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मार्च, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

इस रामनवमी पर एक चमत्कार हुआ

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- यूसुफ किरमानी  रामनवमी के सुखद संदेश... रामनवमी का जुलूस कल हमारे घर के पास गुज़रा। मेरा घर दिल्ली  के मुहल्ले में है। मुहल्ले से मतलब घेटो में रहने वाला अब्दुल मत समझिएगा।  ऐसा जुलूस हर साल गुज़रता है।  इस बार कुछ बदलाव था। इस बार शोभायात्रा या जुलूस में एक नया नारा था- मोदी योगी अमर रहें। यह नारा जय श्रीराम के नारे का अग़ला चरण है। जब हम नए नारे देते हैं तो सुखद अनुभूति होती है। रामनवमी एक धार्मिक त्यौहार है। भारत में रामनवमी पर इस नए नारे का लगना सनातन धर्म के लिए गौरवशाली पल होना चाहिए।  आख़िरकार मोदी-योगी ज़िन्दा कौम की निशानी हैं।  सनातन धर्म में दो राजनीतिक नेताओं का रामनवमी पर पूजा जाना एक धर्म के प्रगतिशील होने की निशानी ही कही जाएगी। ऐसे धर्म को प्रणाम। वो दरबारी कवि, कथाकार, शायर, पत्रकार कहाँ हैं जो इन गौरवशाली पलों को कलमबंद नहीं कर रहे हैं। ख़ैर, जाने दीजिए। मैं लिख रहा हूँ, क्या कम है? मेरा कंटेंट मुफ़्त है। कोई शुल्क नहीं।  आप बोर हो रहे हैं। आप जो पढ़ना चाहते हैं वो माल हमारी दुकान में नहीं है। आइए, विषय परिवर्तन करते हैं। ये विषय पसंद पाएगा। भारत के कुछ हिस्सों में

क्या आप अनुभव सिन्हा की भीड़ के साथ हैं?

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  Are you with Anubhav Sinha’s “Bheed” ? -यूसुफ किरमानी  दो सूचनाओं पर आप ग़ौर फ़रमा सकते हैं। डायरेक्टर अनुभव सिन्हा ने एक फ़िल्म बनाई भीड़। यह लॉकडाउन के दौरान बिहार-यूपी के मज़दूरों के बड़े शहरों को छोड़कर अपने गाँव लौटने की कहानी है।  इस फ़िल्म के ट्रेलर को बीती रात यानी गुरूवार की रात सोशल मीडिया (Social Media) और अन्य मंचों से हटवा दिया गया। इस फ़िल्म में पैसा लगाने वाले टी सीरीज़ भी इस मामले में पीछे हट गया। इस फ़िल्म में प्रवासी मज़दूरों की (Migrant Labours) सच्ची कहानी है। इसमें कोरोना फैलाने के लिए मुसलमानों को ज़िम्मेदार ठहराने वाले भगवा झूठ का  सच बयान किया गया है। इसमें सूटकेस पर सोते बच्चे, इसमें साइकल से पूरे परिवार को ढोते मज़दूर, इसमें भूखे प्रवासी मज़दूरों को रोककर मुस्लिम युवकों द्वारा उनके लिए पानी और खाने का इंतज़ाम करते जत्थे की कहानियाँ हैं।  फ़िल्म का ट्रेलर यहाँ देखिए चूँकि मैं एक पत्रकार हूँ तो इन घटनाओं का चश्मदीद भी हूँ। हम लोग इन तथ्यों को फ़ोटो, वीडियो के साथ बता चुके हैं लेकिन अनुभव सिन्हा के कहानी बताने का अंदाज निराला है। अनुभव सिन्हा का अनुभव एक-एक किर

हिन्दू धर्म और कैलासा

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- यूसुफ किरमानी  हिन्दू धर्म सचमुच बहुत लचीला और सहनशील है। यहाँ हिन्दू के साथ धर्म शब्द का इस्तेमाल जानबूझकर किया गया है। हालाँकि हिन्दू कोई धर्म नहीं है लेकिन भारत में हिन्दू की पहचान अब धर्म के रूप में ही होने लगी है।  लेकिन हिन्दू धर्म से निकला कैलासा (Kailasa) तो बहुत ही अजब-गजब है। हिन्दू धर्म (Hindu Dharma) के लचीले होने की वजह से कैलासा का जन्म हुआ। कैलासा की कहानी दिलचस्प है। The Kailasa Story... बेंगलुरु या बंगलौर में एक बाबा नित्यानंद था (थे)। क़रीब एक दर्जन लड़कियों ने रेप की शिकायत कर दी। बाबा नित्यानंद भारत छोड़कर भाग निकला। उसने कहीं एक टापू ख़रीदा है जिसका नाम यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा है। यानी यूएसके। कुछ कुछ अमेरिका जैसी फ़ीलिंग वाला देश। यह टापू इक्वाडोर के पास कहीं बताया जा रहा है। कैलासा की नागरिकता के लिए आवेदन माँगे गए हैं। इसकी साइट पर अंग्रेज़ी में लिखा गया है कि भारत के सभी प्रताड़ित हिन्दू कैलासा नामक देश की नागरिकता ले सकते हैं। लेकिन शर्त है कि आप प्रताड़ित हिन्दू हों। जो अघोषित नियम है, उसके मुताबिक़ नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, विजय माल्या जैसी बैकग्राउंड और