लाल बत्ती से पब्लिक को क्या लेना - देना


वीआईपी गाड़ियों से लाल बत्ती वापस लेकर क्या केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है...दरअसल, यह शहरी मध्यम वर्गीय लोगों की एक पुरानी मांग थी, जिस पर सरकार को यह फैसला लेना पड़ा। ...वरना गांव के किसानों...गरीबों...रोज की दिहाड़ी कमाने वाले मजदूरो...को इन लाल बत्तियों से लेना-देना नहीं था। उन्हें इस बात से रत्ती भर फर्क पड़ने वाला नहीं है कि उनके सामने या पास से कौन #लालबत्ती से गुजरा।

...नरेंद्र #मोदी समेत तमाम असंख्य मंत्रियों और उनकी पार्टी के नेताओं को अच्छी तरह मालूम है कि जब तक ये लोग सत्ता से बाहर रहे तो इन्होंने शहरी मध्यम वर्गीय लोगों के बीच एक माहौल बनाया कि लाल बत्ती एक #वीआईपी कल्चर है और इसे खत्म होना चाहिए। क्योंकि तब #कांग्रेस सत्ता में थी और उसका छुटभैया नेता भी लाल बत्ती लगाए घूमता था। मेरा खुद का अनुभव है कि शहरी मध्यम वर्ग लाल बत्ती को बहुत अच्छी निगाह से नहीं देखता। कई ऐसे मामले भी सामने आए, जब लाल बत्ती वाली गाड़ियां तमाम तरह के अपराधों में लिप्त पाई गईं।...#भारतीयजनतापार्टी अभी भी शहरी मध्यम वर्गीय लोगों की पार्टी है।...इसलिए इस वर्ग को खुश करने के लिए उसने यह कदम उठाया जिसे इतना बड़ा फैसला बता दिया गया, मानों किसानों की समस्याएं, गरीबों की गरीबी और दिहाड़ी मजदूरों को रोटी इस लाल बत्ती के खत्म होने पर मिलने लगेगी। ...लेकिन ऐसा न होना है न होगा।...ये लाल बत्तियां धीरे-धीरे फिर से किसी न किसी बहाने लौट आएंगी और शहरी मध्यम वर्ग के लोगों के सीने में तब तक पूरी तरह ठंडक पड़ चुकी होगी।

मंत्रियों और बाकी वीआईपी लोगों को लाल बत्ती की जरूरत तो पहले से ही नहीं थी। सोचिए प्रधानमंत्री सड़क पर चले और किसी को पता न चले या कोई रास्ता न दे...क्या यह संभव है। हर मंत्री के साथ पुलिस की एक गाड़ी चलती है...वही बताने के लिए काफी है कि कोई वीआईपी आ रहा है।...जिन लोगों को लाल बत्ती नहीं चाहिए थी वे तो जबरन लगाए घूमते थे। लेकिन छुटभैये नेता जो लाल बत्ती से अब वंचित हैं वे सिक्योरिटी के नाम पर पुलिस या होमगार्ड की सेवाएं लेंगे और जनता के बीच में जाकर पहले की ही तरह रौब दिखाते रहेंगे।...भारत में वीआईपी कल्चर कोई भी राजनीतिक दल या सरकार खत्म नहीं कर सकती।...

...#भाजपा अब वह सारे फैसले ले रही है जिस तरह कांग्रेस कभी शहरी मध्य वर्गीय लोगों को खुश करने के लिए लेती थी। लेकिन शहरी मध्य वर्गीय कभी भी कांग्रेस से खुश नहीं हो पाया।

भाजपा का अभी हनीमून पीरियड चल रहा है।...शहरी मध्यम वर्गीय आबादी उससे खुश नजर आ रही है। हो सकता है कि 2019 में यह तबका लाल बत्ती जैसे फैसलों से खुश होकर उसे वोट दे दे। लेकिन उसके मोह भंग होने की शुरुआत 2020 आते-आते शुरू हो जाएगी।

...यह शहरी मध्यम वर्गीय #वोटर बहुत चालाक है। ...वह हर वक्त इसी उम्मीद में रहता है कि कौन सी पार्टी उसे तत्कालिक लाभ दे सकती है, कौन सी पार्टी फेयरनेस क्रीम की तरह उसे गोराहोने के झांसे में रख सकती है। ...शहरी मध्यम वर्ग दरअसल उम्मीदों में ही जीने का आदी हो चुका है। ...यह उम्मीद आजकल दुनियाभर में सबसे पॉजिटिव चीज है। इसकी आड़ में अमेरिका से लेकर भारत तक में बड़े-बड़े गुल खिलाए जाते हैं। .

#भारत में भी नेताओं के पास किसानों, गरीबों,  मजदूरों के लिए कुछ करने की कोई कार्य योजना नहीं है। उनके पास कार्ययोजना है तो बड़े बड़े कॉरपोरेट्स के बैंक लोन माफ करने और माल्या जैसे लोगों को लंदन भगा देने की कार्य योजना है। किसानों का कर्ज माफ करने की लंबी चौड़ी घोषणा ढोल बजाकर की जाती है लेकिन उसे अमली जामा पहनाने के नाम पर एक इंच भी कदम नहीं बढ़ाया जाता है। किसानों को सस्ती खाद देने का वादा किया जाता है लेकिन उसे सस्ता करने का कोई उपाय नहीं किया जाता। किसानों की जमीन सस्ते दाम पर लेकर उस पर औद्योगिक घरानों के महल खड़े कर दिए जाते हैं।

गौर से सोचिए और तथ्यों को परखिए। प्रचंड बहुमत के साथ नरेंद्र मोदी या भाजपा की सरकार केंद्र में आई। लेकिन अभी तक हमारे सामने सबसे बड़े मुद्दे क्या पेश किए गए हैं -

1. बीफ बैन और स्लाटर हाउसों पर पाबंदी

2. तीन तलाक

3. अज़ान


यह तीनों मुद्दे सीधे मुसलमानों से जुड़े हुए हैं। सरकार की नीयत कुछ और है। ...इसी से लगता है कि सरकार किसी अजेंडे पर काम कर रही है।...पूरे भारत में बीफ निर्यात में सबसे ज्यादा गैर मुसलमान लगे हुए हैं। ...खुद मुसलमानों ने मांग की गो हत्या पर पूरे देश में रोक लगाने का कानून पास किया जाए। लेकिन सरकार इस पर काम नहीं कर रही है।...सरकार की हिम्मत नहीं की वह अल कबीर जैसे मीट निर्यातक का लाइसेंस रद्द कर दे या सब्बरवाल की मीट फैक्ट्री पर ताला लगा दे। अलबत्ता उसने उन हजारों गरीब मुसलमानों के पेट पर लात मारने की कोशिश की है जो छोटी-मोटी दुकान खोलकर चिकन-मटन बेचते हैं। बीफ की आड़ में इन दुकानों को भी बंद कराया जा रहा है।

#तीनतलाक गलत है। ...यह घोषित रूप से सारे मुस्लिम उलेमा कह रहे हैं। आपके पास बहुमत है, आप कानून बनाइए। आपको कौन रोक रहा है। लेकिन आपका मकसद सिर्फ हंगामा खड़ा करना है।

#अज़ान का मुद्दा खुद न उठाकर #बॉलिवुड के एक छुटभैये गवैए #सोनूनिगम से उठवाया गया है। #रमजान का महीना मई के अंत में शुरू होगा। इस मुद्दे को जानबूझकर रमजान से पहले ही उठा दिया गया है। ..ठीक है आप लाउडस्पीकर पर बैन लगाना चाहते हैं, लगा दीजिए। ध्वनि प्रदूषण बुरी चीज है। लेकिन काशी में बाबा विश्वनाथ #मंदिर में लगे लाउडस्पीकर को क्या बंद कराने की हिम्मत है...#अयोध्या के किसी मंदिर में लाउडस्पीकर बंद कराकर दिखाइए।...जो लोग अयोध्या गए होंगे, वहां उन्हें शाम को मंदिरों से आरती और घंटे की आने वाली आवाज का पता है...क्या उन्हें बंद कराया जा सकता है।....

....इन तीनों ही मुद्दों को इसलिए उठाया गया है ताकि कट्टर हिंदुओं को संतुष्ट  किया जा सके और पार्टी के एजेंडे को आगे बढ़ाया जा सके। इन तीनों मुद्दों को उठाने से पब्लिक का ध्यान असली मुद्दों से हटा रहेगा।...उसे साफ और अच्छी सड़कें नहीं चाहिए...नालियां गंदगी से भरी होनी चाहिए....रोजगार नहीं चाहिए...क्योंकि उसे तो बीफ पर बैन लगवाना है...उसे तो #मुसलमानों में तीन तलाक बंद कराना है....क्योंकि उसे तो अजान में लाउडस्पीकर बंद कराना है।....सरकार के पास करने को कुछ नहीं....पब्लिक को अपने मुद्दों का पता नहीं....उसे एक उम्मीद में जिंदा रखा जा रहा है कि एक दिन भारत विश्व की महाशक्ति बन जाएगा...बेशक किसान भूखा रहकर आत्महत्या कर लेगा....हम पाकिस्तान से एक जंग करेंगे....बेशक हमारे युवकों को रोजगार मिले या न मिले...जंग होगी तभी हथियार बिकेंगे और तभी कमीशन मिलेगा। ...#राष्ट्रवाद को इसीलिए खाद-पानी दे देकर सींचा जा रहा है।...राष्ट्रवाद से ही वोटों की फसल काटी जा सकती है। मकसद अंध राष्ट्रवाद को फैलाना है, जो बिना लाल बत्ती के भी फलफूल सकता है।...

...आप लोग ऐसे ही मुद्दों से खुश होते रहें...जैसे लाल बत्ती खत्म होने से 1000-2000 लोगों को रोजगार मिल जाएगा...किसान आत्महत्या करना बंद कर देंगे...एमसीडी चुनाव में यह लाल बत्ती इमोशनल वोट जरूर दिला जाएगी।...भाटिया जी, बत्रा जी, शर्मा जी, वर्मा जी को इस बात से मतलब नहीं कि इन लाल बत्ती हटाने वालों ने किस कदर उनके मुहल्ले की नालियों को गंदा रखा...मच्छर पनपते रहे पर उफ न किया...बस खुश हैं कि लाल बत्ती हट गई...जीवन तर गया...



मेरे नादान दोस्तों...लाल बत्ती हटना समस्या का हल नहीं है...

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