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islamic terrorist लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

माफी तो मांगनी चाहिए

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-दिलीप मंडल इशरत जहां केस के कवरेज के लिए नहीं तो अपनी भाषा के लिए, अपनी अनीति के लिए। मुकदमे का फैसला होने तक अभियुक्त लिखा जाता है अपराधी नहीं हम सब जानते हैं पत्रकारिता के स्कूलों यही तो पढ़ते हैं। लेकिन हममें उतना धैर्य कहां मुठभेड़ में मरने वालो को आंतकवादी कहने में देर कहां लगाते हैं हम? मुठभेड़ कई बार फर्जी होती है, पुलिस जानती है कोर्ट बताती है, हम भी जानते हैं, लेकिन हमारे पास उतना वक्त कहां हमें न्यूज ब्रेक करनी होती है सनसनीखेज हेडलाइन लगानी होती है वक्त कहां कि सच और झूठ का इंतजार करें। फर्जी और असली की मीमांसा करने की न हममें इच्छा होती है और न ही उतनी मोहलत और न जरूरत। इसलिए हम हर मुठभेड़ को असली मानते हैं फर्जी साबित होने तक। हम इशरत की मां से माफी नहीं मांग सकते मजिस्ट्रेट की जांच में ये साबित होने के बाद भी कि वो मुठभेड़ फर्जी थी। हम इससे कोई सबक नहीं सीखेंगे अगली मुठभेड़ को भी हम असली मुठभेड़ ही मानेंगे मरने वालों को आतंकवादी ही कहेंगे क्योंकि पुलिस ऐसा कहती है। मरने वालों के परिवार वालों की बात सुनने का धैर्य हममें कहां, पुलिस को नाराज करके क्राइम रिपोर्टिंग चलती है

मुंबई हमले के लिए अमेरिका जिम्मेदार ?

सुनने में यह जुमला थोड़ा अटपटा लगेगा लेकिन यह जुमला मेरा नहीं है बल्कि अमेरिका में सबसे लोकप्रिय और भारतीय मूल के अध्यात्मिक गुरू दीपक चोपड़ा का है। दीपक चोपड़ा ने कल सीएनएन न्यूज चैनल को दिए गए इंटरव्यू में यह बात कही है। उस इंटरव्यू का विडियो मैं इस ब्लॉग के पाठकों के लिए पेश कर रहा हूं। निवेदन यही है कि पूरा इंटरव्यू कृपया ध्यान से सुनें। अंग्रेजी में इस इंटरव्यू का मुख्य सार यह है कि जब से अमेरिका ने इराक सहित तमाम मुस्लिम देशों के खिलाफ आतंकवाद के नाम पर हमला बोला है तबसे इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं। अमेरिका आतंकवाद को दो तरह से फलने फूलने दे रहा है – एक तो वह अप्रत्यक्ष रूप से तमाम आतंकवादी संगठनों की फंडिंग करता है। यह पैसा अमेरिकी डॉलर से पेट्रो डॉलर बनता है और पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सऊदी अरब, इराक, फिलिस्तीन समेत कई देशों में पहुंचता है। दूसरे वह आतंकवाद फैलने से रोकने की आड़ में तमाम मुस्लिम देशों को जिस तरह युद्ध में धकेल दे रहा है, उससे भी आतंकवादियों की फसल तैयार हो रही है। दीपक चोपड़ा का कहना है कि पूरी दुनिया में मुसलमान कुल आबादी का 25 फीसदी हैं, जिस तरह अमेरिका के ने

प्लीज, उन्हें हिंदू आतंकवादी न कहें

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कुछ जगहों पर हुए ब्लास्ट के सिलसिले में इंदौर से हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर बहुत सख्त प्रतिक्रिया (tough reaction) देखने को मिली। इनकी गिरफ्तारी से बीजेपी और आरएसएस के लोगों ने एक बहुत वाजिब सवाल उठाया है और उस पर देशव्यापी बहस बहुत जरूरी है। हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के बाद न्यूज चैनलों और कुछ अखबारों ने जो खबर दिखाई और पढ़ाई, इनके लिए hindu terrorist यानी हिंदू आतंकवादी शब्द का इस्तेमाल किया। यह ठीक वही पैटर्न था जब कुछ मुस्लिम आतंकवादियों के पकड़े जाने पर पहले अमेरिका परस्त पश्चिमी मीडिया (western media) ने और फिर भारतीय मीडिया ने उनको इस्लामी आतंकवादी (islamic terrorist) लिखना शुरू कर दिया। बीजेपी के बड़े नेता यशवंत सिन्हा ने 24 अक्टूबर को एक बयान जारी कर इस बात पर सख्त आपत्ति जताई कि हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं को हिंदू आतंकवादी क्यों बताया जा रहा है। सिन्हा ने अपने बयान में यह भी कहा कि बीजेपी के प्राइम मिनिस्ट इन वेटिंग लालकृष्ण आडवाणी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी यह कई बार कह चुके हैं कि आतंकवादी का कोई धर्म या जाति नहीं ह