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फ़रवरी, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

क्या 10 फ़ीसदी भारतीय यह जानना चाहते हैं...

क्या आप इसी भारत में रहते हैं ........................................ क्या सिर्फ 10% भारतीय ही यह सब जानना चाहते हैं... कैसे जज लोया मर गए कैसे गुजरात में कार के अंदर हरेन पांड्या को गोली मार दी गई थी और कार में ख़ून की एक बूँद तक न मिली। हरेन मुख्यमंत्री पद की रेस में थे गोधरा में होने वाली घटना के बारे में मोदी को कैसे पता था, कैसे, सोहराबुद्दीन की हत्या हुई और कौसर बी कैसे गायब हो गईं कैसे, इशरतजहां मारी गई कैसे नीरव मोदी ने नोटबंदी की घोषणा के ठीक पहले 90 करोड़ रूपये जमा कराए... 11,400 करोड़ घोटाला सामने आने से पहले कैसे नीरव मोदी अपने पूरे परिवार को भारत से बाहर ले जाने में कामयाब रहा कैसे विजय माल्या बच गया कैसे ललित मोदी और पीटर मुकर्जी कैसे रातोंरात अरबपति बन गए अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस कंपनी के रूप में रजिस्टर्ड होती है और दो दिन बाद ही कैसे 35,000 करोड़ की रफेल डील का कॉन्ट्रैक्ट उसे मिल जाता है सरकार कैसे उत्पादन मूल्य से 177 %  ऊपर पेट्रोल और डीजल इतना महँगा बेच रही है, कैसे जज लोया का फोन नागपुर से लातूर तक 500+

ठगों की सफलता की गढ़ी हुई कहानियाँ और मीडिया

भारतीय जनमानस को इस बात का इतना आदी बना दिया गया है कि जैसे ही फ़ोर्ब्स लिस्ट में किसी भारतीय का नाम आता है हम गर्व से चौड़े होने लगते हैं। अरे इतनी दौलत वाला अपना भारतीय है...तुरंत टीवी पर उस धनी भारतीय की कहानियाँ चलने लगती हैं छपने लगती हैं।...हमारा गर्व बल्लियों उछलने लगता है। फ़रार नीरव मोदी का नाम भी फोर्ब्स इंडिया की 2016 में आई भारत के सबसे धनी लोगों की लिस्ट में था। उस वक़्त उसकी संपत्ति 1.74 बिलियन डॉलर (1.1 लाख करोड़ रुपये) बताई गई थी। इसी लिस्ट में नाम आने के बाद नीरव मोदी ब्रांड को ग्लोबल पहचान मिली थी।...तब किसी को पता नहीं था कि ये पीएनबी से चुराए गए या लूटे गए पैसे हैं जिनकी बदौलत एक ठग धनी लोगों की लिस्ट में शामिल हो गया।...टीवी पर...अख़बारों में इस ठग की ओढ़ी गई सफलता की कहानियाँ चलने लगी।...तब समस्त गुजराती और भारतीय गर्व से फूले नहीं समा रहे थे।  दिल्ली के साउथ एक्सटेंशन में इस ठग के शोरूम के आगे से मेरे जैसे तमाम भारतीय गर्व से छाती चौड़ी किए हुए ऐसे हीरों को देखते हुए निकलते थे कि चलो ख़रीद तो नहीं सकते लेकिन भारतीय भाई की कम से कम ग्लोबल पहचान तो है। 

पीएनबी महाघोटाला : जेटली तो बोले...अब मोदी की बारी

देश में इतना बड़ा पीएनबी घोटाला हो गया। दो लोग चुप रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरूण जेटली कुछ नहीं बोले। लेकिन अब इनमें से एक बोल पड़ा है। हो सकता है कि मोदी आज बोलें। वह आज लखनऊ में होने जा रही इन्वेस्टर्स समिट में बोल सकते हैं। मोदी का भाषण आज ग़ौर से सुना जाना चाहिए।...क्योंकि आज वहाँ देश के कई बड़े उद्योगपतियों के आने की उम्मीद है। लेकिन वित्त मंत्री अरूण जेटली इस मुद्दे पर बोल उठे हैं और  जेटली का बयान सरकार के घुटने टेकने का सबूत है... वित्त मंत्री कल शाम को प्रकट हुए और पीएनबी महाघोटाले पर बयान जारी किया । जिसमें उन्होंने पूरे बैंकिंग मैनेजमेंट और ऑडिटर्स पर ज़िम्मेदारी डालते हुए सिस्टम फ़ेल होने को ज़िम्मेदार बता डाला। जेटली ने कांग्रेस या पिछली सरकार पर इस घोटाले की ज़िम्मेदारी नहीं डाली। जिसकी कोशिश कई दिनों से उनके साथी मंत्री कर रहे थे। जेटली के बयान के बाद आरबीआई का बयान आया कि वह तो 2016 से अब तक तीन बार बैंकों को इस बारे में चेतावनी दे चुका था। यह दोनों बयान भारत सरकार के घुटने टेकने का सबसे बड़ा सबूत है। उर्जित पटेल यानी अंबानी जी के

जब आपको मिल जाए फुरसत

जब आपको मिल जाए हिंदू-मुसलमान से फुरसत ...और मिल जाए किसी महिला की हंसी का कोई बेहूदा जवाब तो फर्जी राष्ट्रवाद पर भी कुछ सोचना जरूर और सोचना कि शहादत के जख्म कभी जुमलों से नहीं भरते जब आपको मिल जाए गाय-गोबर से फुरसत ...और मिल जाए पहलू खान की हत्या का कोई नया पहलू तो गरीबों की भुखमरी पर भी कुछ कहना जरूर और कहना कि जीडीपी ग्रोथ से किसी के पेट नहीं भरा करते जब आपको मिल जाए तमाम साजिशों से फुरसत ...और मिल जाए गांधी की हत्या का कोई अफसोसनाक बहाना तो गोडसे की संतानों पर भी कुछ बोलना जरूर और बोलना कि नागपुर के एजेंडे से कभी देश नहीं चला करते जब आपको मिल जाए आवारा पूंजीवाद को बढ़ाने से फुरसत ...और मिल जाए आदिवासियों की जमीन छीनने का भोंडा तर्क तो उन मेहनतकशों को भी कहीं तौलना जरूर और तौलना मजदूरों के फावड़ों को, जो कभी रुका नहीं करते जब आपको मिल जाए इंसाफ को बंधक बनाने से फुरसत ...और मिल जाए कुछ लोगों को घरों में जिंदा जला देने का उत्तर तो उन पुराने नरसंहारों का जिक्र करना जरूर और जिक्र करन

बस फेंकते रहिए....

हमें लंबी फेंकने की आदत है... कल जब हम वहां लंबी लंबी फेंक रहे थे तो कहीं सीमा पर जवान शहीद हो रहे थे... और ड्रैगन ज़ोरदार नगाड़ा बजा रहा था, वह बार बार बजाता है  लेकिन उस नगाड़े की आवाज़ मेरे फेंकने में खो जाती है हम फेंकते हैं इसलिए कि फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद में और इज़ाफ़ा हो और सिर्फ़ हमीं बेशर्मी से काट सकें चुनाव में इसकी फसल सच है, लोग नफ़रतों के संदेश तेज़ी से ग्रहण करते हैं यही है मेरी लंबी फेंकने की सफलता का राज भी अब तो छोटे छोटे प्यादे भी ख़ूब अच्छा फेंक लेते हैं आइए हम सब फेंकने को अपना जीवन दर्शन बनाएं   X               X                X                        X जब कभी हो रोज़गार की ज़रूरत तो बस फेंकने लगिए अस्पताल में न मिले दवा तो फेंकने की तावीज़ पहनिए एक छोटे प्यादे ने हवाई जहाज़ में हवाई चप्पल पर फेंका उससे छोटे ने ट्रेनों के फेलेक्सी किराये पर भी तो फेंका  झोले में गर न आ सकें गेहूं चावल तो धूल चाट लो  सब्ज़ी मंडी में महँगा लगे आलू तो धूल फांक लो

फिक्सर्स के देश में बिलबिलाते लोग

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देश को फिक्सर्स चला रहे हैं... वह कोई भी देश हो सकता है। अपना भी हो सकता है। पड़ोस हो सकता है। सात समंदर पार हो सकता है। मतलब कि वह कोई देश है जिसे सब लोग फ़िक्स करने में जुटे हैं।...जी हाँ, वही देश महाराज, जिस आप कहा करते हैं कि यह भी कोई देश है महाराज... ...तो यक़ीन मानिए यहां सब कुछ फ़िक्स है। यह देश फिक्सर्स के क़ब्ज़े में है।... क्रिकेट मैचों के फिक्सर्स के वक़ील उन्हें सरकार में डिफ़ेंड (बचाव) करते हैं। यही फिक्सर्स इंश्योरेंस लॉबी के गेम को बजट में फ़िक्स करते हैं...यही फिक्सर्स अदालत में खड़े होकर आवारा पूँजीवाद के झंडाबरदारों का केस फ़िक्स करते हैं...आप फँस चुके हैं। फिक्सर्स आपको भागने नहीं देगा।...आप कहाँ तक भागोगे।.... कहीं भी चले जाओ हर जगह छोटा मोटा फिक्सर आपको मिल जाएगा। रेलवे आरक्षण केंद्र पर जाओ फिक्सर हाज़िर मिलेगा। बच्चे का एडमिशन सरकारी स्कूल तक में कराना हो तो फिक्सर की सेवाएँ उपलब्ध हैं। हर मंत्री के दफ़्तर के बाहर तो फिक्सर बाक़ायदा तैयार किए जाते हैं। ...हद तो तब हो गई जब मैं अपने ताऊ जी का मृत्यु प्रमाणपत्र लेने नगर निगम गया तो वहाँ का क्लर्क बि