संदेश

Kashmir लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कहानी ...इंसानी पाबंदियां

चित्र
-इस कहानी को कई पत्रिकाओं में छपवाने की कोशिश की गई। लेकिन किसी भी पत्रिका ने कश्मीर पर आधारित इस कहानी को छापने में दिलचस्पी नहीं ली। इसलिए यह कहानी हिंदीवाणी ब्ल़़ॉग पर पेश है... सर्दियां बीत रही हैं। लेकिन  इस बार यह आम सर्दी का मौसम नहीं है। ज़हरीली आब-ओ-हवा फ़िज़ा में चारों तरफ़ है। नफ़रतों का तूफ़ान पूरी तरह सब कुछ रौंदने पर आमादा है। कुदरत के तूफान को कैटरीना, हरिकेन, बुलबुल जैसे नाम नसीब हैं लेकिन इंसानी नफरत के तूफान को कोई नाम देने को तैयार नहीं है। नफरत का तूफान जो कभी अपने हरे, नीले, पीले, भगवा, बसंती जैसे रंगों से पहचाना जाता था, अब वह ‘इंसाफ’ के साथ मिलकर इंद्रधनुष बना रहा है। कहना मुश्किल है कि नफरतों के तूफान का इंसाफ के इंद्रधनुष से क्या रिश्ता है लेकिन फिलहाल दोनों एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं। हर साल नवंबर का पहला हफ़्ता बीतते बीतते हमारे घर की डोर बेल ज़ोर से बजती थी और दरवाज़ा खोलने पर गेट पर कपड़ों का गठ्ठर लादे और हाथ में काग़ज़ की स्लिप लिए शफ़ीक़ #कश्मीरी नज़र आता था। लेकिन पूरा नवंबर खत्म हो गया। दिसंबर आकर चला गया लेकिन शफीक का दूर-दूर तक अता

कश्मीर डायरी ः सियासी मसले बुलेट और फौज से नहीं सुलझते....

चित्र
जम्मू कश्मीर में 5 अगस्त को जब भारत सरकार ने धारा 370 खत्म कर दी और सभी प्रमुख दलों के नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया तो उन नेताओं में सीपीएम के राज्य सचिव और कुलगाम से विधायक यूसुफ तारिगामी भी थे। उनकी नजरबंदी को जब  एक महीना हो गया तो सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की कि उनके कश्मीरी नेता यूसुफ तारिगामी की सेहत बहुत खराब है। उन्हें फौरन रिहा किया जाए ताकि उनका इलाज कराया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ यूसुफ तारिगामी की रिहाई का आदेश दिया बल्कि उन्हें दिल्ली के एम्स में लाकर इलाज कराने का निर्देश भी दिया। यूसुफ तारिगामी एम्स में इलाज के बाद ठीक हो गए और वहां से दिल्ली में ही जम्मू कश्मीर हाउस में चले गए, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में केस अभी लंबित है। मैंने उनसे जाकर वहां कश्मीर के तमाम मसलों पर बात की। जिसे आज नवभारत टाइम्स ने प्रकाशित किया। पूरी बातचीत का मूल पाठ मैं यहां दे रहा हूं लेकिन नीचे एनबीटी में छपी हुई खबर की फोटो ताकि सनद रहे के लिए भी लगाई गई है।.... सियासी मसले बुलेट और फौज से नहीं सुलझते Yusuf.Kirmani@timesgroup.com दिल्ली