न लिखने के खूबसूरत बहाने
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ऐसा क्यों होता है कि जब हम लोग लिखने से जी चुराने लगते हैं और दोष देते हैं कि क्या करें समय नहीं मिला, क्या करें व्यस्ततता बहुत बढ़ गई है, क्या करें दफ्तर में स्थितियां तनावपूर्ण हैं इसलिए इस तरफ ध्यान नहीं है, क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि क्या लिखें...कुछ ऐसे ही बहाने या इससे भी खूबसूरत बहाने हम लोग तलाश लेते हैं। कुछ और लोगों ने इसमें यह भी जोड़ दिया है कि अरे ब्लॉग पर लिखने के लिए इतना क्या गंभीर होना या ब्लॉग ही तो है जब अपना लिखा खुद पढ़ना और खुश होना है तो फिर कभी भी लिख लेंगे... लेकिन यह तमाम बातें सही नहीं हैं। मुझे इसका आभास इन दिनों तब हुआ जब मैंने ब्लॉग पर लिखना बिल्कुल बंद कर दिया और ईमेल पर और फोन तमाम लोगों के उलहने सुनने को मिले। कुछ लोगों ने तो उम्र के साथ कलम में जंग लगने तक का ताना मार दिया। ...यह सच है कि जो लिखने वाले हैं उन्हें लिखना चाहिए फिर वह चाहे खुद के परम संतोष के लिए लिखना हो या फिर दूसरों तक अपनी बात पहुंचाने की बात हो। अब देखिए न लिखने से मैंने क्या-क्या इन दिनों मिस किया...जैसे देश के तमाम घटनाक्रमों पर कलम चलाने की जरूरत थी। खासकर दिल्ली में ज