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हमारा तेल खरीदो, हमारा हथियार खरीदो...फिर चाहे जिसको मारो-पीटो

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भारत अमेरिका-इस्राइल-अरब के जाल में फँस गया है। नया वर्ल्ड ऑर्डर (विश्व व्यवस्था) अपनी शर्तें खुलेआम बता रहा है। ...हमारा तेल ख़रीदो और हमारे ही हथियार ख़रीदो। नहीं तो बम धमाकों, तख़्ता पलट, दंगों का सामना करो।...अगर किसी आतंकवादी गुट से बातचीत या समझौता करना होगा तो वह भी हम करेंगे। अगर तुम अपने देश में अपनी किसी आबादी या समूह पर जुल्म करना चाहते हो, उनका नरसंहार करना चाहते हो तो वह हमारी बिना मर्जी के नहीं कर सकते। हमारी सहमति है तो उस आबादी और समूह से तुम्हारी फौज, तुम्हारी पुलिस कुछ भी करे, हम कुछ नहीं बोलेंगे। बस तुम्हारी अर्थव्यवस्था हमारी मर्जी से चलनी चाहिए और वहां के समूहों को कुचलने में हथियार हमारे इस्तेमाल होने चाहिए।  इस वर्ल्ड ऑर्डर में चीन और उसका सिल्क रूट, ईराऩ जैसे कई मुल्क सबसे बड़ी बाधा हैं। भारत ने तटस्थ होने की कोशिश की लेकिन उसके नेता नैतिक साहस नहीं जुटा पाए और अमेरिकी वर्ल्ड आर्डर के सामने घुटने टेक दिये। #अमेरिका ने #भारत से कहा, #ईरान का तेल मत ख़रीदो, हम सऊदी अरब से महँगा तेल दिलवा देंगे लेकिन ख़रीदना सऊदी का तेल ही पड़ेगा।

देवताओं का वॉर रस प्रवचन

देवता आसमान से पुष्प वर्षा कर रहे हैं...आज वॉर रस पर प्रवचन का दिन है... देवता वॉर वाणी (War Sermons) कर रहे हैं...बच्चा जीवन में टाइमिंग का ही महत्व है।...कुछ कार्य का समय चुन लो...वॉर रस से मंत्रमुग्ध जनता को अगर शांति पाठ करने को कहोगे तो तुम्हें कच्चा चबा जाएगी लेकिन वॉर रस में अगर उसे पबजी गेम में भी अटैक बोलोगे तो वह ख़ुश हो जाएगी। टाइमिंग की कला जिसको आती है, वही वीर है। अच्छे टाइमिंग का ताजा उदाहरण देखो...कल वॉर मेमोरियल (War Memorial) का उद्घाटन हुआ, आज यानी 26 फ़रवरी को  भारतवर्ष की सेना ने अपने पड़ोस में जाकर कई किलो बम गिरा दिए...नोमैंस लैंड में क़रीब तीन सौ लोग मारे गए...कई आतंकी शिविर हमेशा के लिए तबाह हो गए। यही टाइमिंग है...वॉर रस में डूबी जनता को अपना टॉपिक और टॉनिक मिल गया है। सीआरपीएफ़ जवानों की तेरहवीं के दिन किए गए इस अटैक से संबंधित पक्षों ने कई हसरतें पूरी कर ली हैं। वॉर रस में डूबी जनता जश्न मोड में आ चुकी है। स्कूलों में पढ़ाई की जगह बच्चों में भी नारे लगवा कर वॉर रस का संचार किया जा रहा है। जब तक इस वॉर रस का ख़ुमार उतरेगा तो धर्म का रस तैयार है।

अलीबाबा के जैक मा की बातें और अपना देश भारत...

यहां मैं आप लोगों के लिए एक विडियो पोस्ट कर रहा हूं जो पूरा देखने के बाद आपको सोचने को मजबूर कर देगा। हालांकि उसमें कही बातों को मैं अपनी बात के साथ आप लोगों के पढ़ने के लिए यहां दे रहा हूं। लेकिन हो सकता है कि अनुवाद में कुछ कमियां हों, इसलिए अगर आप पूरा विडियो देखेंगे तो ज्यादा बेहतर होगा। दुनिया की बड़ी कंपनियों में गिनी जाने वाली अलीबाबा (Alibaba) के मालिक जैक मा (Jack Ma) को हाल ही में हॉगकॉग यूनिवर्सिटी ने पीएचडी से नवाजा है। इस मौके पर जैक मा ने जो बातें कहीं हैं, उसका संबंध भारत से या किसी भी देश से जुड़ता है।... जैक मा कहते हैं... तमाम नाकामियों की वजह से मैं यही सोचता था कि कभी मुझे पीएचडी की डिग्री किसी यूनिवर्सिटी से मिलेगी। यह मेरा सपना था। लेकिन मैं हिम्मत नहीं हारा। एक दिन ऐसा भी आता है जब कोई यूनिवर्सिटी आपको पीएचडी की डिग्री देने को बेताब होती है... एक अच्छा बिजनेसमैन सिर्फ पैसा कमाना ही नहीं जानता, बल्कि उस पैसे को अच्छी तरह खर्च करना भी जानता है। लेकिन हम सिर्फ पैसा कमाने के लिए जिंदा नहीं रहते।...अगर आपके पास 10 लाख डॉलर हैं, वो आपक

फिक्सर्स के देश में बिलबिलाते लोग

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देश को फिक्सर्स चला रहे हैं... वह कोई भी देश हो सकता है। अपना भी हो सकता है। पड़ोस हो सकता है। सात समंदर पार हो सकता है। मतलब कि वह कोई देश है जिसे सब लोग फ़िक्स करने में जुटे हैं।...जी हाँ, वही देश महाराज, जिस आप कहा करते हैं कि यह भी कोई देश है महाराज... ...तो यक़ीन मानिए यहां सब कुछ फ़िक्स है। यह देश फिक्सर्स के क़ब्ज़े में है।... क्रिकेट मैचों के फिक्सर्स के वक़ील उन्हें सरकार में डिफ़ेंड (बचाव) करते हैं। यही फिक्सर्स इंश्योरेंस लॉबी के गेम को बजट में फ़िक्स करते हैं...यही फिक्सर्स अदालत में खड़े होकर आवारा पूँजीवाद के झंडाबरदारों का केस फ़िक्स करते हैं...आप फँस चुके हैं। फिक्सर्स आपको भागने नहीं देगा।...आप कहाँ तक भागोगे।.... कहीं भी चले जाओ हर जगह छोटा मोटा फिक्सर आपको मिल जाएगा। रेलवे आरक्षण केंद्र पर जाओ फिक्सर हाज़िर मिलेगा। बच्चे का एडमिशन सरकारी स्कूल तक में कराना हो तो फिक्सर की सेवाएँ उपलब्ध हैं। हर मंत्री के दफ़्तर के बाहर तो फिक्सर बाक़ायदा तैयार किए जाते हैं। ...हद तो तब हो गई जब मैं अपने ताऊ जी का मृत्यु प्रमाणपत्र लेने नगर निगम गया तो वहाँ का क्लर्क बि

भारत...क्या तुम इसी लायक हो

  अमेरिका (#US) में इन दिनों जो कुछ भी घट रहा है , उसके बाद यह कहना और मानना ही पड़ेगा कि विश्व का सबसे बड़ा लोकतांतिक देश कहलाने का हक उसे ही है। उसके मुकाबले हमारे भारत के लोकतंत्र (#Democracy) का जनाजा रोज निकल रहा है और उसका गुब्बारा अब फटने की कगार पर है। पांच राज्यों में चुनाव प्रचार चल रहा है। चुनाव आयोग को रोजाना ठेंगा दिखाते हुए हर पार्टी का नेता बयान देता है। आयोग नोटिस देकर चुप हो जाता है। क्योंकि खद्दरधारियों ने उसे नोटिस देने से आगे कुछ और करने से रोक रखा है। प्रधानमंत्री से लेकर यूपी के सीएम अखिलेश यादव, आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल, मायावती, कांग्रेस के राहुल गांधी, डिफेंस मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर समेत किसी भी नेता पर ऊंगली रखिए, कोई ऐसा नहीं होगा, जिसने आचार संहिता न तोड़ी हो। इस सिलसिले में सूचना प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद का ताजा बयान सबसे निंदनीय है। इस शख्स ने अभी दो दिन पहले कहा कि चुनाव के बाद हम तीन तलाक (#TripleTalaq) के खिलाफ कानून बनाएंगे। प्रसाद के इस बयान के पीछे मकसद साफ है। ये मुसलमानों को सीधी धमकी है। अगर तुमने हमे वोट नहीं दिया त

आओ चलो टिम्बर की खेती करें

आओ, चलो #टिम्बर की खेती करें गेहूं, धान बोने की जरूरत क्या है टिम्बर है तो जीवन में अंबर है बिना टिम्बर जीवन भयंकर है आओ, चलो टिम्बर की खेती करें गन्ना, #अरहर बोने की जरूरत क्या है टिम्बर है तो जीवन कलंदर है बिना टिम्बर जीवन समंदर है आओ, चलो टिम्बर की खेती करें साग, सरसों बोने की जरूरत क्या है टिम्बर है तो जीवन #हिंदुस्तान है बिना टिम्बर जीवन #पाकिस्तान है आओ, चलो टिम्बर की खेती करें मक्का, बाजरा बोने की जरूरत क्या है टिम्बर है तो जीवन #गाय है बिना टिम्बर जीवन चाय है आओ, चलो टिम्बर की खेती करें ज्वार,ग्वार बोने की जरूरत क्या है टिम्बर है तो जीवन फलित है बिना टिम्बर जीवन #दलित है आओ, चलो टिम्बर की खेती करें टमाटर, आलू बोने की जरूरत क्या है टिम्बर है तो जीवन #मनकीबात है बिना टिम्बर जीवन पेट पर लात है आओ, चलो टिम्बर की खेती करें खेत, खलिहान की जरूरत क्या है टिम्बर है तो जीवन #अडानी है बिना टिम्बर जीवन #किरमानी है संदर्भ ः यह कविता #प्रधानमंत्री नरेंद्र #मोदी के मन की बात के ताजा प्रसारण में आए टिम्बर

सुन रहा है न तू...

जुमलेबाजों के लिए किसानों के आंसू मायने नहीं रखते ....................................................................... कल बारिश के साथ ओले पड़े...तीन दिन पहले भी बारिश हुई थी ओले पड़े थे... मैं पिछले चार दिन से इस इंतजार में था कि कोई नेता, कोई मंत्री, कोई प्रधान चौकीदार कम से कम दो शब्द बोलकर उन किसानों के आंसू पोंछने की कोशिश करेगा, जिनके गेंहू की फसल इस अचानक बदले मौसम में बर्बाद हो गई... लेकिन कहीं कोई बयान...कहीं कोई सहायता की घोषणा नहीं हुई...इस बारिश और ओले ने छोटे किसान को तो बर्बाद कर दिया है लेकिन संजीव बालियान, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, बीरेंद्र सिंह जैसे बड़े तथाकथित किसानों को भी नुकसान पहुंचा है...लेकिन मजाल है कि किसी के मुंह से कोई लफ्ज निकला हो...मजाल है कि किसी मदद की घोषणा की गई... अब जरा अपनी आंखों के सामने दिल्ली की यमुना नदी के किनारे की कल की वो तस्वीर लाइए...गुरुजी के साथ विशालकाय मंच पर देश के प्रधान चौकीदार... सामने नर्तकियां, संगीतकार, भजन गायक....और न जाने क्या-क्या...मंच से देश को बताया जा रहा है कि ऐसे ही कार्यक्रम