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मोदी जी खिलाएं गाय को चारा, कहां गया वो माखन चोर प्यारा

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 - यूसुफ किरमानी कितनी खूबसूरत तस्वीर है...गौर से देखिए... लेकिन ये फोटो कुछ लोगों को हज़म नहीं हो रही है। क्या देश का प्रधानमंत्री गाय को चारा नहीं खिला सकता। हम लोग जब कोई फोटो कहीं लगाने के लिए सेव करते हैं तो उसे एक नाम देते हैं। लेकिन जब मैंने इसे सेव करते हुए नाम दिया तो खुशी से उछल पड़ा। मैंने इसका नाम दिया था- मोदी काऊ यानी मोदी गाय। है न शानदार नाम। कोई ताज्जुब नहीं कि राज्यों में पशुपालन विभाग अब मोदी गाय को हाइब्रिड बनाकर इसका उत्पादन शुरू न कर दे। अभी मैंने मोदी काऊ का पेटेंट नहीं कराया है। अगर कोई इस नाम यानी मोदी काऊ या मोदी गाय का इस्तेमाल करे तो कृपया इस खाकसार को श्रेय देना न भूलें। श्रेय देने से प्यार बढ़ता है। थोड़ा विषयांतर करते हैं। देश में एक बीमारी चल रही है मोदी जी को बुरा बोलते रहो। लेकिन ये सब गलत है। कोई मोदी जी का कुछ उखाड़ नहीं पाएगा। 2024 का चुनाव होने दीजिए और मोदी जी को आने दीजिए। ये सारे के सारे बिलों में छिप जाएंगे। क्योंकि देश 2024 के बाद बदल जाएगा। अभी जो मेरी चिन्ता का विषय है वो है अयोध्या में राम मंदिर का मूल जगह पर नहीं बनना। ये बात भाजपा के ही

आत्ममुग्ध भारतीय खिलाड़ी

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  पैसे और अपार मीडिया कवरेज ने भारतीय खिलाड़ियों को आत्ममुग्ध कर दिया है। इन लोगों को जंतर मंतर पर बैठी 7 भारतीय महिला पहलवानों का संघर्ष फर्जी लग रहा है।  पीटी ऊषा जिन्हें भारत में उड़न परी का ख़िताब मिला, उन्हें भी महिला पहलवानों की बातों पर यक़ीन नहीं है। भारत में जब कोई महिला यौन शोषण का आरोप लगाती है, तो उससे पहले वो उसके नतीजों पर विचार करती है। क्या आपको लगता है कि महिला पहलवानों ने भाजपा के बाहुबली सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का आरोप बिना सोचे समझे लगा दिया। वो भी तब जब उनकी सरकार हो, उनका बोलबाला हो। मुझे आशंका है कि पीटी ऊषा के सरकार समर्थक बयान आने के बाद इन महिला पहलवानों में से कोई आत्महत्या न कर ले।  वैसे भी इस देश में शीर्ष लोग जब किसी की आत्महत्या पर चुटकुले बनाने लगें तो अब खिलाड़ी तो क्या किसी पकौड़े तलने वाले की ख़ुदकुशी पर कोई पत्ता भी नहीं हिलेगा। ये सचिन, ये विराट कोहली...समेत असंख्य भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी जिन्होंने करोड़ों रूपये भारत की जनता के जुनून के दम पर कमाए हैं, इनकी औक़ात नहीं है कि ये सरकार के ख़िलाफ़ बोल सकें। ये लोग उन महान फ़ुटबॉलर मेसी, रोनाल

इस रामनवमी पर एक चमत्कार हुआ

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- यूसुफ किरमानी  रामनवमी के सुखद संदेश... रामनवमी का जुलूस कल हमारे घर के पास गुज़रा। मेरा घर दिल्ली  के मुहल्ले में है। मुहल्ले से मतलब घेटो में रहने वाला अब्दुल मत समझिएगा।  ऐसा जुलूस हर साल गुज़रता है।  इस बार कुछ बदलाव था। इस बार शोभायात्रा या जुलूस में एक नया नारा था- मोदी योगी अमर रहें। यह नारा जय श्रीराम के नारे का अग़ला चरण है। जब हम नए नारे देते हैं तो सुखद अनुभूति होती है। रामनवमी एक धार्मिक त्यौहार है। भारत में रामनवमी पर इस नए नारे का लगना सनातन धर्म के लिए गौरवशाली पल होना चाहिए।  आख़िरकार मोदी-योगी ज़िन्दा कौम की निशानी हैं।  सनातन धर्म में दो राजनीतिक नेताओं का रामनवमी पर पूजा जाना एक धर्म के प्रगतिशील होने की निशानी ही कही जाएगी। ऐसे धर्म को प्रणाम। वो दरबारी कवि, कथाकार, शायर, पत्रकार कहाँ हैं जो इन गौरवशाली पलों को कलमबंद नहीं कर रहे हैं। ख़ैर, जाने दीजिए। मैं लिख रहा हूँ, क्या कम है? मेरा कंटेंट मुफ़्त है। कोई शुल्क नहीं।  आप बोर हो रहे हैं। आप जो पढ़ना चाहते हैं वो माल हमारी दुकान में नहीं है। आइए, विषय परिवर्तन करते हैं। ये विषय पसंद पाएगा। भारत के कुछ हिस्सों में

भारतीय लोकतंत्र पर जॉर्ज सोरोस की टिप्पणी को समझिए

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Decoding George Soros comment on Indian Democracy  - यूसुफ किरमानी  अडानी मुद्दे के बहाने भारत में लोकतंत्र पुनर्जीवित हो सकता है यह बात एक विदेशी पूँजीपति सोचता है। उनका नाम है जॉर्ज सोरोस (George Soros)।  जबकि हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि अडानी समूह भारत को व्यवस्थित ढंग से लूट रहा है। एक मुद्दा, दो विदेशी विचार। पूँजीपति जॉर्ज सोरोस का बयान आने के बाद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इसे भारत पर हमला बताया। हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह ने भी यही कहा था कि उनके ख़िलाफ़ रिपोर्ट आने का मतलब भारत पर हमला है। तो, इस बात पर अडानी समूह (Adani Group) और केंद्र की मोदी सरकार सहमत हैं कि भारत पर विदेशी लोग हमला कर रहे हैं। लेकिन हमले के केंद्र में अडानी समूह है। कौन किसका बचाव कर रहा है। इस पर माथापच्ची न करते हुए आगे जॉर्ज सोरोस पर बात करते हैं। जॉर्ज सोरोस पर कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने पार्टी की ओर से यह कहने की कोशिश की है कि यह हमारा अपना मामला है, आप क्यों बीच में कूद पड़े। लेकिन जयराम रमेश या उनकी कांग्रेस पार्टी वास्तविकता से मुँह मोड़ रहे हैं।  जॉर्ज सोरोस खुद पूँज

बात नफरत की दूर देश तक जा पहुंची है

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India's hate environment is being discussed abroad भारत में बने नफ़रत (hate) के माहौल को लेकर भले ही कांग्रेस पार्टी के राहुल गांधी को चिन्ता हो, लेकिन दुनिया में कई और जगहों पर भी इस पर चिन्ता जताई जा रही है। अगर कोई नहीं समझने को तैयार है, तो वो हैं - भाजपा और आरएसएस (BJP, RSS)। जिस देश में महंगाई, बेरोज़गारी, भुखमरी, अशिक्षा, दम तोड़ती स्वास्थ्य व्यवस्था मुद्दा ही नहीं हैं। राष्ट्रीय टीवी चैनलों पर बहस अफ़्रीका से चीता लाए जाने और उन्हें छोड़ने पर हो रही हो।   दो दिन पहले जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के बर्कले सेंटर फॉर रिलिजन, पीस एंड वर्ल्ड अफेयर्स के एक वरिष्ठ फेलो जॉक्लीने केसरी ने द कन्वर्सेशन यूएस की एक पत्रकार और संपादक कल्पना जैन के साथ भारत में मुस्लिम विरोधी अभद्र भाषा और हिंसा (hate violence) के उदय पर चर्चा की। विद्वानों और पत्रकारिता के दृष्टिकोण को मिलाकर, दोनों ने तर्क दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने देश के हिंदू बहुसंख्यकों के बीच मुसलमानों के प्रति साम्प्रदायिक नज़रिया और माहौल का निर्माण किया है।       2014 में मोदी के सत्ता मे

देश में शॉर्टकट पॉलिटिक्स कौन कर रहा है

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Shortcut Politics in India: Leaders and their Character   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को विपक्षी दलों पर शॉर्टकट पॉलिटिक्स करने का आरोप लगाते हुए उन्हें चेतावनी दी। शॉर्टकट पॉलिटिक्स का मतलब है राजनीति में जल्द सफलता हासिल करने के नुस्खे। पीएम मोदी का यह जुमला सोमवार को देश के कुछ अखबारों की सुर्खियां बन गया। लेकिन इन सुर्खियों में वो बात कहीं नहीं लिखी गई कि दरअसल, कौन सा राजनीतिक दल शॉर्टकट पॉलिटिक्स में विश्वास नहीं रखता है। बल्कि अगर सलीके से इस बात को कहा जाए, तो आधुनिक भारतीय राजनीतिक इतिहास में मोदी जी शॉर्टकट पॉलिटिक्स के मसीहा बन गए हैं। उनके जुमलों पर नजर डालते जाइए और शॉर्टकट पॉलिटिक्स को समझते जाइए।     क्यों कही पीएम मोदी ने यह बात   उससे पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर पीएम मोदी ने किस वजह से बीजेपी को छोड़कर बाकी राजनीतिक दलों को शॉर्टकट पॉलिटिक्स न करने की चेतावनी दी। दरअसल, हाल ही में गुजरात, हिमाचल, एमसीडी के अलावा कुछ उपचुनावों के नतीजे आए हैं। गुजरात को छोड़कर बीजेपी बाकी जगह हार गई है। आम आदमी पार्टी मुफ्त बिजली, पानी के वादे के साथ दिल्ली से लेकर पंजाब और अ

गुजरात, हिमाचल, दिल्ली के चुनाव नतीजे क्या बताते हैं- मोदीत्व कितना चलेगा

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Election results of Gujarat, Himachal, Delhi : how long Moditva will last गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे 8 दिसंबर को आए। इससे पहले 7 दिसंबर को दिल्ली में एमसीडी चुनाव के नतीजे आए थे। लेकिन मीडिया गुजरात की चर्चा कुछ ज्यादा ही कर रहा है। 8 दिसंबर को गुजरात में बीजेपी को जीत दिलाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendar Modi) ने अपने संबोधन में भी गुजरात का जिक्र ज्यादा किया, हिमाचल और एमसीडी में बीजेपी की हार की चर्चा नहीं के बराबर की।  गुजरात में बीजेपी को भारी जीत मिली है। इसमें कोई शक नहीं है। 182 विधानसभा सीटों में से 157 सीटें जीतना मामूली बात नहीं है। दिल्ली एमसीडी चुनावों में भी भगवा पार्टी (Saffron Party ) ने अप्रत्याशित रूप से दमदार प्रदर्शन किया, लेकिन आम आदमी पार्टी से एक मामूली अंतर से हार गई। गुजरात में बीजेपी की जीत काबिले तारीफ है। तथ्य यह है कि उसे 52% से अधिक वोट शेयर मिला है। यही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दबदबे को बताने के लिए काफी है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच विपक्षी वोटों के बंटवारे के साथ ही गुजराती मतदाताओं से मोदी के  भावनात्मक जुड़ा

हम क्यों उनको याद करें!

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आम्बेडकर को क्या करोगे याद करके देश आम्बेडकर के संविधान से नहीं, गोलवरकर की किताब से चलेगा गौर से चेहरे और नामों को पढ़िए  जो तलवारें लहरा रहे हैं उन्मादी नारे लगा रहे हैं। उसने अपने अनुयायियों को बौद्ध बनाया पर, वो न बौद्ध हो सके और न इंसान वो सब के सब बन गए हैं हिन्दू-स्तान। हिन्दू होना ज़रा भी बुरा नहीं है गोलवरकर बन जाना ख़तरनाक है सावरकर से गोडसे तक नाम ही नाम हैं हेडगेवार से पहले भी तो हिन्दू थे उनके हाथों में भगवा नहीं, तिरंगा था वे चंद्रशेखर आज़ाद थे, वे बिस्मिल थे वे हिन्दू थे, लेकिन भगवाधारी हिन्दू नहीं थे वे भगत सिंह थे, वे सुखदेव थे वे किसी सिख संगत के मेंबर नहीं थे। आम्बेडकर ने मनुस्मृति को कुचला मनुस्मृति कुचलने से हिन्दुत्व ख़त्म नहीं हुआ वो मनुस्मृति का नया संस्करण ले आए संविधान ही मनुस्मृति में बदल रहा है।  लेकिन अब्दुल को क्यों फ़र्क़ पड़े इन बातों से उसे तो पंक्चर ही लगाना है उसे दंगाई कहलाना है और घर पर बुलडोज़र बुलवाना है। बाबा के संविधान ने अब्दुल को क्या दिया हाँ, यूएपीए दिया, टाडा दिया, एनआईए दिया अब्दुल को उलझाने के अनगिनत हथियार दिए कथित धर्मनिरपेक्ष भारत को अ