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जामिया...आइए कुतर्क करें

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जामिया यूनिवर्सिटी पर वाले नीचे के लेख पर यहां-वहां की गई टिप्पणियां आप लोगों ने देख ली होंगी। टिप्पणी करने वालों ने आपस में भी बहस कर डाली। खैर, कुछ लोगों ने सामने न आने की कसम खा रखी है और वे अब ईमेल के जरिए अपनी बात लिखकर भेज रहे हैं। इनमें कुतर्क करने वालों की तादाद ज्यादा है और संजीदा बात करने वालों की बात कम है। कुतर्क करने वालों का कहना है कि इस यूनिवर्सिटी को आतंकवाद फैलाने के लिए ही बनाया गया है। इसके पक्ष में सिर्फ और सिर्फ उनके पास बटला हाऊस एनकाउंटर जैसी घटना बताने के लिए है। इन लोगों का कहना है कि पुलिस कभी भी आतंकवादी के नाम पर झूठा एनकाउंटर नहीं करती। इसलिए दिल्ली पुलिस अपनी जगह सही है। बहरहाल, इन बातों को आप अपनी कसौटी पर रखकर देखें। मुझे इस मामले में सिर्फ इतना कहना है कि जामिया यूनिवर्सिटी सभी की है और इसका मूल स्वरूप धर्म निरपेक्ष रहा है और अब भी है। मौजूदा वीसी मुशिरूल हसन के यहां आने के बाद इस यूनिवर्सिटी ने अपनी अच्छी ही इमेज बनाई है। अगर कांग्रेस या बीजेपी या इनसे जुड़े लोगों को इस वीसी की बात पसंद नहीं है तो उसमें उस वीसी का क्या कसूर? कम से कम वह तो इन राजनीति