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भारत में निष्पक्ष चुनाव नामुमकिनः व्यक्तिवादी तानाशाही में बदलता देश

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  Fair elections are impossible in India: The country is turning into an individualistic dictatorship an article by Yusuf Kirmani, published in Samyantar Janauary 2024 issue. भारत में निष्पक्ष चुनाव और व्यक्तिवादी तानाशाही पर यूसुफ किरमानी का यह लेख समयांतर जनवरी 2024 में प्रकाशित हुआ था। इसे अब मुफ्त कंटेंट के तौर पर हिन्दीवाणी के पाठकों के लिए प्रकाशित किया जा रहा है। भारत में निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव के लिए एकमात्र संस्था केंद्रीय चुनाव आयोग है।  12  दिसंबर को राज्यसभा में और 21 दिसंबर 2023 को लोकसभा के शीतकालीन अधिवेशन में मोदी सरकार एक विधेयक लाई और उसके जरिए केंद्रीय चुनाव आयोग में केंद्रीय चुनाव आयुक्त (सीईसी) और आयुक्तों के चयन का अधिकार प्रधानमंत्री ,  सरकार का कोई मंत्री और नेता विपक्ष को मिल गया। इतना ही नहीं चुनाव आयुक्तों का दर्जा और वेतन सुप्रीम कोर्ट के जजों के बराबर कर दिया गया।  नियमों में एक और महत्वपूर्ण बदलाव यह भी हुआ कि अगर कोई मुख्य चुनाव आयुक्त या आयुक्त अपने कार्यकाल में जो भी फैसले लेगा ,  उसके खिलाफ न तो कोई एफआईआर दर्ज होगी और न ही उसे किसी अदालत द्वारा उस

जय हो ...जय हो...जनता जनार्दन की

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चुनाव नतीजे आ चुके हैं, आपने जिन्हें और जिस पार्टी को चुना, वह सब सामने है। हालांकि जो भी 50 या 55 फीसदी लोगों ने देश भर में वोट डाले और उसके आधार पर आए नतीजे किस तरह से बहुमत की आवाज है, इस पर बहस होती रही है और होती रहेगी लेकिन इन नतीजों के आधार पर जो भी तस्वीर उभरी है, उसे तो हम सभी लोगों को स्वीकार करना पड़ेगा। लेकिन यह बहुत साफ है कि देश की आधी जनता ने वोट डाले और उसने अलग-अलग पार्टियों को वोट दिए, तो क्या यह मान लिया जाए कि यह जनता का पूरा फैसला नहीं है। यह सही है कि बीजेपी को सांप्रदायिक राजनीति करने के कारण मैं ही क्या तमाम लोग पसंद नहीं करते। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि कांग्रेस की नीतियों पर जनता ने मुहर लगा दी है। बेहतर तो यह होता कि देश भर में 65 से 70 फीसदी मतदान होता और उसमें जो पार्टी सबसे ज्यादा सीटें लेकर आती तो शायद जनता के मूड का और बेहतर पता चलता। लेकिन यह कम संतोष की बात नहीं है कि देश की आधी जनता जिसने वोट डाले, वह चाहती है कि क्षेत्रीय पार्टियों की जगह राष्ट्रीय पार्टियों को ही केंद्र की सत्ता सौंपी जाए। क्योंकि मुलायम, लालू प्रसाद यादव, मायावती से लेकर ठाकर

अब पछताने से फायदा क्या...

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भारतीय राजनीति का ग्रैंड तमाशा शुरू होने में कुछ घंटे बाकी हैं। बेशक आपने वोट डाला है या डालने जा रहे होंगे लेकिन आपको हक नहीं है कि आप तय करें कि किसकी सरकार केंद्र में बननी चाहिए। इसे तय करेंगे भारतीय राजनीति के कुछ उभरते तो कुछ खतरनाक किस्म की राजनीति करने वाले नेता। बस 13 मई को आखिरी दौर का मतदान और बाकी है। यानी शाम को या रात को जब टीवी पर किसी न्यूज चैनल को देख रहे होंगे तो इसकी आहट महसूस कर सकेंगे। हालांकि तमाशा कई दिन से शुरू हो चुका है लेकिन अब वह क्लाइमैक्स पर पहुंचने वाला है। इस बार टीवी चैनलों के जरिए माइंड गेम भी खेला जा रहा है। चुनाव की घोषणा के फौरन बाद भारतीय मीडिया ने यह पहले दिन ही लोगों को बता दिया था कि इस बार किसी का भी भाग्य जग सकता है। भारत उदय हो या न हो नेता उदय जरूर हो जाएगा। चुनाव प्रचार ने जोर पकड़ा और बयानबाजी शुरू हुई तो यह माइंड गेम में बदल गई। कुछ नेता तो बयान ही इसलिए दे रहे थे कि देखते हैं सामने वाले पर क्या असर रहता है। माइंड गेम खेलने में कांग्रेस सबसे आगे रही और बीजेपी दूसरे नंबर पर। आतंकवाद को बीजेपी मुद्दा न बना सके, कांग्रेस ने कंधार कांड को सबस

...तो किसको वोट देंगे आप ?

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चुनाव का आखिरी दौर खत्म होने में कुछ घंटे बचे हैं। देश के एक बड़े हिस्से में वोट पड़ चुके हैं और दिल्ली, हरियाणा व यूपी के कुछ हिस्सों में 7 मई को वोट पड़ने वाले हैं। एक और दौर इसके बाद होगा और तब कहीं जाकर नतीजे आएंगे। आपने अपने शहर में जहां-तहां और समाचारपत्रों, टीवी और रेडियो पर सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नारों और वायदों को जरूर सुना होगा। हो सकता है कि आपने इसमें दिलचस्पी न ली हो लेकिन एकाध बार नजर जरूर मारी होगी।...तो बताइए कि आप किसको वोट देने जा रहे हैं या फिर आपने किसको वोट दिया है।...मुझे क्या आपको भी पता है कि इस सवाल का जवाब कोई नहीं देने वाला। वोट देना एक नितांत निजी फैसला होता है। जाहिर है कोई नहीं बताएगा। फिर मेरी इस बात की कवायद का मकसद क्या है। मुद्दे पर आता हूं। सभी राजनीतिक दलों के वायदों पर गौर कीजिए, इरादा तो आप उनका जानते ही हैं। केंद्र में चूंकि यूपीए की सरकार है और कांग्रेस उसे चला रही है तो सबसे पहले कांग्रेस की ही बात। ...काला धन हम ही वापस लाएंगेः मनमोहन सिंह ...विदेशी बैंकों में पड़ा काला धन यूपीए सरकार वापस नहीं ला सकी। हम लेकर आएंगेः बीजेपी के पीएम इन वेटि