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नीलम तिवारी की खुदकुशी के बहाने

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यह पोस्ट जब मैं आज लिखने बैठा हूं तो माहौल बहुत गमगीन है। इसलिए नहीं कि मेरे साथ, मेरे परिवार, मेरे मित्रों या सहयोगियों के साथ कोई ऐसी-वैसी बात हुई है। दरअसल, कायदे से इसे तो मुझे कल ही लिखना चाहिए था लेकिन कल मैं इतने रंजो-गम (grief and sorrow)में था कि लिखने की ताकत न जुटा पाया। नीलम तिवारी, यही नाम था उसका। राजधानी दिल्ली के द्वारका इलाके में नीलम ने दो दिन पहले खुदकुशी (suicide)कर ली। अखबारों में खुदकुशी की खबरें कितनी जगह पाती हैं, यह आप लोगों को मालूम है। लेकिन यह खुदकुशी की खबर अलग थी और सिर्फ नवभारत टाइम्स में इसे पहले पेज पर जगह मिली थी। नवभारत टाइम्स के वरिष्ठ क्राइम रिपोर्टर पंकज त्यागी ने इस खबर को फाइल करते हुए लिखा था कि आर्थिक मंदी (recession) से जुड़ी राजधानी दिल्ली में खुदकुशी की यह पहली खबर है। पंकज की खबर में कहा गया था कि आईसीआईसीआई बैंक में काम करने वाली नीलम तिवारी लोन दिलाने का काम करती थीं लेकिन आर्थिक मंदी की वजह से उनका यह काम बंद हो चुका था। लोग लोन नहीं ले रहे थे। नीलम द्वारका के एक प्लैट में अपनी बूढ़ी मां और १३ साल की बेटी नेहा के साथ रह रही थीं। उनके पत