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आइए, एक जेहाद जेहादियों के खिलाफ भी करें

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मेरा यह लेख नवभारत टाइम्स, दिल्ली में 27-12-2008 को संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित हुआ है। इस ब्लॉग के पाठकों और मित्रों के लिए प्रस्तुत कर रहा हूं। उम्मीद है कि मेरा संदेश जहां पहुंचना चाहिए, पहुंचेगा।...यूसुफ किरमानी इन दिनों तमाम इस्लामिक मुद्दों पर बहस खड़ी हो रही है, लेकिन उतने ही मुखर ढंग से कोई उन बातों और आयतों को समझने-समझाने की कोशिश करता नज़र नहीं आता, जो हमारे मजहब में जिहाद के बारे में लिखी और कही गई हैं। जिहाद का अर्थ है इस्लाम के लिए आर्थिक और शारीरिक रूप से कुर्बानी देना। जब कोई यह कहता है कि जिहाद का मतलब अन्य मतावलंबियों, इस्लाम के विरोधियों या दुश्मनों की हत्या करना है, तो वह सही नहीं है। दरअसल, इस्लामिक मूल्यों और शिक्षा का प्रचार जिहाद है, न कि हिंसा। जिहाद हमें यह बताता है कि कोई इंसान कैसे अपनी इच्छाओं को अल्लाह के आदेश के तहत रखे और किसी तानाशाह के भी सामने निडरता से सच बात कहे। जिहाद शब्द दरअसल 'जाहद' से बना है, जिसका अर्थ है कोशिश करना, कड़ी मेहनत करना। इसकी एक मीमांसा यह भी है कि इस्लाम की रक्षा के लिए न सिर्फ अपने परिवार या रिश्तेदारों, बल्कि अपने देश को