स्सा..ले..नमक हराम...देशद्रोही...आतंकवादी
दिन बुधवार, रात 10.35...क्रिकेट मैच खत्म हो चुका है...भारत फिर किसी देश को हरा चुका है...टीवी पर फ्लैश – मुंबई पर आतंकवादी हमला... ...लीजिए भारत फिर हार गया...अपने ही लोग हैं...अपनों को ही निशाना बना रहे हैं।
एक जगह नहीं...कई – कई जगह गोलियां बरस रही हैं...ग्रेनेड फेंके जा रहे हैं...टीवी पर सब कुछ लाइव है...न्यूज चैनल वालों के लिए एक रिएलिटी शो से भी बड़ा आयोजन...ऐसा मौका फिर कब मिलेगा...पब्लिक से मदद मांगी जा रही है...आप हमें फोन पर हालात की जानकारी दीजिए...आप ही विडियो बना लें या फोटो खींच लें...हम आपके नाम से दिखाएंगे...पब्लिक में लाइव होने का क्रेज पैदा करने की कोशिश...सिटिजन जर्नलिस्ट के नाम पर ही सही...पब्लिक जितनी क्रेजी होती जाएगी...शो उतना ही कामयाब होगा और टीआरपी आसमान पर। अरे...अरे... ...विषय पर रहिए...भटक क्यों रहे हैं? चंदन को चिंता है...इस देश को गृहयुद्ध की तरफ धकेला जा रहा है। इराक बनाने की साजिश। सुरेश को...पूरी इकनॉमी खतरे में नजर आ रही है। राकेश को यह सब मुसलमानों की साजिश लग रही है...स्साले पाकिस्तान से मिले हुए हैं...नमकहरामी कर रहे हैं...। अरविंद आहत है...नहीं बे...चुनाव नजदीक है...यह सब बीज बोया जा रहा है...देखता नहीं आडवाणी ने फौरन पीएम से मांग रख दी न...मोहन तो और भी दूर की ले आया...यह सब असल मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए है। पुलिस वाले भी मिले रहते हैं...स्साले सिक्युरिटी टाइट क्यों नहीं करते। अभी कई जगह बम फटे हैं...तब भी होश नहीं आया। हरामजादे मेटल डिटेक्टर ऐसे लगाए रखते हैं कि सारे आतंकवादी इसी के जरिए पकड़े जाएंगे? रहमान क्या बोले...निंदा तो करनी ही पड़ेगी...खुद को राष्ट्रवादी साबित करना होगा...सच्चा भारतीय मुसलमान बताना या दिखना पड़ेगा...नहीं तो अप्रत्यक्ष ही सही कटाक्ष तो सहने ही होंगे। बटला हाऊस एनकाउंटर के किंतु-परंतु पर चुप्पी साधनी होगी। ज्यादा बोले तो देशद्रोही...भाई साहब, मैं तो कहता हूं सारे मुल्ले एक जैसे ही होते हैं...चाहे कितना भी पढ़ लें। रहेंगे पाकिस्तानी...फौरन धर्म के ठेकेदार बन जाएंगे...
उपसंहार...
इस देश के खिलाफ साजिशों का अंत नहीं हो रहा है। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में बुधवार देर रात हुआ आतंकवादी हमला इसी साजिश का हिस्सा है। इस बार जिस तरह से हमले किए गए हैं, वह दरअसल एक तरह की गुरिल्ला वॉर जैसे लग रहे हैं। यानी आतंकवादियों ने जान की परवाह न कर तमाम ठिकानों पर हमले किए, बम फेंके और गोलियां चलाईं। इस सारी घटना का सबसे अफसोसनाक पहलू यह है कि इस आतंकवादी हमले में महाराष्ट्र के एंटी टेररिस्ट स्कवैड के चीफ हेमंत करकरे भी मारे गए। हेमंत मालेगांव बम ब्लास्ट की जांच कर रहे थे, जिन्होंने लेफ्टिनेंट पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा, स्वामी अवधेशानंद और अन्य लोगों की गिरफ्तारियां की थीं। जब मैं यह पोस्ट लिखने बैठा थ, उसी समय आईबीएन लाइव पर इसका फ्लैश आया था।
पता नहीं गुरुवार को क्या होगा। मुंबई से रात में ही एक रिश्तेदार का फोन आया। उनकी आवाज नहीं निकल रही थी, ज्यादातर लोगों को अब क्रिया की प्रतिक्रिया यानी दंगों का डर सता रहा है। उनका कहना था कि जुलाई में मुंबई में जब लोकल ट्रेनों को निशाना बनाया गया था, उस वक्त तक हालात इतने बदतर नहीं थे, जितने आज हैं। ऊपर मैंने जिन बातों को बयान किया है...दरअसल, देश के किसी भी हिस्से में बम ब्लास्ट या इस तरह की आतंकवादी घटना के बाद होने वाली प्रतिक्रियाएं हैं जो आपको आपके आसपास ही मिल जाती हैं। यह उसी का चित्रण है। इसे आप लोग किस रूप में या क्या नाम देते हैं...मैं नहीं जानता। क्योंकि न यह लेख है और न ही कोई कविता। क्या इसे समय का दस्तावेज कहा जाए?
मुंबई की आतंकवादी घटना से जुड़े फोटो। ये सभी फोटो http://ibnlive.com से साभार सहित लिए गए हैं।
एटीएस चीफ हेमंत करकरे
कोलाबा में मारा गया आम आदमी
गोली से घायल जख्मी युवक अपनी चोट दिखाता हुआ
कोलाबा में एक और लाश मिली...आम इंसान की
मुंबई में हमले के फौरन बाद होटल ताज की ओर बढ़ती मुंबई पुलिस
एक जगह नहीं...कई – कई जगह गोलियां बरस रही हैं...ग्रेनेड फेंके जा रहे हैं...टीवी पर सब कुछ लाइव है...न्यूज चैनल वालों के लिए एक रिएलिटी शो से भी बड़ा आयोजन...ऐसा मौका फिर कब मिलेगा...पब्लिक से मदद मांगी जा रही है...आप हमें फोन पर हालात की जानकारी दीजिए...आप ही विडियो बना लें या फोटो खींच लें...हम आपके नाम से दिखाएंगे...पब्लिक में लाइव होने का क्रेज पैदा करने की कोशिश...सिटिजन जर्नलिस्ट के नाम पर ही सही...पब्लिक जितनी क्रेजी होती जाएगी...शो उतना ही कामयाब होगा और टीआरपी आसमान पर। अरे...अरे... ...विषय पर रहिए...भटक क्यों रहे हैं? चंदन को चिंता है...इस देश को गृहयुद्ध की तरफ धकेला जा रहा है। इराक बनाने की साजिश। सुरेश को...पूरी इकनॉमी खतरे में नजर आ रही है। राकेश को यह सब मुसलमानों की साजिश लग रही है...स्साले पाकिस्तान से मिले हुए हैं...नमकहरामी कर रहे हैं...। अरविंद आहत है...नहीं बे...चुनाव नजदीक है...यह सब बीज बोया जा रहा है...देखता नहीं आडवाणी ने फौरन पीएम से मांग रख दी न...मोहन तो और भी दूर की ले आया...यह सब असल मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए है। पुलिस वाले भी मिले रहते हैं...स्साले सिक्युरिटी टाइट क्यों नहीं करते। अभी कई जगह बम फटे हैं...तब भी होश नहीं आया। हरामजादे मेटल डिटेक्टर ऐसे लगाए रखते हैं कि सारे आतंकवादी इसी के जरिए पकड़े जाएंगे? रहमान क्या बोले...निंदा तो करनी ही पड़ेगी...खुद को राष्ट्रवादी साबित करना होगा...सच्चा भारतीय मुसलमान बताना या दिखना पड़ेगा...नहीं तो अप्रत्यक्ष ही सही कटाक्ष तो सहने ही होंगे। बटला हाऊस एनकाउंटर के किंतु-परंतु पर चुप्पी साधनी होगी। ज्यादा बोले तो देशद्रोही...भाई साहब, मैं तो कहता हूं सारे मुल्ले एक जैसे ही होते हैं...चाहे कितना भी पढ़ लें। रहेंगे पाकिस्तानी...फौरन धर्म के ठेकेदार बन जाएंगे...
उपसंहार...
इस देश के खिलाफ साजिशों का अंत नहीं हो रहा है। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में बुधवार देर रात हुआ आतंकवादी हमला इसी साजिश का हिस्सा है। इस बार जिस तरह से हमले किए गए हैं, वह दरअसल एक तरह की गुरिल्ला वॉर जैसे लग रहे हैं। यानी आतंकवादियों ने जान की परवाह न कर तमाम ठिकानों पर हमले किए, बम फेंके और गोलियां चलाईं। इस सारी घटना का सबसे अफसोसनाक पहलू यह है कि इस आतंकवादी हमले में महाराष्ट्र के एंटी टेररिस्ट स्कवैड के चीफ हेमंत करकरे भी मारे गए। हेमंत मालेगांव बम ब्लास्ट की जांच कर रहे थे, जिन्होंने लेफ्टिनेंट पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा, स्वामी अवधेशानंद और अन्य लोगों की गिरफ्तारियां की थीं। जब मैं यह पोस्ट लिखने बैठा थ, उसी समय आईबीएन लाइव पर इसका फ्लैश आया था।
पता नहीं गुरुवार को क्या होगा। मुंबई से रात में ही एक रिश्तेदार का फोन आया। उनकी आवाज नहीं निकल रही थी, ज्यादातर लोगों को अब क्रिया की प्रतिक्रिया यानी दंगों का डर सता रहा है। उनका कहना था कि जुलाई में मुंबई में जब लोकल ट्रेनों को निशाना बनाया गया था, उस वक्त तक हालात इतने बदतर नहीं थे, जितने आज हैं। ऊपर मैंने जिन बातों को बयान किया है...दरअसल, देश के किसी भी हिस्से में बम ब्लास्ट या इस तरह की आतंकवादी घटना के बाद होने वाली प्रतिक्रियाएं हैं जो आपको आपके आसपास ही मिल जाती हैं। यह उसी का चित्रण है। इसे आप लोग किस रूप में या क्या नाम देते हैं...मैं नहीं जानता। क्योंकि न यह लेख है और न ही कोई कविता। क्या इसे समय का दस्तावेज कहा जाए?
मुंबई की आतंकवादी घटना से जुड़े फोटो। ये सभी फोटो http://ibnlive.com से साभार सहित लिए गए हैं।
एटीएस चीफ हेमंत करकरे
कोलाबा में मारा गया आम आदमी
गोली से घायल जख्मी युवक अपनी चोट दिखाता हुआ
कोलाबा में एक और लाश मिली...आम इंसान की
मुंबई में हमले के फौरन बाद होटल ताज की ओर बढ़ती मुंबई पुलिस
टिप्पणियाँ
घुघूती बासूती
सादर
In india they have a perceptible enemy in hindu. How does he forget that he is their own flesh and blood. We need to teach history to our children properly. One need not be bigoted and vindictive about the past but one has to keep an eye on the past because the present flows from it. If one is born on this soil there is no question about his rights and identity.
but terrorism is a an act of sedition against state.
If a section of minority does it. it means they find inadequate means of redressal in the system. But the system is sacrosanct.Even with its deficiencies. You cannot kill people to express your opinion. there is a democratic process in place. An eye for an eye is the rule for you. If there is a thought of old military glory a Caliphate driving the terrorism. It is unpardonable. Muslim leaders will do well to explain these misguided youth the futility of the act.
As for for majority community you have no right absolutely to resort to terrorism at all under any provocation , even to express you opinion. because you hold the controls to the system. Make system better and more water tight.
Folks, Muslims and hindus, Do not kill people for any reason. Just keep an eye on the bright future of our country. We want every body to florish.