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मई, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

खतरनाक ख्यालात....Dangerous Thoughts ...Must Read for Muslims...मुसलमान जरूर पढ़ें

उसके खतरनाक ख्याल ने मेरी नींद हराम कर दी है। अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने एक ट्रेनिंग कैंप लगाया, जिसके फोटो मीडिया और सोशल मीडिया पर वायरल हुए। जिसमें दिखाया गया है कि कुछ युवकों के हाथों में हथियार हैं और वे हथियार चलाने की ट्रेनिंग ले रहे हैं। इस फोटो के सामने आने के बाद फौरन स्वयंभू मुस्लिम परस्त नेता असाउद्दीन ओवैसी का बयान आया कि अगर मुसलमान भी इस तरह के ट्रेनिंग कैंप लगाएं तो क्या होगा... कुछ बेवकूफ, जाहिल और कुछ पढ़े-लिखे मुसलमान ओवैसी की जयजयकार करते हुए कूद पड़े और कहा, हां बताओ...अगर हम भी ऐसा करें तो... यह खतरनाक विचार है...खतरनाक ख्याल है...जिसे मुसलमानों को ओवैसी की राजनीति के साथ ही दफन कर देना चाहिए...हालांकि तमाम मुसलमान चिंतक मेरी इस सलाह की धज्जियां उड़ा देंगे औऱ उर्दू अखबारों में मेरे खिलाफ लिखकर पन्ने काले कर देंगे...लेकिन मुझे उनकी परवाह नहीं है। ...और जो लोग मुझे नहीं जानते हैं, वे भी रातोंरात मुझे संघ समर्थक या उनका एजेंट बताने में जुट जाएंगे। बहरहाल, सारा घटनाक्रम एक बहुत नाजुक मोड़ पर सामने आया है, इसलिए सभी को आगाह करना मेरा

मीडिया को बीजेपी की जीत कुछ ज्यादा ही बड़ी नजर आ रही है

आज 19 मई को आए पांच राज्यों के चुनाव नतीजे बता रहे हैं कि बीजेपी को काफी फायदा हुआ है। असम में उसकी सरकार बन गई है। मीडिया ने कांग्रेस का मरसिया पढ़ दिया है। लेकिन मीडिया अपने खेल से बाज नहीं आ रहा है। उसे बीजेपी की जीत कुछ ज्यादा ही बड़ी नजर आ रही है। हम लोग बहुत जल्द पिछला चुनाव भूल जाते हैं।...बिहार में कुछ महीने पहले जो इतिहास बना था , उसे असम के शोर में दबाने की कोशिश हो रही है। ...मीडिया वाले उस शिद्दत से केरल में कम्युनिस्टों की वापसी का शोर नहीं मचा रहे हैं। जितनी शिद्दत से वो असम केंद्रित चुनाव विश्लेषण को पेश कर रहे हैं। ... ...लेकिन क्या वाकई इसे बीजेपी की ऐतिहासिक जीत करार दिया जाए। क्या वाकई जनता ने कांग्रेस को दफन कर दिया है। लेकिन अगर इन चुनाव नतीजों की गहराई में जाकर देखा जाए तो अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कारणों से पब्लिक ने विभिन्न पार्टियों को चुना है। असम की बात पहले करते हैं। असम में लंबे अर्से से कांग्रेस की सरकार थी और तरुण गोगोई के पास कमान थी। लेकिन 10 सालों में कांग्रेस ने इस राज्य में ऐसा ठोस कुछ भी नहीं किया कि जनता उसे तीसरी बार भी मौका देती। अस

व्हील चेयर पर मां...

-यूसुफ किरमानी मेरे पास मां नहीं है। ट्वीटर पर डालने के लिए फोटो भी नहीं है। एक फोटो थी, उसे भाई या बहन ने ले लिया, तब से वापस नहीं किया। लेकिन फिर सोचता हूं कि कोई फोटो मेरी मां का वजूद तय नहीं कर सकता। क्योंकि मां के होने का एहसास हर वक्त रहता है। जिनके पास मां है...उनसे जलन होती है। काश, मेरी मां भी आज जिंदा होती...कुछ नहीं तो फलाने साहब की तरह मां की फोटो ट्वीट कर ज़माने भर की हमदर्दी पा लेता। ...लोग कहते देखों इतना बड़ा लेखक-पत्रकार और मां की फोटो ट्वीट कर रहा है बेचारा। कितना बड़ा दिल है...मां को छोटे-छोटे गमले भी दिखा रहा है। मां हमेशा अपने बच्चे के लिए ढाल का काम करती है। बच्चे पर कोई आफत आए, मां सबसे पहले उस आफत का सामना करने को तैयार रहती है। बच्चा अगर चोर या गिरहकट है तो भी उसकी मां आसानी से उसे चोर या गिरहकट मानने को तैयार नहीं होती। जब ज़माना आप पर तरह-तरह के आरोप लगाए तो एक मां ही ऐसी होती है जो आपके साथ खड़ी होती है। देश में या विदेश में या फिर किसी कंपनी में जब आपकी साख फर्जी डिग्री, फर्जी हलफनामे, फर्जी जुमलेबाजी से डूबने लगती है तो ऐसे में आप मां को आगे कर देत

रहस्यः भगवा आतंकवाद को हिंदू धर्म से कौन जोड़ रहा है

केंद्र में बीजेपी की सरकार बने हुए अब दो साल से ज्यादा हो चुके हैं। पहले दो साल तक तमाम चिंतक, स्तंभकार और लेखक इस बात पर जोर देते रहे कि इतना बहुमत मिला है तो केंद्र सरकार जरूर कुछ करेगी। हमारे जैसे लोग जो किसी भी सरकार को आलोचनात्मक नजरिए से ही देखने की कोशिश करते हैं, इस उम्मीद में रहे कि हो सकता है कि बीजेपी सरकार के तरकश में कोई तीर हो और वो भारत की तमाम बीमारियों का इलाज करने में जुट जाए। लेकिन ऐसा कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा और सब्र का पैमाना अब छलकने को है। यह बात धीरे-धीरे साफ होती जा रही है कि बीजेपी सरकार को ऐसे लोगों का समूह संचालित कर रहा है, जिनके इरादे कुछ और हैं। इस समूह ने संघ परिवार तक को प्रभावित कर रखा है। इस समूह ने जो एजेंडा सरकार बनने के वक्त तय किया था, केंद्र सरकार उसी एजेंडे पर पहले दिन से ही चल रही है। यह समूह अपने एजेंडे को लागू कराने की इतनी जल्दी में है कि उसे लगता है कि अगला मौका नहीं मिलेगा। बात की शुरुआत ताजा घटनाक्रम से करते हैं। मालेगांव ब्लास्ट में आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल पुरोहित समेत तमाम लोगों को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने क्ली