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राहुल गांधी का “हिन्दू” मोदी के “हिन्दुत्व” को नहीं हरा सकता

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जनता को आडंबर पसंद है, मोदी की छवि उसे मोहक लगती है... तमाम प्रश्न अनुत्तरित हैं। यक्ष प्रश्न पूछने वाले नदारद हैं। नेपथ्य से आने वाली आवाज़ें खामोश हैं। कुछ जोकर हिन्दुत्व नाम की रस्सी को अपनी-अपनी तरफ़ खींचने में ज़ोर लगा रहे हैं। जनता धर्म की अफ़ीम चाटकर सारे कौतुक को निर्लज्जता से देख रही है। यह कम शब्दों में भारत के मौजूदा हालत की तस्वीर है।  राहुल गांधी भारत के प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस के ज़िम्मेदार नेता हैं। उनकी पार्टी जयपुर में महंगाई विरोधी रैली करती है। रैली से बढ़ती महंगाई का सरोकार ग़ायब है। राहुल धर्म का मुद्दा छेड़ते हैं। पेट की आग से धर्म बड़ा हो जाता है।  राहुल महंगाई विरोधी रैली में हिन्दू और हिन्दुत्व का फ़र्क़ समझाते हैं। वो गोडसे के हिन्दुत्व को विलेन बनाने की कोशिश करते हैं। राहुल गांधी के भाषण में कुछ भी नया नहीं था। वो पहले भी यही बातें कह चुके हैं। आरएसएस पर हमला कर चुके हैं। लेकिन दो दिन बाद उन्हें हिन्दुत्व के उन पैरोकारों की तरफ़ से जवाब मिलता है जो राहुल के मुताबिक़ गोडसे परंपरा के वाहक हैं। राहुल गांधी के सलाहकार कौन हैं, मुझे नहीं पता। उन्हें कौन सलाह

बहुत डरावना और उन्मादी है भारत का बहुसंख्यकवाद : यूसुफ किरमानी

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  भारत में अभिव्यक्ति की आजादी बहुत जल्द बीते हुए दिनों की बातें हो जाएंगी। भारत में दो चीजों के मायने बदल गए हैं। अभिव्यक्ति की आजादी कट्टरपंथियों की आजादी से तय हो रही है और प्रेस यानी मीडिया की आजादी सरकारी मीडिया की हदों से तय की जा रही है। लेकिन दोनों की आजादी को नियंत्रित करने वाली ताकत एक है, जिस पर हमारा ध्यान जाता ही नहीं है। भारत बहुसंख्यकवाद के दंभ की गिरफ्त में है। सरकारी संरक्षण में पला-बढ़ा बहुसंख्यकवाद भारत को उस दौर में ले जा रहा है, जहां से बहुत जल्द वापसी की उम्मीद क्षीण है। मान लीजिए कल को सत्ता परिवर्तन या व्यवस्था परिवर्तन हो जाए तो भी बहुसंख्यकवाद ने जो फर्जी गौरव हासिल कर लिया है, उसका मिट पाना जरा मुश्किल है। क्योंकि सत्ता परिवर्तन के बाद जो राजनीतिक दल सत्ता संभालेगा, वह भी कमोबेश उसी बहुसंख्यकवाद को संरक्षित करने वाली पार्टी का प्रतिरूप है।       देश में 'तांडव' के नाम पर बहुसंख्यकवाद कृत्रिम तांडव कर रहा है और उसने मध्य प्रदेश में एक कॉमेडियन को बेवजह जेल में बंद करा दिया है। तांडव के नाम पर तांडव करने वाले और कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी को जेल में बं

मध्य वर्ग को कपिल गूर्जर में जो एडवेंचर दिखता है वो बिल्कीस दादी में नहीं

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भारत का मध्यम वर्ग भारत का दुर्भाग्य बनता जा रहा है... -यूसुफ किरमानी भारत का मध्यम वर्ग दिवालिया होने के कगार पर पहुंचने के बावजूद हसीन सपने देख रहा है। उसकी याददाश्त कमजोर हो चुकी है लेकिन देशभक्ति का टॉनिक उसकी मर्दाना कमजोरी को दूर किए हुए है। साल 2020 के खत्म होते-होते पूरी दुनिया में भारत के फोटो जर्नलिस्टों के कैमरों से निकले दो फोटो की चर्चा हो गई लेकिन मध्यम वर्ग इसके बावजूद नींद से जागने को तैयार नहीं है। शाहीनबाग में सरेआम गोली चलाने वाले कपिल गूर्जर को जिस दिन बीजेपी में शामिल करने के लिए इस फर्जी राष्ट्रवादी पार्टी की थू-थू हो रही थी, ठीक उसी वक्त अमेरिका की वंडर वुमन बिल्कीस दादी का फोटो जारी कर उन्हें सबसे प्रेरणादायक महिलाओं में शुमार कर रही थी।  हालांकि बीजेपी ने छह घंटे बाद कपिल गूर्जर को पार्टी से बाहर निकालकर आरोपों से अपना पीछा छुड़ाया। लेकिन दुनियाभर में तब तक शाहीनबाग में फायरिंग करते हुए कपिल गूर्जर की पुरानी फोटो एक बार फिर से वायरल हो चुकी थी लेकिन तब उसके साथ वंडर वुमन की वो सोशल मीडिया पोस्ट भी वायरल हो चुकी थी, जिसमें उसने दादी का फोटो लगाया था।