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ये आलू नहीं किसानों के खून के आंसू हैं

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क्या आपकी नजर देश के मौजूदा हालात पर है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में किसानों ने कई टन आलू मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सरकारी आवास के सामने फेंक दिया है। इसके अलावा विधानसभा मार्ग, वीवीआईपी गेस्ट हाउस के पास और लखनऊ शहर के 1090 चौराहों पर आलू फेंके गए। यूपी का किसान भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीति से बेहद नाराज है। राष्ट्रीय किसान मंच के अध्यक्ष शेखर दीक्षित का कहना है कि सरकार की कथनी और करनी में अंतर है। हालात नहीं सुधरे तो किसानों ने आज आलू लखनऊ की सड़कों पर आलू फेंका है, कल गन्ना किसान यही काम कर सकते हैं और परसों गेहूं एवं धान के किसान ऐसा कर सकते हैं। दीक्षित ने कहा कि अगर हालात नहीं सुधरे तो उत्तर प्रदेश में मंदसौर जैसी हिंसा हो सकती है। हालांकि भाजपा सरकार ने आलू फेंकने की घटना को शरारती तत्वों का काम बताया। जिस तरह महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव, पुणे और मुंबई में हुई हिंसा को बाहरी तत्वों का हाथ बताकर पल्ला झाड़ लिया यानी उसने महाराष्ट्र में दलितों और मराठों के संघर्ष को पूरी तरह नजरन्दाज कर मामला दूसरों पर डाल दिया। ठीक यही बात आलू फेंकने की घ