लोकतंत्र की कीमत: क्या बिहार विधानसभा चुनाव भारत में निष्पक्ष इलेक्शन का अंत है?
एक बेहद गंभीर सवाल आज देश के सामने खड़ा है- क्या बिहार विधानसभा चुनाव में वोटरों को सीधे-सीधे खरीदा जा रहा है? क्या देश का चुनाव आयोग इतना पावरलेस हो गया है कि वह इसे बस देखता रहेगा? देखिए, कल यानी शनिवार, 1 नवंबर 2025 को बिहार में लगभग 10 लाख महिलाओं को ₹10,000 की छठी किस्त दी गई। और इससे भी हैरान करने वाली बात यह है कि दूसरे चरण के मतदान 11 अक्टूबर से ठीक 4 दिन पहले, 7 नवंबर को एक और किस्त दिए जाने की तैयारी है! आचार संहिता लागू होने के बाद से - तीन नकद किस्तें पहले ही बांटी जा चुकी हैं! आप खुद बताइए, क्या इसे वोट की खरीद नहीं कहेंगे? चुनाव आयोग के लोग इसे यह कह कर सही ठहरा रहे हैं कि यह तो 'पहले से चल रही योजना' का हिस्सा है! लेकिन इस तर्क की कमजोरी देखिए! यह योजना चुनावों की घोषणा से ठीक एक हफ़्ता पहले शुरू हुई थी! और तो और, इसी चुनाव आयोग ने 2023 में तेलंगाना विधानसभा चुनाव के दौरान 'रायथु बंधु' जैसी पहले से चल रही योजना को तुरंत बंद करवा दिया था। वहाँ योजना बंद, यहाँ बम्पर किस्तों की बौछार! यह दोहरा मापदंड क्यों? अब तक चुनाव आयोग नेता विपक्ष राहुल गांधी के 'वो...