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देशभक्ति चौराहे पर नुमाइश की चीज नहीं

राष्ट्रप्रेम सिर्फ तिरंगा लहराने से नहीं व्यक्त होता है...यह दिल से महसूस करने की चीज होती है... देशभक्ति की नुमाइश चौराहों पर नहीं की जाती...सियाचिन के बर्फीले पहाड़ों में की जाती है... जुमलेबाजी राजनीतिक सभाओं में शोभा देती है...जनता से मजाक करने के लिए नहीं की जाती... और आज जो खबरों में है... बीजेपी आईटी सेल की नींव रखने वाले एक्सपर्ट प्रद्युत बोरा ने BJP को नमस्ते कह दिया है...और जाते-जाते प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के काम करने के तरीके पर सवाल भी उठाया है...उनका कहना है कि पागलपन ने पार्टी को जकड़ लिया है... मित्रों...देशभक्तों...इससे सख्त टिप्पणी तो अभी तक बीजेपी के खिलाफ विपक्ष तक ने नहीं की है। किसी ने पागलपन शब्द का इस्तेमाल बीजेपी के लिए नहीं किया है... हम आईटी एक्सपर्ट को उनके इस शब्द के लिए शाबाशी नहीं दे रहे हैं...क्योंकि जब उन्होंने इस पार्टी को ज्वाइन किया था, तभी हमें लगा था कि इतना जीनियस आदमी भला इस पार्टी में कैसे रहेगा...लेकिन वह दिल की बात दिल में रही...लेकिन बोरा का दर्द बाहर आ गया। इससे पहले प्रशांत किशोर ने भी मोदी का साथ

राष्ट्रभक्ति क्या है...क्या सारा ठेका सिर्फ सिर्फ एक पार्टी के पास है ?

देशभक्ति के नाम पर देश में अराजकता का माहौल बनाया जा रहा है...जेएनयू जल रहा है...वहां के स्टूडेंट्स को देशद्रोही बताया जा रहा है...यहां तक कि कुछ पत्रकारों ने इस प्रचार युद्ध को संभाल लिया है कि जो देश की सत्तारुढ़ पार्टी के खिलाफ है, वह देशद्रोही है। प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू होने से पहले बीजेपी के नेता पूछते हैं कि आप भारत माता के साथ हो या जेएनयू वालों के साथ...कितनी शर्मनाक स्थिति है। दरअसल राष्ट्रभक्ति क्या है...इस पर मैं कई दिनों से विचार कर रहा था। बार-बार दिमाग में कन्हैया कुमार का चेहरा घूमता रहा, जिसे देशद्रोह के नाम पर जेल में बंद कर दिया गया। देश के बहुत बड़े कानूनविद और पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी जो अटल बिहारी वाजपेयी के समय एजी थे, उन्होंने आज कहा कि जिस देशद्रोह के आरोप कन्हैया कुमार को बंद कर दिया है, वह कोई आरोप नहीं है। सोराबजी अपने स्पष्ट विचारों के लिए उस वक्त भी जाना जाता था। उनका बयान आप आज के इंडियन एक्सप्रेस में पढ़ सकते हैं। इसके बाद मुझे सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार की फेसबुक वॉल पर जाने का मौका मिला तो वहां उन्होंने एक कहानी के जरिए राष्ट्रभक्ति के

अखंड राष्ट्र में रोहितों की पिटाई

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                                                सबसे पहले लेखक का डिसक्लेमर  इस सड़ेगले लेख से अगर किसी की भावनाएं आहत हो रही हैं तो उसे दिल पर मत ले। दरअसल इसे चुनावी मिशन 2019 और उपमिशन यूपी 2017 के मद्देनजर लिखा गया है। यह एक पैगाम है, जहां तक पहुंचे...  ................................................................................................................................................ राष्ट्रवादी देश की राजधानी में साहब का विरोध अगर कोई उसके जन्मदाता मुख्यालय के सामने करेगा तो क्या पुलिस हाथ पर दही जमाकर बैठी रहेगी। ... जन्मदाता मुख्यालय की रक्षा आखिरकार पुलिस को ही तो करना है ... रोहित वेमुला की आत्महत्या पर जिनका दिल नहीं पसीजा ... वे जन्मदाता मुख्यालय की रक्षा कर रहे हैं तो क्या गलत कर रहे हैं ... जनता तो राष्ट्रवाद का पैग लेकर नशे में डूब गई है ... तो कौन बचाएगा उस झंडे वाली गली में बने मुख्यालय को ...   तीन-चार दिन से कलम के लठैत इस मुद्दे पर अखबार से लेकर चैनलों पर मछली बाजार