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क्या मोदी ने जानबूझकर भगत सिंह के बारे में झूठ बोला

हम यह मानने को तैयार नहीं कि भारत के प्रधानमंत्री के पास पीएमओ में लाइब्रेरी नहीं होगी, रिसर्चर नहीं होंगे और उनको भाषण के लिए इनपुट न दिए जाते होंगे। ...लगता यही है कि  मोदी की ऐसी कोई मजबूरी है जो उनसे शहीदे आज़म भगत सिंह और अन्य के बारे में जानबूझकर झूठे तथ्य बुलवा रही है ताकि उस झूठ को सच बताकर स्थापित किया जा सके। वरना मोदी से इतनी बड़ी ग़लती नामुमकिन है। एक झूठ को सच साबित करने के लिए अगर कुछ बड़े लोग मिलकर झूठ बोलने लगें तो काफ़ी लोगों को वह झूठ सच लगने लगता है। बड़े लोगों का झूठ इतनी नफ़ासत से सामने आता है कि तथ्यों से बेख़बर लोग उसे सच मान लेते हैं। आररएसएस इसी नीति पर काम कर रहा है। बतौर प्रधानमंत्री मोदी जब बार बार ऐतिहासिक तथ्यों पर झूठ बोलेंगे तो लोग उसी झूठ को सच मानने लगेंगे। क्योंकि उनसे भारत का सामान्य मानवी ऐसी उम्मीद नहीं कर सकता। पीएमओ के बारे में मैं बहुत नज़दीक से जानता हूँ। वहाँ हर सूचना मात्र एक क्लिक पर उपलब्ध रहती है। हर चीज़ के एक्सपर्ट पीएमओ से जुड़े हुए हैं।  यह कैसे संभव है कि पीएम कुछ भी अंट शंट बोलने से पहले ऐतिहासिक जानकारियों की पुष्टि न करते