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उस दिन जो रामजस कालेज में हुआ...एक स्टूडेंट का पत्र....

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देश के गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू का कहना है कि केंद्र सरकार किसी भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी को राष्ट्रविरोधी नारे लगाने वालों का अड्डा नहीं बनने देगी लेकिन यह मंत्री रामजस कॉलेज के उन सैकड़ों स्टूडेंस की आवाज सुनने को राजी नहीं है कि आखिर 22 फरवरी को उनके साथ क्या हुआ था...हिंसा करने वाले कौन थे। दिलीप सॉइमन के ब्लॉग पर मुझे रामजस कॉलेज के ही एक स्टूडेंट का पत्र मिला, जिससे सारी असलियत सामने आई है। मुख्यधारा की मीडिया में जो दिखाया गया और छापा गया, उससे भी ज्यादा बदमाशी उस दिन रामजस कॉलेज में हुई...कैसे पुलिस ने हिंसा करने वालों का साथ दिया कैसे एक गुंडागर्दी को अब देशभक्ति और गलत राष्ट्रवाद से जोड़ा जा रहा है, रामजस की घटना उसका जीता जागता उदाहरण है।...आने वाले दिनों में ऐसी घटनाएं बढ़ने वाली हैं और उसके नतीजे उन लोगों को भी भुगतने होंगे जिन्हें इस तरह के राष्ट्रवाद पर अभी बहुत प्रेम उमड़ रहा है... अगर मिल सके तो 23 फरवरी को अमर उजाला ने पहले पेज पर एक फोटो छापा है जो बताता है कि पुलिस ने किस तरह इस घटना में हरकत की। आपको एक पुलिस वाला एक छात्रा को आपत्तिजनक से ढंग से छूता हुआ दिखाई