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कितनी महान शक्ति है भारत...जरा गौर फरमाइए...

सचमुच विश्व की कितनी महान शक्ति हैं हम...इसका अंदाजा अब होने लगा है... - #मुंबई में समुद्र के किनारे हमारा एक सरकारी जहाज #आईएनएस बेतवा गिर गया...उसे उठाने के लिए हमारे देश में वैसी क्रेन नहीं है...यह हमको अब पता चला...सरकार हमारी सरकार चलाए या जहाज उठाए... -इस बार #गेहूं की फसल अच्छी हुई है, कीमतें भी नियंत्रण में हैं....इसके बावजूद हमारी महान #सरकार गेहूं का आयात (इंपोर्ट) करने जा रही है...गेहूं आयात का यह सिलसिला पिछले साल से जारी है। पिछले साल भी हमारी महान सरकार ने गेहूं का आयात किया था...सरकार का कहना है कि देश ने 6 साल बाद गेहूं आयात किया है...जी तथ्य भी यही है...जुमला नहीं है...गेहूं आयात की मार किसान झेलेंगे...तो क्या हुआ...देश के किसान इतना कुर्बानी भी नहीं दे सकते। उन्हें #भारत-#पाकिस्तान सीमा पर कुर्बानी देने के लिए तो कहा नहीं जा रहा है...अरे किसान भाइयो अपने खेत में जाकर कुर्बानी दे दो... -#नोटबंदी पर कुछ भी कहना बेकार है...गद्दार लोग 6 दिन...20 दिन...30 दिन से लाइन में लगे हैं...#देशभक्त बैंक मैनेजर गरीब अमीरों को, #बीजेपी नेताओं को नए नोट के ट्रक भिजवा रह

मोटा भाई की बेटी की शादी...

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#मोटाभाई उर्फ नितिन गडकरी जी, बेटी की #शादी मुबारक। भौंकने वालों को भौंकने दीजिए। …#देशकतारमें है, उसे आपकी बेटी की शादी से कुछ लेना देना नहीं।….भौंकने वालों को जब कुछ नहीं मिला तो आपके ऊपर झूठा इलजाम लगा रहे हैं कि 50 चार्टर्ड प्लेन #नागपुर पहुंचे, 10 हजार मेहमान पहुंचे। ये हुआ-वो हुआ..…कितने नासमझ लोग हैं…किसी #भिखारी के बेटे या बेटी की शादी नहीं है, जो इतने लोग भी न पहुंचें…और शादी में #ब्लैकमनी की बात कहां आती है…भिखारी भी अपने बच्चों की शादी के लिए मेहनत की कमाई का बचा कर रखते हैं…मोटा भाई ने कुछ तो बचाया होगा जो इतनी शान से शादी कर सकें। मूरख लोग जानते नहीं कि #देश का #गृहमंत्री वहां पहुंचा…पार्टी अध्यक्ष पहुंचा…अब ये लोग पैदल चलकर जाने से रहे…इन लोगों का उड़कर पहुंचना लाजिमी है। मोटा भाई पुराने #रईस घराने से हैं…उनको #छोटेनोट थोड़े ही गिनने हैं…  …और अभी तो अपना #फकीर नहीं पहुंचा है।…वो #सर्जिकलस्ट्राइक पर निकला है…एक फकीर की आमद पर इतना स्वागत तो बनता ही है... #नागपुरपाठशाला वाले तो खैर वहीं रहते हैं…वो पैदल पहुंच सकते हैं…मोटा भाई आप भौंकने वालों…की परवाह न करें

हिजबुल्लाह की परेड से कई देश पानी-पानी

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मेरा यह लेख नवभारत टाइम्स लखनऊ में 20 नवंबर 2017 को प्रकाशित हो चुका है...हिंदीवाणी के पाठकों के लिए यहां पेश किया जा रहा है...-यूसुफ किरमानी इसी हफ्ते सोमवार को सीरिया के अल कौसर शहर में हिजबुल्लाह ने अपने हथियारों की एक परेड निकाली। लेकिन इस परेड ने दुनिया की जानी-मनी शक्तियों को शर्मसार कर दिया। इस परेड में अमेरिकी और रूसी हथियार थे। मंगलवार को परेड के फोटो ट्वीट हुए तो दुनियाभऱ में हलचल मच गई। अमेरिकी हथियारों पर सभी की नजर पड़ी। इनमें यूएस के सबसे शक्तिशाली टैंक M113 की कई यूनिट शामिल थीं।   अमेरिका रक्षा विभाग ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और कहा कि हम इसकी जांच करने जा रहे हैं कि आखिर हिजबुल्लाह तक ये हथियार कैसे पहुंचे। यूएस स्टेट डिपार्टमेंट की प्रवक्ता एलिजाबेथ ट्रूडेयू ने कहा कि हिजबुल्लाह के पास M113 का पहुंचना हमारे लिए चिंता की बात है। एलिजाबेथ ने यह भी कहा कि हम बेरूत स्थित अपने दूतावास के संपर्क में हैं और उससे भी जांच में मदद ले रहे हैं। लेकिन अमेरिका के बाद जो देश चिंतित नजर आया वो इस्राइल था। लेबनान ने अपने तरीके से प्रतिक्रिया दी।

एक बेबस मां और हमारी एक्सक्लूसिव खबर

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...उम्मीद है कि जेएनयू के गायब छात्र नजीब की बेबस मां को सड़क पर घसीटे जाने और हिरासत में लिए जाने की तस्वीर आप भूले नहीं होंगे।...लेकिन अब तमाशा देखिए....जो दिल्ली पुलिस नजीब को 26 दिन से नहीं तलाश कर पाई अब वो नजीब को इमोशनली डिस्टर्ब बता रही है। यानी वो अंदर ही अंदर ही किसी बात को लेकर परेशान था, इसलिए खुद ही गायब हो गया। ...यह महान खबर दिल्ली पुलिस के सूत्रों के हवाले से कुछ अखबारों ने छापी है। ऐसे भी कह सकते हैं कि इस मामले में चारों तरफ से फजीहत की शिकार पुलिस ने यह खबर अखबारों में प्लांट करा दी।  एक्सक्लूसिव की तलाश में भटकने वाले रिपोर्टर साथियों ने तह में जाने की कोशिश नहीं की कि इस खबर का मकसद क्या हो सकता है। दिल्ली पुलिस उन तथ्यों पर पर्दा डाल रही है कि नजीब के हॉस्टल में जाकर जिन स्टूडेंट्स या तत्वों ने मारपीट की थी, वो कौन लोग थे। नजीब उस घटना के फौरन बाद से गायब है। इस मामले में सवाल न पूछने वाले पत्रकार मित्र लगातार गलतियां कर रहे हैं। एक दिन पहले दिल्ली पुलिस खबर छपवाती है कि अब वो नजीब को तलाशने के लिए विदेशों की तर्ज पर सारी घटनाओं को रिकंस्ट्रक्ट करे

मोहर्रम और आज का मुसलमान

इस बार मोहर्रम और दशहरा साथ-साथ पड़े। यानी बुराई के खिलाफ दो पर्व। संस्कृतियों का अंतर होने के बावजूद दोनों पर्वों का मकसद एक ही है। फर्क सिर्फ इतना है कि मोहर्रम बुराई पर अच्छाई की जीत के बावजूद दुख का प्रतीक है, जबकि दशहरा बुराई के प्रतीक रावण को नेस्तोनाबूद किए जाने की वजह से खुशी का प्रतीक है।   कुछ साल पहले ईद और दीवाली आसपास पड़े थे। उसकी सबसे ज्यादा खुशी बाजार ने मनाई थी। कनॉट प्लेस में मेरी जान पहचान वाले एक दुकानदार ने कहा था कि काश, ये त्यौहार हमेशा आसपास पड़ते। मैंने उसकी वजह पूछी तो उसने कहा कि पता नहीं क्यों अच्छा लगता है। बिजनेस तो अच्छा होता ही है लेकिन देश भी एक ही रंग में नजर आता है। ...मैंने दोनों त्यौहारों पर इतना कमा लिया है, जितना मैं सालभर भी नहीं कमा पाता। इस बार दोनों पर्व इस बार ऐसे वक्त में साथ-साथ आए जब पूरी दुनिया हर तरह की बुराई से लड़ने के लिए नया औजार खोज रही है। पुराने कारगर औजार पर या तो उसका यकीन नहीं है या उसकी नजर नहीं है। दशहरा और मोहर्रम धार्मिक होने के बावजूद सांस्कृतिक रंग से सराबोर हैं। दशहरा पर लगने वाले मेलों में जाइए तो आपको वहां हर

पाकिस्तान में ऐसे लोग भी हैं

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मानवाधिकार आय़ोग पाकिस्तान के डायरेक्टर आई. ए. रहमान का लेख वहां चर्चा में है नोट ः मेरा यह लेख आज नवभारत टाइम्स, लखनऊ में ग्लोबल पेज पर छप चुका है। जिसका हेडिंग है - लीक से हट कर बोलते हैं रहमान भारत-पाकिस्तान के बिगड़ते रिश्तों में मीडिया की भूमिका अहम हो गई है। पाकिस्तान के आग उगलते न्यूज चैनल और रक्त रंजित हेडिंग से भरे हुए वहां के अखबारों के बीच पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग के डायरेक्टर आई.ए. रहमान का लेख चर्चा का विषय बन गया है। रहमान के लेख को पाकिस्तान के लोकप्रिय अखबार डान ने अंग्रेजी और उर्दू में पहले पेज पर एंकर प्रकाशित किया है। बता दें कि डान अखबार की स्थापना पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने की थी। ऐसे वक्त में जो उम्मीद भारत सरकार यहां के मीडिया से लगाए बैठी है, वही उम्मीद पाकिस्तान सरकार वहां की मीडिया से लगाए बैठी है। लेकिन डान ने कई मायने में कमाल कर दिया है। डान टीवी ने भारत के रक्षा विश्लेषक सी. उदय भास्कर को पैनल में लाकर और उनकी बात बिना किसी काट-छांट के अपने दर्शकों को दिखा देना, निश्चित रूप से पाकिस्तान सरकार और वहां की आर्मी को पसंद नह

नागपुर फिसल रहा है...

जरा सा #रेलकिराया क्या बढ़ा दिया...पों-पों करके चिल्लाने लगे... जरा सी #दालमहंगी हो गई तो नाबदान के कीड़े बिलबिलाने लगे... जीवन में थोड़ा फेलेक्सी होना सीखिए...देश बदल रहा है अब छाती पर कोल्हू चलाएंगे...क्योंकि #नागपुर फिसल रहा है ...वोट जो तुमने दिया है, उस #इश्क के इम्तेहां तो अभी बाकी है... ....तीन साल और रगड़ेंगे, भर दे पैमाना तू ही तो मेरा साकी है टूटी सड़कों पर #स्मार्टसिटी खड़े कर दिए... रेगिस्तान में भी #हवामहल खड़े कर दिए... #जातिवाद के मुकाबले को #गऊमाता लाए... मुफ्त सिम के लिए #डिजिटलइंडिया लाए... पूंजीवादी #राष्ट्रवाद की नई परिभाषा गढ़ी मैंने लिखी वो ग़ज़ल जो #गुलज़ार ने भी पढ़ी तेरे पास अगर बलूचिस्तान और #पाकिस्तान है झांक गिरेबां में अपने, मेरे पास पूरा #हिंदुस्तान है नोट - गंभीर हिंदी साहित्य पढ़ने वाले कृपया इसमें कविता न तलाशेंः यूसुफ किरमानी