संदेश

राजनीति लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भारत में निष्पक्ष चुनाव नामुमकिनः व्यक्तिवादी तानाशाही में बदलता देश

चित्र
  Fair elections are impossible in India: The country is turning into an individualistic dictatorship an article by Yusuf Kirmani, published in Samyantar Janauary 2024 issue. भारत में निष्पक्ष चुनाव और व्यक्तिवादी तानाशाही पर यूसुफ किरमानी का यह लेख समयांतर जनवरी 2024 में प्रकाशित हुआ था। इसे अब मुफ्त कंटेंट के तौर पर हिन्दीवाणी के पाठकों के लिए प्रकाशित किया जा रहा है। भारत में निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव के लिए एकमात्र संस्था केंद्रीय चुनाव आयोग है।  12  दिसंबर को राज्यसभा में और 21 दिसंबर 2023 को लोकसभा के शीतकालीन अधिवेशन में मोदी सरकार एक विधेयक लाई और उसके जरिए केंद्रीय चुनाव आयोग में केंद्रीय चुनाव आयुक्त (सीईसी) और आयुक्तों के चयन का अधिकार प्रधानमंत्री ,  सरकार का कोई मंत्री और नेता विपक्ष को मिल गया। इतना ही नहीं चुनाव आयुक्तों का दर्जा और वेतन सुप्रीम कोर्ट के जजों के बराबर कर दिया गया।  नियमों में एक और महत्वपूर्ण बदलाव यह भी हुआ कि अगर कोई मुख्य चुनाव आयुक्त या आयुक्त अपने कार्यकाल में जो भी फैसले लेगा ,  उसके खिलाफ न तो कोई एफआईआर दर्ज होगी और न ही उसे किसी अदालत द्वारा उस

मोदी जी खिलाएं गाय को चारा, कहां गया वो माखन चोर प्यारा

चित्र
 - यूसुफ किरमानी कितनी खूबसूरत तस्वीर है...गौर से देखिए... लेकिन ये फोटो कुछ लोगों को हज़म नहीं हो रही है। क्या देश का प्रधानमंत्री गाय को चारा नहीं खिला सकता। हम लोग जब कोई फोटो कहीं लगाने के लिए सेव करते हैं तो उसे एक नाम देते हैं। लेकिन जब मैंने इसे सेव करते हुए नाम दिया तो खुशी से उछल पड़ा। मैंने इसका नाम दिया था- मोदी काऊ यानी मोदी गाय। है न शानदार नाम। कोई ताज्जुब नहीं कि राज्यों में पशुपालन विभाग अब मोदी गाय को हाइब्रिड बनाकर इसका उत्पादन शुरू न कर दे। अभी मैंने मोदी काऊ का पेटेंट नहीं कराया है। अगर कोई इस नाम यानी मोदी काऊ या मोदी गाय का इस्तेमाल करे तो कृपया इस खाकसार को श्रेय देना न भूलें। श्रेय देने से प्यार बढ़ता है। थोड़ा विषयांतर करते हैं। देश में एक बीमारी चल रही है मोदी जी को बुरा बोलते रहो। लेकिन ये सब गलत है। कोई मोदी जी का कुछ उखाड़ नहीं पाएगा। 2024 का चुनाव होने दीजिए और मोदी जी को आने दीजिए। ये सारे के सारे बिलों में छिप जाएंगे। क्योंकि देश 2024 के बाद बदल जाएगा। अभी जो मेरी चिन्ता का विषय है वो है अयोध्या में राम मंदिर का मूल जगह पर नहीं बनना। ये बात भाजपा के ही

आत्ममुग्ध भारतीय खिलाड़ी

चित्र
  पैसे और अपार मीडिया कवरेज ने भारतीय खिलाड़ियों को आत्ममुग्ध कर दिया है। इन लोगों को जंतर मंतर पर बैठी 7 भारतीय महिला पहलवानों का संघर्ष फर्जी लग रहा है।  पीटी ऊषा जिन्हें भारत में उड़न परी का ख़िताब मिला, उन्हें भी महिला पहलवानों की बातों पर यक़ीन नहीं है। भारत में जब कोई महिला यौन शोषण का आरोप लगाती है, तो उससे पहले वो उसके नतीजों पर विचार करती है। क्या आपको लगता है कि महिला पहलवानों ने भाजपा के बाहुबली सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का आरोप बिना सोचे समझे लगा दिया। वो भी तब जब उनकी सरकार हो, उनका बोलबाला हो। मुझे आशंका है कि पीटी ऊषा के सरकार समर्थक बयान आने के बाद इन महिला पहलवानों में से कोई आत्महत्या न कर ले।  वैसे भी इस देश में शीर्ष लोग जब किसी की आत्महत्या पर चुटकुले बनाने लगें तो अब खिलाड़ी तो क्या किसी पकौड़े तलने वाले की ख़ुदकुशी पर कोई पत्ता भी नहीं हिलेगा। ये सचिन, ये विराट कोहली...समेत असंख्य भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी जिन्होंने करोड़ों रूपये भारत की जनता के जुनून के दम पर कमाए हैं, इनकी औक़ात नहीं है कि ये सरकार के ख़िलाफ़ बोल सकें। ये लोग उन महान फ़ुटबॉलर मेसी, रोनाल

अतीक अहमद: बेवकूफ और मामूली गुंडा क्यों था

चित्र
Mafia Don Atiq Ahmed and his brother Ashraf live murder on camera in Allahabad  - यूसुफ किरमानी  अतीक और अशरफ़ की हत्या करने वालों के नाम लवलेश तिवारी, सनी सिंह और अरूण मौर्य हैं।   नाम फिर से पढ़िए। नाम में कुछ नहीं रखा है। जो है वो जाति है। इन तीनों अपराधियों में जाति नाम का ग़ज़ब का संतुलन है। नाम फिर से पढ़िए। यूपी सरकार  ने अतीक-अशरफ़ हत्याकांड की जाँच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक जाँच समिति बनाई है। इस समिति में कौन-कौन हैं-  जांच समिति के अध्यक्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस अरविंद कुमार त्रिपाठी, सदस्यों में रिटायर्ड जस्टिस बृजेश कुमार सोनी और पूर्व डीजीपी सुबेश कुमार सिंह हैं। जाँच समिति के तीनों नाम फिर से पढ़िए। फिर हत्या करने वाले तीनों आरोपियों के नाम पढ़िए ...और फिर उन्हें मिलाकर पढ़िए। जाँच रिपोर्ट का सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि वो क्या होगी। जातिवाद सत्य है। धार्मिक नारे सत्य हैं।  वैसे, यह लेख अपराधियों या जाँच समिति के लोगों की जाति पर नहीं है। यह लेख अतीक पर है और उस सिस्टम पर है, जिसमें अतीक जैसे मोहरे तैयार होते हैं। अतीक-अशरफ़ की हत्या का जिन तीनों पर आरो

इस रामनवमी पर एक चमत्कार हुआ

चित्र
- यूसुफ किरमानी  रामनवमी के सुखद संदेश... रामनवमी का जुलूस कल हमारे घर के पास गुज़रा। मेरा घर दिल्ली  के मुहल्ले में है। मुहल्ले से मतलब घेटो में रहने वाला अब्दुल मत समझिएगा।  ऐसा जुलूस हर साल गुज़रता है।  इस बार कुछ बदलाव था। इस बार शोभायात्रा या जुलूस में एक नया नारा था- मोदी योगी अमर रहें। यह नारा जय श्रीराम के नारे का अग़ला चरण है। जब हम नए नारे देते हैं तो सुखद अनुभूति होती है। रामनवमी एक धार्मिक त्यौहार है। भारत में रामनवमी पर इस नए नारे का लगना सनातन धर्म के लिए गौरवशाली पल होना चाहिए।  आख़िरकार मोदी-योगी ज़िन्दा कौम की निशानी हैं।  सनातन धर्म में दो राजनीतिक नेताओं का रामनवमी पर पूजा जाना एक धर्म के प्रगतिशील होने की निशानी ही कही जाएगी। ऐसे धर्म को प्रणाम। वो दरबारी कवि, कथाकार, शायर, पत्रकार कहाँ हैं जो इन गौरवशाली पलों को कलमबंद नहीं कर रहे हैं। ख़ैर, जाने दीजिए। मैं लिख रहा हूँ, क्या कम है? मेरा कंटेंट मुफ़्त है। कोई शुल्क नहीं।  आप बोर हो रहे हैं। आप जो पढ़ना चाहते हैं वो माल हमारी दुकान में नहीं है। आइए, विषय परिवर्तन करते हैं। ये विषय पसंद पाएगा। भारत के कुछ हिस्सों में