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जून, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मार्क जुकरबर्ग...हुजूर आते-आते बहुत देर कर दी

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बड़ी कंपनियों के विज्ञापन बहिष्कार के फैसले ने फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग (#MarkZukerberg) को घुटनों पर खड़ा कर दिया है। सोमवार को अपने वीडियो संदेश में जुकरबर्ग ने कहा कि अब से फेसबुक उन राजनीतिक दलों के नेताओं के पोस्ट या कंटेंट पर फ्लैग लगाकर चेतावनी देगा, जो नफरत या साम्प्रदायिकता, झूठ फैलाएंगे। उनका इशारा अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के विवादास्पद बयानों और ट्वीट को लेकर बनने वाली खबरों या कंटेंट की तरफ था। इस समय अमेरिका में ट्रंप के फर्जी, नफरत फैलाने और छल कपट वाले बयानों को लेकर जनता में बहुत गुस्सा है। इसे देखते हुए अमेरिका की तमाम बड़ी कंपनियों ने फेसबुक पर अपने विज्ञापन दिखाने पर रोक लगा दी है।  क्या भारत की किसी कंपनी की इतनी औकात है कि वह किसी अखबार, किसी चैनल या फेसबुक समेत तमाम सोशल मीडिया साइटों से कह सके कि तुम लोग नफरत को फैलाते हो, एक राजनीतिक दल की विचारधारा को पालपोस रहे हो, जाओ हम तुम्हें विज्ञापन नहीं देते। एक भी कंपनी ऐसा नहीं कर पाएगी। यहां तक कि जिन कंपनियों का नियंत्रण तमाम सेकुलर लोगों के पास है, वे भी ऐसा नहीं कर पाएंगे। लेकिन अमेरिका में क

पुलिस के कंधे पर लोकतंत्र का जनाजा

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Coffin of Democracy on Police's Shoulder -यूसुफ़ किरमानी दो दिन पहले एक बच्ची से मुलाकात हुई जो दूसरी क्लास में पढ़ती थी, बहुत बातूनी थी। भारतीय परंपरा के अनुसार मैंने उससे सवाल पूछा, बेटी बड़ी होकर क्या बनोगी...बच्ची ने तपाक से जवाब दिया, पुलिस। अब चौंकने की बारी मेरी थी, मैं डॉक्टर, इंजीनियर, खिलाड़ी, पायलट, आईएएस जैसे किसी जवाब के इंतजार में था। क्योंकि ज्यादातर बच्चे इसी तरह के जवाब देते रहे हैं। मैंने अपनी जिज्ञासा को बढ़ाते हुए उससे पूछा कि बेटी, पुलिस क्यों बनना चाहती हो। उसने कहा, क्योंकि पुलिस ही तो हमको बचाती है। अब जैसे कोरोना में पुलिस ही तो हमको बचा रही है। मैं हैरानी से काफी देर उसके जवाब पर मनन करता रहा। अभी कल यानी शुक्रवार को तमिलनाडु के तूतीकोरिन से यह दहलाने वाली खबर आई कि पुलिस वहां एक मोबाइल शॉप से बाप-बेटे ( #Jeyaraj and #Fenix ) को इसलिए पकड़कर ले गई, वो अपनी दुकान तय समय से पांच मिनट देर तक क्यों खोले हुए थे। पुलिस ने थाने में उनकी जमकर इतनी पिटाई की थी कि वे जब घर आए तो उनके गुप्तांगों से खून बह रहा था। बाद में दोनों की मौत हो गई। इस घटना स

सुशांत के बॉलिवुड से पहले अपने घर से नेपोटिज्म खत्म करिए

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- यूसुफ़ किरमानी बॉलिवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की अफ़सोसनाक ख़ुदकुशी के बाद तमाम लोग नेपोटिज्म के मामले को ऐसे उठा रहे हैं, जैसे उन्होंने ज़िन्दगी में कभी नेपोटिज्म किया ही नहीं है। आप पहले अपने घर से नेपोटिज्म खत्म करने की शुरूआत कीजिए, फिर बॉलिवुड से नेपोटिज्म (Nepotism) खत्म करने के बारे में सोचिएगा। डिक्शनरी में नेपोटिज्म का हिन्दी में मतलब - पक्षपात, भाई भतीजावाद, कुनबापरस्ती, तरफ़दारी आदि है। आप अपने ढंग से उसे हर जगह फ़िट कर सकते हैं। तो आइए आज इसी नेपोटिज्म पर बात करते हैं। आप लोग एक बेटा-बेटी के माता- पिता हैं। क्या तब आपको शर्म आई या आप लोगों ने नेपोटिज्म के बारे में सोचा जब आपने अपनी बेटी से ऊपर बेटे को हर चीज़ में तरजीह दी। आपने अपनी संपत्ति में कभी बेटी के हिस्से के बारे में सोचा? क्या आपने बेटी को बेटे के मुक़ाबले वो आजादी दी, जो वो माँग रही थी? आप किस मुँह से नेपोटिज्म की बात कर रहे हैं। आप कहेंगे परिवार के मामलों में नेपोटिज्म नहीं देखा जाता, ...क्यों नहीं देखा जाता और क्यों नहीं देखा जाना चाहिए?  आप एक भाई हैं। आपके माता-पिता कुछ संपत्ति छोड

हमारे पैसे की जाँच इनकम टैक्स करे और पीएम केयर्स फ़ंड की जाँच प्राइवेट फ़र्म क्यों करे

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पीएम केयर्स फ़ंड किसका पैसा है? चूँकि कर्मचारियों से भी इसके लिए अंशदान लिया गया, इसलिए यह जनता का पैसा है। पहले तो सरकार कहती रही कि इसके हिसाब किताब की जाँच कैग यानी भारतीय महालेखा परीक्षक और नियंत्रक के दायरे में नहीं आएगी यानी कोई जाँच पड़ताल नहीं। फिर सोशल मीडिया के दबाव में आपने इसके ऑडिट का ज़िम्मा एक प्राइवेट सीए कंपनी को दे दिया। मतलब सरकार को खुद अपनी एक महत्वपूर्ण एजेंसी कैग पर भरोसा नहीं है। जिस सीए कंपनी M/s SARC & Associates को पीएम केयर्स फ़ंड के ऑडिट का काम सौंपा गया, उसके मालिक सीए सुनील कुमार गुप्ता हैं। खुद सुनील कुमार गुप्ता के मुताबिक़ यह सीए कंपनी ब्रिटेन में भी काम करती है। अब पूछेंगे कि सुनील कुमार गुप्ता कौन हैं? इनके बारे में दिलचस्प जानकारियाँ सामने आई हैं। सुनील कुमार गुप्ता जी अब खुद को अर्थशास्त्री के रूप में ज्यादा प्रचारित करवाते हैं और सीए कम। वह चाहते हैं कि उन्हें बुद्धिजीवी स्वीकार किया जाए। गुप्ता जी संघ परिवार के व्यक्ति हैं। वह 2018 में शिकागो में हुए विश्व हिन्दू सम्मेलन में मोहन भागवत का भाषण सुनने गए थे। चलिए मान लेते हैं क

रवीश कुमार, राजदीप सरदेसाई पर हमला करने वाली अमेरिकी वेबसाइट बेनकाब

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मोदी सरकार की नीतियों का विरोध करने वाले पत्रकारों को निशाना बनाने की कोशिश -यूसुफ किरमानी 10   जून को भारत के कुछ पत्रकारों पर एक अमेरिकी वेबसाइट (पीगुरुज डॉट कॉम) ने एक रिपोर्ट छापकर बड़ा हमला किया। ये पत्रकार गोदी मीडिया से नहीं थे। ये पत्रकार हैं – रवीश कुमार, अभिसार शर्मा, नेहा दीक्षित, राजदीप सरदेसाई, सिद्धार्थ वरदराजन, अरफा खानम शेरवानी के अलावा कुछ नेताओं जिनमें कविता कृष्णन, उमर खालिद और कन्हैया कुमार आदि पर आरोप लगाया गया कि इनके लिंक एक कथित जेहादी खालिद सैफी के साथ पाए गए हैं। लेकिन इस अमेरिकी साइट के बारे में मैंने भी खोजबीन कर कुछ तथ्य जुटाए हैं जो आगे आपको इसी लेख में पढ़ने को मिलेंगे। उस अमेरिकी वेबसाइट में खालिद सैफी के साथ इन सभी पत्रकारों के फोटो दिए गए। सिर्फ यह साबित करने के लिए अगर खालिद सैफी के साथ रवीश कुमार या अभिसार शर्मा के फोटो हैं तो जरूर उनके संबंध आरोपी से हैं। ...और कपिल मिश्रा के साथ भी फोटो ..................................................... जैसे ही यह रिपोर्ट सामने आई, भारत में आरएसएस-भाजपा के तमाम बड़े नेता उसे ट्वीट