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सिर्फ परंपरा निभाने के लिए मत मनाइए बकरीद

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आपकी नजर से वह तस्वीरें जरूर गुजरी होंगी, जिनमें कुरबानी (Sacrifice) के बकरे काजू, बादाम और पिज्जा (Pizza)खाते हुए नजर आ रहे होंगे। यह सिलसिला कई साल से दोहराया जा रहा है और हर साल यह रिवाज बढ़ता ही जा रहा है। जिसके पास जितना पैसा (Money)है, वह उसी हिसाब से कुरबानी के बकरे की सेवा करता है और उसके बाद उसे हलाल कर देता है। यह अब रुतबे का सबब बन गया है। जिसके पास जितना ज्यादा पैसा, उसके पास उतना ही शानदार कुरबानी का बकरा और उसकी सेवा के लिए उतने ही इंतजाम। इस्लाम के जिस संदेश को पहुंचाने के लिए इस त्योहार का सृजन हुआ, उसका मकसद कहीं पीछे छूटता जा रहा है। इस त्योहार (Festival)की फिलासफी किसी हलाल जानवर की कुरबानी देना भर नहीं है। इस्लाम ने इसे अपनी संस्कृति का हिस्सा सिर्फ इसलिए नहीं बनाया कि लोग खुश होकर खूब पैसा लुटाएं और उसका दिखावा भी करें। हजरत इब्राहीम से अल्लाह ने अपनी सबसे कीमती चीज की कुरबानी मांगी थी। उन्होंने काफी सोचने के बाद अपने बेटे की कुरबानी का फैसला किया। उनके पास एक विकल्प यह भी था कि वह किसी जानवर की बलि देकर अपनी भक्ति पूरी कर लेते, लेकिन उन्होंने वह फैसला किया जिसके

इस कुरबानी को भी पहचानिए

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मेरा यह लेख शुक्रवार 27 नवंबर 2009 को नवभारत टाइम्स , नई दिल्ली में संपादकीय पेज पर प्रकाशित हुआ। इस लेख को नवभारत टाइम्स से साभार सहित मैं आप लोगों के लिए इस ब्लॉग पर पेश कर रहा हूं। यह लेख नवभारत टाइम्स की वेबसाइट पर भी है, जहां पाठकों की टिप्पणियां आ रही हैं। अगर उन टिप्पणियों को पढ़ना चाहते हैं तो वहां इस लिंक के जरिए पहुंच सकते हैं - http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/5272127.cms -यूसुफ किरमानी बकरीद अपने आप में बहुत अनूठा त्योहार है। हालांकि इस्लाम धर्म के बारे में ज्यादा न जानने वालों के लिए यह किसी हलाल जानवर को कुरबानी देने के नाम पर जाना जाता है लेकिन बकरीद सिर्फ कुरबानी का त्योहार नहीं है। यह एक पूरा दर्शन है जिसके माध्यम से इस्लाम ने हर इंसान को एक सीख देने की कोशिश की है। हालांकि कुरानशरीफ की हर आयत में इंसान के लिए पैगाम है लेकिन इस्लाम ने जिन त्योहारों को अपनी संस्कृति का हिस्सा बनाया, वह भी कहीं न कहीं कुछ संदेश लिए नजर आते हैं। अल्लाह ने हजरत इब्राहीम से उनकी सबसे प्यारी चीज कुरबान करने की बात कही थी, इब्राहीम ने काफी मनन-चिंतन के बाद अपने बेटे की कुरबान