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बोलो, अंकल सैम, पूंजीवाद जिंदाबाद या मुर्दाबाद

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एक कम्युनिस्ट देश (communist countries) के रूप में जब रूस टूट रहा था तो उस वक्त अति उत्साही लोगों ने लहगभग घोषणा कर दी थी कि पूंजीवादी देश (capitalist countries) ही लोगों को तरक्की के रास्ते पर ले जा सकते हैं। अमेरिका को इस पूंजीवादी व्यवस्था (capitalism) का सबसे बड़ा रोल मॉडल बताया गया। रूस से टूटकर जो देश अलग हुए और उन्होंने कम्युनिज्म मॉडल को नहीं अपनाया, उन देशों ने कितनी तरक्की की या आगे बढ़े, इस पर कोई चर्चा नहीं की जाती। लेकिन अब अमेरिकी पूंजीवाद के खिलाफ अमेरिका में ही आवाज उठने लगी है। वहां के प्रमुख अखबार वॉशिंगटन पोस्ट में इस सिलसिले में कई लेख प्रकाशित हुए जिसमें मौजूदा आर्थिक मंदी, वहां के बैंको के डूबने की वजह, इराक में जबरन दादागीरी के मद्देनजर पूंजीवादी व्यवस्था को जमकर कोसा गया है। इसके लिए जॉर्ज डबल्यू बुश की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया गया है। इतना ही नहीं उसमें कहा गया है कि कहां तो हम रोल मॉडल बनने चले थे और कहां अब हमारा अपना तानाबाना ही बिखर रहा है। हमारी नीतियों की वजह से कुछ अन्य देश भी मंदी (recession) का शिकार हो रहे हैं। कल तक जो देश हमारे लिए एक आकर्षक बाजा