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मार्च, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

देश में दलालों की जुगलबंदी

भारतीय लोगों की दुनिया रिलायंस की मुट्ठी में कैद हो चुकी है... देश की संसद में जो तमाशा चल रहा है, उसके लिए कहीं न कहीं जनता भी जिम्मेदार है। वरना मीडिया की औकात नहीं है कि वह आपको सही जानकारी न दे। यानी अगर आप लोग खबरों वाले चैनल देखना, न्यूज वेबसाइट पर जाना और कुछ अखबार पढ़ना बंद कर दें तो मीडिया ने भारत सरकार से दलाली की जो जुगलबंदी कर रखी है, वह बेनकाब हो जाएगी। विपक्षी पार्टियां लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे रही हैं और स्पीकर सुमित्रा महाजन तरह-तरह के बहाने लेकर प्रस्ताव का रखा जाना रोक रही हैं। क्योंकि प्रस्ताव पर बहस होनी है, सभी दलों को बोलने का मौका मिलेगा, सरकार और भाजपा इससे भाग रहे हैं। पिछले हफ्ते यह प्रस्ताव लाया गया था, तब संसद में होहल्ले का बहाना बनाया गया। सोमवार यानी कल खुद भाजपा ने जयललिता की पार्टी एआईडीएमके के साथ मिलकर हल्ला मचवा दिया। सुमित्रा महाजन को बहाना मिल गया। फिर से अविश्वास प्रस्ताव का रखा जाना रोक दिया गया...सोमवार को लोकसभा में जबरन मचाया जा रहा शोर इस बात की गवाही दे रहा था कि वह प्रायोजित शोर है और सिर्फ

संघ प्रमुख के विचार और राजनीतिक नियम

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत क्या मोदी को हटाना चाहते हैं या वह 2019 में नए चेहरे को पीएम पद पर बैठाना चाहते हैं...उनका नागपुर में स्कयं सेवकों के बीच दिया गया कल का बयान काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भाजपा किसी एक ख़ास व्यक्ति की वजह से नहीं जीत रही बल्कि तात्कालिक परिस्थितियाँ उसकी मदद कर रही हैं।... भागवत की इन बातों के बहुत गहरे अर्थ हैं।...वो मंत्री, वो सांसद, वो विधायक, वो भाजपा नेता और थर्ड क्लास भक्त जो उठते बैठते मोदी-मोदी करते हैं उनसे संघ प्रमुख ख़ुश नहीं हैं। संघ प्रमुख भविष्य देख रहे हैं...उनकी नज़र लक्ष्य पर है।  ...पर वह यह कहना चाहते हैं कि संघ की बजाय किसी ख़ास का मुखौटा लगाकर जिस तरह भाजपा आगे बढ़ रही है वह घातक है क्योंकि भाजपा संघ की पैदा की गई परिस्थितियों की वजह से जीत रही है न कि नरेंद्र मोदी या अमित शाह की वजह से। संघ प्रमुख ने यह बात शीशे की तरह साफ़ कर दी है कि अगर किसी संगठन में व्यक्ति पूजा शुरू हो जाए तो वह पार्टी कांग्रेस बनते देर नहीं लगती है। एक अच्छे खासे राजनीतिक दल कांग्रेस की गिरावट हमारे सामने है। व्यक्ति या परिवार पूजा ने इस पार

लड़ाई इतनी आसान नहीं है...

...दरअसल, वह शख़्स अपने एजेंडे पर बहुत सधे हुए तरीक़े से आगे बढ़ रहा है।  बहुत थोड़े होने के बावजूद हम सब बिखरे हुए हैं। ... उसके रंग बदलते भाषण, हर एक एक्शन उसकी रणनीति का ऐलान करते नज़र आते हैं।... वह डॉगी के पिल्ले से बात शुरू करता है और कई साल बाद अजान की आवाज़ सुनते ही सेकुलर बन जाता है।... आप उसके अगले दाँव का अंदाज़ा नहीं लगा सकते।... हर इवेंट उसके लिए अवसर है।...हर अवसर उसके लिए इवेंट है।... इवेंट में दिमाग़ है, साज़िश है, ब्रॉन्डिंग है।  वह रूस का नहीं भारत का ज़ार है। हमारी नई पीढ़ी बेज़ार है।वह ज़ार को नहीं जानती।...शायद अधिकांश ने यह नाम ही न सुना हो...और सुना भी हो तो क्या पता गूगल ने उसे जार- जार में भ्रमित कर दिया हो।... अपना हर लम्हा वह ज़ार अपने क्रोनी कैपिटलिस्ट गिरोह के लिए जीता है।... यह क्रोनी कैपटलिस्ट गिरोह उसकी ताक़त है। गिरोह के पास हर तरह की ताक़त है। ज़ार की जान इस गिरोह में क़ैद है।...जब तक गिरोह ताक़तवर है। ज़ार भी ताक़तवर है।...गिरोह की ताक़त घटे या खत्म हो, अब तभी ज़ार भी कमज़ोर होगा।...या खत्म होगा। यह सब आसान नहीं है।... हम थ

होली के बहाने...एक अधूरी ग़ज़ल

रंग कोई भी डाल दो, गुलाल कोई भी लगा दो ........................................................ दीवारों पर लिखी इबारत मिटाना आसान है, दिलों पर लिखी इबारत मिटाता नादान है... रंग कोई भी डाल दो, गुलाल कोई भी लगा दो, ज़ख़्मों पर फिर मरहम लगाता नहीं शैतान है...y राष्ट्रवाद को बेशक तिरंगे में लपेट दो, क़ातिल को यूँ भुलाना क्या आसान है... रहबर ही जब बन गये हों रहजन जिस मुल्क में, बचे रहने का क्या अब कुछ इमकान है ??.... (मेरी एक अधूरी ग़ज़ल की कुछ लाइनें होली और साहेब के ताज़ा बयान पर...बहरहाल, हर आम व ख़ास को, दूर के, नज़दीक को होली बहुत बहुत मुबारक)