॉग गाली-गलौच का अड्डा बन गया है, मैं इस बात से सहमत नहीं हूं। मैंने तो खैर हिंदी में अभी-अभी ब्लॉगिंग (हालांकि अंग्रेजी में इससे ज्यादा सक्रिय था, लेकिन अपनी भाषा की बात ही अलग है) शुरू की है, मोहल्ला पुराना ब्लॉग है। उस ब्लॉग ने कई सार्थक बहस चलाई है। जिस पोस्ट की आपने चर्चा की है, उसमें भी कोई हिंदू विरोधी बात नहीं कही गई है। न ही अविनाश ने उसमें कोई एकतरफा बात कही है। उन्होंने तो वह लिखा जो उन पर बीता या जो उन्होंने महसूस किया। मैंने भी अपनी पोस्ट में किसी को भी कसूरवार नहीं ठहराया। बल्कि इसलिए लिखा कि जो लोग एकतरफा टिप्पणी वहां कर रहे थे, उनके सामने उस तस्वीर को साफ करके पेश करने की कोशिश भर थी।
हेमंत ने यहां अपनी टिप्पणी में सारी बात वाजिब कहीं लेकिन उनकी एक बात से मैं कम से कम सहमत नहीं हूं कि महाराष्ट्र में हिंदूत्व का असली चेहरा दिखाई दे रहा है। वहां राज ठाकरे या बाल ठाकरे जो कुछ भी कर रहे हैं, उसे शेष हिंदुओं का कुछ भी लेना-देना नहीं है। इन दोनों चाचा-भतीजा की सोच राष्ट्र विरोधी है और ये दोनों ही न तो ठीक से महाराष्ट्र का ठीक से प्रतिनिधित्व करते हैं और न ही मुंबई का। शिवसेना अखिल महाराष्ट्र की पार्टी आज तक नहीं बन सकी। मुंबई में जरूर इन दोनों की गुंडई चलती है।
रौशन साहब ने बहुत पते की बात कही है कि धर्म ऐसे लोगों की सोच से बहुत बड़ा है। अभी एक दिन ही गुजरा है जब आपने देखा होगा कि तमाम शहरों में हिंदुओं के साथ-साथ मुसलमान भी दीवाली मना रहा था। खुद मेरे घर पर रोशनी की गई थी और घर के लोगों ने पटाखे फोड़े थे। हालांकि इसके लिए मेरी ओर से ऐसा कोई निर्देश नहीं था कि ऐसा होना ही चाहिए। यह उनकी अपनी मर्जी थी और उनका उल्लास इसमें शामिल था। अभी नवरात्र के दिनों में ईद पड़ी थी, हमारे तमाम हिंदू मित्र उसी तरह आए जैसे वे बाकी वर्षों से आते रहे हैं। उसके इस इस त्योहार को मनाने में कोई धर्म तो आड़े नहीं आया। यह आपके ऊपर है कि आप अपनी सोच पर धर्म को किस कदर हावी होने देना चाहते हैं।
वाकई ये बहस लंबी हो सकती है। इसका कोई अंत नहीं है। हमें चीजों को सही संदर्भो में समझना पड़ेगा, तभी हम सहिष्णु कहलाएंगे। सिर्फ धर्म का सहिष्णु होना जरूरी नहीं है।
टिप्पणियाँ
जो बातें बड़े बड़े मंचों पर कही जाती हैं और जो बातें निचले स्तर पर होती रहती हैं उनमें अन्तर होता है और हम निचले स्तर की बात कर रहे हैं.
अभी हमारे ब्लॉग पर एक् हिंदुस्थानी जी का कमेन्ट पढ़ लें वह भी ऐसा ही कहते हैं.
मोहल्ला पर गाली-गलौज तो चल रही है, और यह दोनों तरफ़ से है. मैंने अविनाश से अनुरोध किया था कि गाली-गलौज वाली टिप्पणियां हटा दें, पर उन्होंने ऐसा नहीं किया. इसका एक ही कारण हो सकता है कि उन्हें उन टिप्पणियों में कुछ आपात्तिजनक नजर नहीं आया.
मैं संघ से कभी सम्बंधित नहीं रहा. पर एक बात मैंने देखी. मैं जिस पार्क में घूमनें जाता हूँ वहां संघ की शाखा लगती है. वहीँ एक मुसलमान सज्जन घूमने और योग करने आते हैं. जहाँ संघ का ध्वज लगाया जाता है उस से कुछ दूर पर यह सज्जन योग करते हैं. दोनों को एक दूसरे से कोई परेशानी नजर नहीं आती. हम कुछ लोग ताली बजाना, ॐ का उच्चारण करना, और हँसना जैसे व्यायाम करते हैं. कुछ दिन पहले हमारे एक साथी ने उधर से गुजरते इन मुसलमान सज्जन से कहा कि मुल्ला जी आइये आप भी शामिल हो जाइए. मुल्ला जी भी शामिल हो गए, उन्होंने तालियाँ बजाई, खूब हँसे, ॐ उच्चारण के दौरान अल्लाह का नाम लेते रहे. मई यह बात कह कर कुछ साबित नहीं करना चाहता हूँ. मैंने यह देखा और आप के साथ बाँट लिया.
जहाँ अटल जी के आने पर छुटी करने का सवाल हैं, मैं राजनीतिज्ञों या किसी और लीडर के लिए स्कूल बंद करना ग़लत मानता हूँ.
इतनी टिप्पणियों में राजस्थानी शान के प्रतीक बन गए भाई रतन सिंह की टिप्पणी काबिलेगौर है कि धर्म को मानने वाले जब सहिष्णु हो जाएंगे तब धर्म भी सहिष्णु हो जाएगा।
सुरेश चंद गुप्ता जी का विशेष आभार, वह अपनी बात बड़ी साफगोई से रखते हैं। बहरहाल, अब उनका जो भी कहना हो, एक बात तो उन्होंने खुद ही कह दी कि ईद पर मुसलमानों को तमाम संस्थाओं में उस तरह अवकाश नहीं मिलता, जिस तरह बहुसंख्यक लोगों को मिलता है और मुसलमान उसका गिला भी नहीं करते। सुरेश जी आप समझदार हैं कि वे बेचारे गिला करें तो किससे करें और नीति नियंता उनकी क्या सुनेंगे। जवाब भी आप जानते हैं। बहरहाल, कुछ टिप्पणीकार मोहल्ला ब्लॉग और भाई धीरेश सैनी के बारे में जो धारणा फैला रहे हैं, वह ठीक नहीं है। रौशन जी का खास तौर से शुक्रिया, इसलिए उनके विचार शीशे की तरह साफ हैं। यह बात उनके ब्लॉग पर जाकर महसूस की मैंने। उनकी 28 अक्टूबर की पोस्ट आंख खोल देने वाली है। सभी को उसे पढ़ना चाहिए। मैंने अब तक उनके ब्लॉग को मिस किया। अब तक जा नहीं पाया था।