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अहमदाबाद की दीवारें

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हथियार बेचने आ रहे हिरोशिमा के क़ातिलों की संतान के स्वागत में वो कौन लाखों लोग अहमदाबाद की सड़कों पर होंगे ? दीवार के इस पार या उस पार वाले नरोदा पाटिया वाले या गुलबर्गा वाले। डिटेंशन कैंप सरीखी बस्तियों वाले या खास तरह के कपड़े पहनने वाले।। वो जो भी होंगे पर किसान तो नहीं होंगे तो क्या वो फिर जियो के कामगार होंगे। नरसंहारक होंगे या दुष्प्रचारक होंगे तड़ीपार होंगे या फिर चिड़ीमार होंगे।। हो सकता है वो फ़क़ीरी सरदार हों दस लाख के सूट वाले असरदार हों। लुटते पिटते दलितों के रिश्तेदार हों या वो नागपुर से आए चौकीदार हों।। आओ ऐसी बाँटने वाली दीवारें गिरा दें हर कोने में शाहीनबाग आबाद करा दें। सब मक्कार तानाशाहों को झुका दें नागरिकता के मायने इन्हें भी बता दें।। -यूसुफ़ किरमानी Ahamadaabaad kee Deevaaren hathiyaar bechane aa rahe hiroshima ke qaatilon kee santaan ke svaagat mein vo kaun laakhon log ahamadaabaad kee sadakon par honge ?  deevaar ke is paar ya us paar vaale naroda paatiya vaale ya gulabarga vaale.  ditenshan kaimp sa

क्या इसे ‘रामराज्य’ कहते हैं ?

लेखक :  पंकज त्रिवेदी,   ગુજરાતી - हिन्दी साहित्यकार एवं  संपादक - विश्वगाथा (हिन्दी साहित्य की  त्रैमासिक   प्रिंट  पत्रिका) छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने देशभक्त और बुद्धिमान होने के लिए अपनी ही एक परिभाषा दे दी। मनोज तिवारी ने कहा – “वे लोग देशभक्त और बुद्धिमान होते हैं, जिनकी माँ छठपूजा करती हैं। सोनिया गांधी ने कभी छठ पूजा नहीं की, अगर सोनिया जी ने छठ पूजा की होंती तो बड़ा बुद्धिमान..आता.. छठ की पूजा किया करिए आप लोग.. न कर सकें तो साथ में शामिल होइए।'' महिलाओं का सम्मान नहीं करने वाला ये सड़कछाप गवैया पहले भी एक शिक्षिका को मंच से अपमानित करते हुए उतरने का आदेश देकर कार्यवाही करने की धमकी दे चूका है। बहुत से राज्यों में छठ पूजा नहीं होती। गुजरात में भी नहीं होती तो क्या मोदी जी और अमित शाह को भी मनोज तिवारी ने उस कटघरे में खड़ा कर दिया, जिसके लिए उन्हों ने व्यंग्य किया था ! बीजेपी आलाकमान के आगे पीछे चलकर ये गवैया क्या साबित करना चाहता है? जनता यदि एक कलाकार का सम्मान करते हुए उसे सांसद बनने