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मुल्ला जी की दाढ़ी पर सवाल

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-अलीका मध्य प्रदेश के एक मुस्लिम स्टूडेंट को उसकी दाढ़ी कटाने का आदेश देकर एक स्कूल ने फिर से इस बहस को जन्म दे दिया कि आखिर इस देश में किसी अल्पसंख्यक के मूलभूत अधिकार की व्याख्या क्या फिर से करनी चाहिएय़ क्योंकि इस मामले में जिस तरह हाई कोर्ट ने भी स्कूल का साथ दिया है, उससे इस तरह के सवाल तो खड़े ही किए जाएंगे। पहले जानिए कि पूरा मामला क्या है। मध्य प्रदेश में विदिशा जिले के निर्मला कॉन्वेंट हायर सेकेंडरी स्कूल स्कूल में 10 वीं कक्षा के छात्र मोहम्मद सलीम ने धार्मिक कारणों से दाढ़ी रखी और जब वह स्कूल में आया तो स्कूल की ईसाई प्रिंसिपल ने उसे नोटिस जारी करते हुए कहा कि या तो वह अपनी दाढ़ी कटाकर स्कूल में आए या फिर इस स्कूल से अपना नाम कटाकर कहीं और चला जाए। इस नोटिस का छात्र पर गहरा असर हुआ। उसने अदालत की शरण ली। हाई कोर्ट तक मामला पहुंचने के बाद हाई कोर्ट ने भी स्कूल का ही साथ दिया औऱ कहा कि अल्पसंख्यकों को अपने स्कूल के नियम खुद बनाने का अधिकार है। इसलिए इस बारे में कोर्ट उस स्कूल को कोई नोटिस जारी नहीं कर सकता। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में आ गया है और 30 मार्च को इस मामले की अगली

धर्म किसका है

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अगर इधर आपने अखबारों को गौर से पढ़ा होगा तो यकीनन कुछ सुर्खियां आपकी नजरों से गुजरी होंगी, हालांकि वे बड़ी खबरें नहीं थीं लेकिन कुछ अखबारों में उनको जगह मिली। क्या थी वें खबरें - बिहार में एक मंदिर में प्रसाद चढ़ाने की कोशिश करने वाले एक दलित की हत्या कर दी गई। कई लोग घायल हो गए। आंध्र प्रदेश का अदिलाबाद इलाका भयानक सांप्रदायिक हिंसा (communal violence) से झुलस रहा है। यहां दो दिनों में 15 लोगों को जिंदा जला दिया गया। मरने वाले सभी लोग मुसलमान थे। इसमें सबसे लोमहर्षक कांड जो हुआ है वह है एक ही परिवार के नौ लोगों को जिंदा जलाने का मामला। ये सारी घटनाएं दुर्गा पूजा से जुड़ी हुई हैं। बिहार की घटना नालंदा जिले में हुई। वही नालंदा जहां कभी ज्ञान की गंगा बहती थी और दुनिया को रास्ता दिखाने वाले विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी। वहां के एक मंदिर में प्रसाद चढ़ाने वालों की लाइन लगी हुई थी। लाइन में दलित लोग भी लगे हुए थे। लेकिन उनका नंबर नहीं आ रहा था। लाइन में लगे कारू पासवान ने इस पर पुजारी से आपत्ति दर्ज कराई और कहा कि हमने भी मंदिर में चंदा दिया है। पुजारी ने उसे धमकाया कि पहला हक सवर्णो क