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ब्लॉगिंग पर खतरा...चर्चा जारी है

ब्लॉगिंग पर मंडरा रहे खतरे को लेकर तमाम लोगों ने यहां और अन्य जगहों पर अपनी चिंता जाहिर की है। लेकिन एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो चाहता है कि अगर अनाप-शनाप ब्लॉगिंग पर अदालत या उसकी आड़ में सरकार किसी तरह का नियंत्रण करती है तो उसमें बुराई नहीं है। इन लोगों का यह भी कहना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कि आप किसी के खिलाफ कुछ भी लिख दें या आरोप लगा दें या प्रोपेगंडा करें। लेकिन इस मुद्दे के अलावा और तमाम बातें और मुद्दे हैं, जिन पर इसी के साथ-साथ आगे बढ़ना जरूरी है। फिर भी अगर कोई इस चर्चा को जारी रखना चाहता है तो वह अपनी टिप्पणी अथवा लेख के जरिए इस ब्लॉग पर जारी रख सकता है। तब तक हम लोग कुछ और मुद्दों की तरफ बढ़ते हैं लेकिन यह मुद्दा अभी बरकरार है।...

तेरा क्या होगा ब्लॉगर्स !

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ब्लॉगिंग और ब्लॉगर्स पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के संदर्भ में मेरा जो लेख यहां आप लोगों ने पढ़ा और अपनी चिंता से अवगत कराया, वह यह बताने के लिए काफी है कि सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश को आम ब्लॉगर्स (वे नहीं जो किसी समुदाय या धर्म अथवा विचारधारा के खिलाफ घृणा अभियान चलाते हैं) ने काफी गंभीरता से लिया है। फिर भी कुछ लोग हैं जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को अच्छा बता रहे हैं और हमारे और आप जैसे लोगों को पाठ पढ़ा रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को सही भावना से लिया जाना चाहिए। चलिए पहले तो यह तय हो जाए कि सही क्या है और जो लोग सच के साथ होने का दम भरते हैं वे खुद कितना सच बोलते हैं। सोचिए जरा...अगर आप किसी संचार माध्यम अथवा ब्लॉग पर कुछ लिख-पढ़ रहे हैं तो इतना तो आपको भी पता होगा कि लिखते वक्त लिखने वाले की कुछ जिम्मेदारी बनती है, वरना अगर बंदर के हाथ में उस्तरा पकड़ा दिया जाएगा तो वह पहले अपने ही गर्दन पर चला लेगा। कुछ लोगों ने दबी जबान से यह कहने की कोशिश की है कि अगर किसी ब्लॉग के जरिए कोई किसी संगठन अथवा दल के खिलाफ घृणा अभियान चलाता है तो उसके सामने पुलिस की शरण में जाने के अलावा

ब्लॉगिंग पर लगेगा पहरा, आप जाएंगे जेल

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यह लेख सुप्रीम कोर्ट के फैसले के संदर्भ में तुरत-फुरत में लिखा गया है। यह जिस संदर्भ में वह खबर नीचे दी गई है। कृपया उस खबर को जरूर पढ़ें, तभी सही संदर्भ समझ में आएगा। - यूसुफ किरमानी ब्लॉगर्स पर लगाम कसने वाली है और हैरानी की बात है कि इसके विरोध के स्वर कहीं से नहीं सुनाई दे रहे हैं। जिन्होंने 24 फरवरी को द टाइम्स आफ इंडिया के पेज 9 पर इस आशय की खबर पढ़ी होगी, वे जरूर चिंतित होंगे। लेकिन इसकी आहट काफी पहले से सुनाई दे रही थी और किसी भी स्तर पर इसके विरोध की शुरुआत नहीं हुई थी। पहले यह जानिए की हुआ क्या है। केरल में रहने वाले 19 साल के अजिथ डी अपना ब्लॉग चलाते हैं। वह अपने ब्लॉग में शिवसेना की गुंडागर्दी के खिलाफ बराबर और असरदार ढंग से लिखते रहे हैं। यह सब शिवसेना को भला क्यों अच्छा लगता। महाराष्ट्र में शिवसेना यूथ विंग के राज्य सचिव ने अगस्त 2008 में मुंबई के ठाणे पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज कराई कि इस ब्लॉग के जरिए शिवसेना के खिलाफ लिखकर घृणा फैलाई जा रही है और खासकर इसमें जो लोग टिप्पणी करते हैं उससे समाज में वैमनस्यता बढ़ सकती है। पुलिस ने भी बिना पड़ताल अजिथ डी के खिलाफ धारा 50

हम सभी को रोशनी की जरूरत है...

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आप सभी बलॉगर्स को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। उनका भी शुक्रिया जिन्होंने मेरे लेखों को पढ़ने के बाद यहां पर या ई-मेल के जरिए प्रतिक्रिया के बहाने दीपावली की शुभकामना दी। उम्मीद है हम लोगों का यह कारवां इसी तरह आगे बढ़ता रहेगा। (आमीन)

क्षमा चाहता हूं

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पता नहीं ब्लॉग स्पॉट डॉट कॉम (BLOGSPOT.COM) वालों को क्या लगा कि उन्होंने मेरे ब्लॉग को लॉक कर दिया है। इस दौरान कई लोग आए और यूं ही लौट गए, कुछ ने वहां संदेश पढ़ने के बाद ब्लॉग को explore किया। माजरा क्या है – ब्लॉग स्पॉट डॉट कॉम को लग रहा है कि इस ब्लॉग पर spaming करने के लिए लिंक दिए गए हैं, क्योंकि सारे लिंक एक ही साइट पर जा रहे थे। दरअसल, यह चिट्ठाजगत की वजह से हुआ, जिसके कई सारे लिंक मेंने यहां अलग-अलग वजहों से दिए थे लेकिन अब एक लिंक को छोड़कर बाकी सब हटा लिया है। ब्लॉग स्पॉट को भी इस बारे में सूचित किया गया है, अब देखना है कि भाई लोग कब ताला खोलते हैं जिससे आपको यहां आने में हो रही असुविधा खत्म हो। बहरहाल, मैं उन तमाम मित्रों का आभारी हूं जिन्होंने मुझे इसके लिए ईमेल किए और रजिया राज़ ने तो असुविधा के बाद भी टिप्पणी लिखी। कृपया सहयोग बनाए रखें। एक और बात – इस ब्लॉग पर अगर कोई कुछ लिखना चाहता है तो उसका स्वागत है। आप मुझे अपना लेख ईमेल के जरिए भेज सकते हैं। लेख के लिए कोई नीति तय नहीं की गई है लेकिन एक बात जो मैं साफ करना चाहूंगा कि कृपया सामाजिक सरोकार (social concerns)को अगर