संदेश

Narender Modi लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मोदी जी खिलाएं गाय को चारा, कहां गया वो माखन चोर प्यारा

चित्र
 - यूसुफ किरमानी कितनी खूबसूरत तस्वीर है...गौर से देखिए... लेकिन ये फोटो कुछ लोगों को हज़म नहीं हो रही है। क्या देश का प्रधानमंत्री गाय को चारा नहीं खिला सकता। हम लोग जब कोई फोटो कहीं लगाने के लिए सेव करते हैं तो उसे एक नाम देते हैं। लेकिन जब मैंने इसे सेव करते हुए नाम दिया तो खुशी से उछल पड़ा। मैंने इसका नाम दिया था- मोदी काऊ यानी मोदी गाय। है न शानदार नाम। कोई ताज्जुब नहीं कि राज्यों में पशुपालन विभाग अब मोदी गाय को हाइब्रिड बनाकर इसका उत्पादन शुरू न कर दे। अभी मैंने मोदी काऊ का पेटेंट नहीं कराया है। अगर कोई इस नाम यानी मोदी काऊ या मोदी गाय का इस्तेमाल करे तो कृपया इस खाकसार को श्रेय देना न भूलें। श्रेय देने से प्यार बढ़ता है। थोड़ा विषयांतर करते हैं। देश में एक बीमारी चल रही है मोदी जी को बुरा बोलते रहो। लेकिन ये सब गलत है। कोई मोदी जी का कुछ उखाड़ नहीं पाएगा। 2024 का चुनाव होने दीजिए और मोदी जी को आने दीजिए। ये सारे के सारे बिलों में छिप जाएंगे। क्योंकि देश 2024 के बाद बदल जाएगा। अभी जो मेरी चिन्ता का विषय है वो है अयोध्या में राम मंदिर का मूल जगह पर नहीं बनना। ये बात भाजपा के ही

लाल बत्ती से पब्लिक को क्या लेना - देना

वीआईपी गाड़ियों से लाल बत्ती वापस लेकर क्या केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है...दरअसल, यह शहरी मध्यम वर्गीय लोगों की एक पुरानी मांग थी, जिस पर सरकार को यह फैसला लेना पड़ा। ...वरना गांव के किसानों...गरीबों...रोज की दिहाड़ी कमाने वाले मजदूरो...को इन लाल बत्तियों से लेना-देना नहीं था। उन्हें इस बात से रत्ती भर फर्क पड़ने वाला नहीं है कि उनके सामने या पास से कौन #लालबत्ती से गुजरा। ...नरेंद्र #मोदी समेत तमाम असंख्य मंत्रियों और उनकी पार्टी के नेताओं को अच्छी तरह मालूम है कि जब तक ये लोग सत्ता से बाहर रहे तो इन्होंने शहरी मध्यम वर्गीय लोगों के बीच एक माहौल बनाया कि लाल बत्ती एक #वीआईपी कल्चर है और इसे खत्म होना चाहिए। क्योंकि तब #कांग्रेस सत्ता में थी और उसका छुटभैया नेता भी लाल बत्ती लगाए घूमता था। मेरा खुद का अनुभव है कि शहरी मध्यम वर्ग लाल बत्ती को बहुत अच्छी निगाह से नहीं देखता। कई ऐसे मामले भी सामने आए, जब लाल बत्ती वाली गाड़ियां तमाम तरह के अपराधों में लिप्त पाई गईं।...#भारतीयजनतापार्टी अभी भी शहरी मध्यम वर्गीय लोगों की पार्टी है।...इसलिए इस वर्ग को खुश करने के लिए उसने यह कदम

मीडिया को बीजेपी की जीत कुछ ज्यादा ही बड़ी नजर आ रही है

आज 19 मई को आए पांच राज्यों के चुनाव नतीजे बता रहे हैं कि बीजेपी को काफी फायदा हुआ है। असम में उसकी सरकार बन गई है। मीडिया ने कांग्रेस का मरसिया पढ़ दिया है। लेकिन मीडिया अपने खेल से बाज नहीं आ रहा है। उसे बीजेपी की जीत कुछ ज्यादा ही बड़ी नजर आ रही है। हम लोग बहुत जल्द पिछला चुनाव भूल जाते हैं।...बिहार में कुछ महीने पहले जो इतिहास बना था , उसे असम के शोर में दबाने की कोशिश हो रही है। ...मीडिया वाले उस शिद्दत से केरल में कम्युनिस्टों की वापसी का शोर नहीं मचा रहे हैं। जितनी शिद्दत से वो असम केंद्रित चुनाव विश्लेषण को पेश कर रहे हैं। ... ...लेकिन क्या वाकई इसे बीजेपी की ऐतिहासिक जीत करार दिया जाए। क्या वाकई जनता ने कांग्रेस को दफन कर दिया है। लेकिन अगर इन चुनाव नतीजों की गहराई में जाकर देखा जाए तो अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कारणों से पब्लिक ने विभिन्न पार्टियों को चुना है। असम की बात पहले करते हैं। असम में लंबे अर्से से कांग्रेस की सरकार थी और तरुण गोगोई के पास कमान थी। लेकिन 10 सालों में कांग्रेस ने इस राज्य में ऐसा ठोस कुछ भी नहीं किया कि जनता उसे तीसरी बार भी मौका देती। अस

व्हील चेयर पर मां...

-यूसुफ किरमानी मेरे पास मां नहीं है। ट्वीटर पर डालने के लिए फोटो भी नहीं है। एक फोटो थी, उसे भाई या बहन ने ले लिया, तब से वापस नहीं किया। लेकिन फिर सोचता हूं कि कोई फोटो मेरी मां का वजूद तय नहीं कर सकता। क्योंकि मां के होने का एहसास हर वक्त रहता है। जिनके पास मां है...उनसे जलन होती है। काश, मेरी मां भी आज जिंदा होती...कुछ नहीं तो फलाने साहब की तरह मां की फोटो ट्वीट कर ज़माने भर की हमदर्दी पा लेता। ...लोग कहते देखों इतना बड़ा लेखक-पत्रकार और मां की फोटो ट्वीट कर रहा है बेचारा। कितना बड़ा दिल है...मां को छोटे-छोटे गमले भी दिखा रहा है। मां हमेशा अपने बच्चे के लिए ढाल का काम करती है। बच्चे पर कोई आफत आए, मां सबसे पहले उस आफत का सामना करने को तैयार रहती है। बच्चा अगर चोर या गिरहकट है तो भी उसकी मां आसानी से उसे चोर या गिरहकट मानने को तैयार नहीं होती। जब ज़माना आप पर तरह-तरह के आरोप लगाए तो एक मां ही ऐसी होती है जो आपके साथ खड़ी होती है। देश में या विदेश में या फिर किसी कंपनी में जब आपकी साख फर्जी डिग्री, फर्जी हलफनामे, फर्जी जुमलेबाजी से डूबने लगती है तो ऐसे में आप मां को आगे कर देत

देशभक्ति चौराहे पर नुमाइश की चीज नहीं

राष्ट्रप्रेम सिर्फ तिरंगा लहराने से नहीं व्यक्त होता है...यह दिल से महसूस करने की चीज होती है... देशभक्ति की नुमाइश चौराहों पर नहीं की जाती...सियाचिन के बर्फीले पहाड़ों में की जाती है... जुमलेबाजी राजनीतिक सभाओं में शोभा देती है...जनता से मजाक करने के लिए नहीं की जाती... और आज जो खबरों में है... बीजेपी आईटी सेल की नींव रखने वाले एक्सपर्ट प्रद्युत बोरा ने BJP को नमस्ते कह दिया है...और जाते-जाते प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के काम करने के तरीके पर सवाल भी उठाया है...उनका कहना है कि पागलपन ने पार्टी को जकड़ लिया है... मित्रों...देशभक्तों...इससे सख्त टिप्पणी तो अभी तक बीजेपी के खिलाफ विपक्ष तक ने नहीं की है। किसी ने पागलपन शब्द का इस्तेमाल बीजेपी के लिए नहीं किया है... हम आईटी एक्सपर्ट को उनके इस शब्द के लिए शाबाशी नहीं दे रहे हैं...क्योंकि जब उन्होंने इस पार्टी को ज्वाइन किया था, तभी हमें लगा था कि इतना जीनियस आदमी भला इस पार्टी में कैसे रहेगा...लेकिन वह दिल की बात दिल में रही...लेकिन बोरा का दर्द बाहर आ गया। इससे पहले प्रशांत किशोर ने भी मोदी का साथ

आप भी तो शीशे के घर में रह रहे हैं...

- क्या इस महान देश के अपने ही कुछ लोग कुल्हाड़ी लेकर यहां के लोकतंत्र का गला घोंटना चाहते हैं... -क्या हमने कुछ बंदरों को ऐसा हथियार थमा दिया है जिससे वे अपना ही गला काटने पर उतारू हैं... -ताजा हालात इस तरफ इशारा कर रहे हैं। यह अकेले मेरा सरोकार नहीं है। आप अखबार उठाइए...आप टीवी पर खबरें देखिए-सुनिए...आप फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर जाइए...चारों तरफ ऐसा लगता है कि कुछ अंध देशभक्त कुकुरमुत्ते की तरह पैदा हो गए हैं और उन सब ने मिलकर इस महान देश की आत्मा को झिंझोड़ना का ठेका ले लिया है... -मुंबई बम धमाकों में मुजरिम पाए गए याकूब मेमन को फांसी दे दी गई। आपने मुंबई ब्लास्ट में मारे गए 257 लोगों के साथ इंसाफ भी कर दिया लेकिन उस मुजरिम के जनाजे में शामिल होने वाले 8000 लोगों पर त्रिपुरा का गवर्नर शक जता रहा है...वह कह रहा है कि ये संभावित आतंकवादी हो सकते हैं...इन पर नजर रखी जाए... -दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज में मुजफ्फरनगर दंगों पर एक डॉक्युमेंट्री दिखाई जा रही थी, संघ से जुड़े संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने उसे दिखाने से रोक दिया और कहा कि यह फिल

याकूब मेमन की अपनी बेटी से आखिरी बातचीत

चित्र
मुंबई में हुए सीरियल ब्लास्ट में मारे गए 257 लोगों की हत्या के जुर्म में आतंकवादी याकूब मेमन को 30 जुलाई 2015 को नागपुर सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई। मरने से पहले याकूब ने अपनी बेटी से फोन पर बातचीत करने की इच्छा जताई थी... याकूबः बेटी, मेरा आखिरी सलाम, तुम उदास मत होना। दुआओं में याद रखना। अपनी मां का ख्याल रखना। बेटीः पापा... याकूबः बेटी रो मत...ये होना था। तुमको अब ऐसे ही रहना होगा। ऐसे ही जीना होगा। इसी तरह ही दुनिया का सामना करना होगा। पर बेटी, तुम ये मत समझना कि मैं गुनहगार था। तुम्हारा पापा गुनहगार नहीं था। मैं आखिरी वक्त में झूठ नहीं बोल सकता। मेरे भाइयों ने यह सब किया था। अगर मैं इसमें शामिल होता तो मैं कभी खुद को सीबीआई के हवाले नहीं करता। बेटीः पर, पापा ये तो आपके साथ धोखा हुआ न। याकूबः बेटी, अब इसे जो भी समझो। लेकिन मेरा यकीन तो भारतीय संविधान और यहां की अदालत में मरते दम तक रहेगा। ...और तुम भी इसे बनाये रखना। देखो जज साहबान ने कितनी सुबह तक इस पर सोचा कि मुझे फांसी दी जाए या नहीं। बेटी, ऐसा कहीं और नहीं होता। तमाम मुसलमान देशों में तो मौत