हम क्यों उनको याद करें!
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आम्बेडकर को क्या करोगे याद करके देश आम्बेडकर के संविधान से नहीं, गोलवरकर की किताब से चलेगा गौर से चेहरे और नामों को पढ़िए जो तलवारें लहरा रहे हैं उन्मादी नारे लगा रहे हैं। उसने अपने अनुयायियों को बौद्ध बनाया पर, वो न बौद्ध हो सके और न इंसान वो सब के सब बन गए हैं हिन्दू-स्तान। हिन्दू होना ज़रा भी बुरा नहीं है गोलवरकर बन जाना ख़तरनाक है सावरकर से गोडसे तक नाम ही नाम हैं हेडगेवार से पहले भी तो हिन्दू थे उनके हाथों में भगवा नहीं, तिरंगा था वे चंद्रशेखर आज़ाद थे, वे बिस्मिल थे वे हिन्दू थे, लेकिन भगवाधारी हिन्दू नहीं थे वे भगत सिंह थे, वे सुखदेव थे वे किसी सिख संगत के मेंबर नहीं थे। आम्बेडकर ने मनुस्मृति को कुचला मनुस्मृति कुचलने से हिन्दुत्व ख़त्म नहीं हुआ वो मनुस्मृति का नया संस्करण ले आए संविधान ही मनुस्मृति में बदल रहा है। लेकिन अब्दुल को क्यों फ़र्क़ पड़े इन बातों से उसे तो पंक्चर ही लगाना है उसे दंगाई कहलाना है और घर पर बुलडोज़र बुलवाना है। बाबा के संविधान ने अब्दुल को क्या दिया हाँ, यूएपीए दिया, टाडा दिया, एनआईए दिया अब्दुल को उलझाने के अनगिनत हथियार दिए कथित धर्मनिरपेक्ष भारत को अ