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प्रेस फ्रीडम को कूड़ेदान में फेंक दो

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आज प्रेस फ्रीडम डे है। अंग्रेजी में यही नाम दिया गया है। मित्र लोग संदेश भेज रहे हैं कि आज की-बोर्ड की आजादी की रक्षा करें। मतलब कलम की जगह अब चूंकि कंप्यूटर के की-बोर्ड ने ले ली है तो जाहिर है कि अब कलम की बजाय की-बोर्ड की आजादी की बात ही कही जाएगी। आप तमाम ब्लॉगर्स में से बहुत सारे लोग पत्रकार है और जो नहीं हैं वे ब्लॉगर होने के नाते पत्रकार हैं। क्या आप बता सकते हैं कि क्या वाकई प्रेस फ्रीडम नामक कोई चीज बाकी बची है। भयानक मंदी के दौर में तमाम समाचारपत्र और न्यूज चैनल जिस दौर से गुजर रहे हैं क्या उसे देखते हुए प्रेस फ्रीडम बाकी बची है। तमाम लोग जो इन संचार माध्यमों में काम कर रहे हैं वह बेहतर जानते हैं कि कि प्रेस फ्रीडम शब्द आज के दौर में कितना बेमानी हो गया है। आज कोई भी मिशनरी पत्रकारिता नहीं कर रहा है और न ही इसकी जरूरत है। हम लोग अब तथाकथित रूप से प्रोफेशनल हो गए हैं और प्रोफेशनल होने में हम मशीन बन जाते हैं तो क्या उसमें कहीं फ्रीडम की गुंजाइश बचती है। प्रेस की दुनिया में अब सारा काम इशारेबाजी में होता है। बड़े से लेकर छोटे तक को बस इशारे किए जाते हैं। मेरा मानना है कि प्रेस