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आतंकवाद के बीज से आतंकवाद की फसल ही काटनी पड़ेगी

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- स्वामीनाथन एस. ए. अय्यर, सलाहकार संपादक, द इकोनॉमिक टाइम्स   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी आतंकवाद को नियंत्रित करने और इसे खत्म करने पर काफी कुछ कहते रहते हैं। लेकिन आतंकवाद की सही परिभाषा क्या है ? डिक्शनरी में इसकी परिभाषा बताई गई है – अपना राजनीतिक मकसद पूरा करने के लिए खासतौर पर नागरिकों के खिलाफ हिंसा और धमकी का गैरकानूनी इस्तेमाल। इस परिभाषा के हिसाब से जो भीड़ बीफ ले जाने की आशंका में लोगों को पीट रही है और जान से मार रही है, वह लिन्चिंग मॉब (जानलेवा भीड़) दरअसल आतंकवादी ही हैं। कश्मीर में भी जो लोग इस तरह पुलिसवालों की हत्या कर रहे हैं वह भी वही हैं। जान लेने वाली यह सारी भीड़ अपने धार्मिक-राजनीतिक मकसदों के लिए नागरिकों के खिलाफ गैरकानूनी हिंसा का सहारा ले रही है। यह सभी लोग आतंकवादी की परिभाषा के सांचे में फिट होते हैं। हालांकि बीजेपी में बहुत सारे लोग इससे सहमत नहीं होंगे। वह कहेंगे कि हिंदुओं की भावनाएं आहत हुई हैं और बीफ विरोधी हिंसा को समझने की जरूरत है। कश्मीर में हुर्रियत भी मारे गए पुलिसवालों की मौत पर घड़ियाली आंसू बहाएगी और कहेगी कि भारतीय स

हिंदुत्व की धारणा विकास विरोधी क्यों है

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- टी.के. अरुण नरेंद्र मोदी इस समझ को सिरे से खारिज करते हैं कि हिंदुत्व के साथ विकास की कोई संगति नहीं बैठ सकती। गुजरात की प्रगति को वे अपनी बात के सबूत के तौर पर पेश करते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि गुजरात का प्रशासन गतिशील है और यह भारत के सबसे तेजी से आगे बढ़ रहे राज्यों में एक है। भारतीय उद्यमी जगत के कई प्रमुख नाम तो मोदी को एक दिन भारत के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहते हैं। फिर विकास को मुद्दा बनाकर हिंदुत्व के बारे में खामखा की एक बहस खड़ी करने का भला क्या औचित्य है? औचित्य है, क्योंकि हिंदुत्व विकास की मूल प्रस्थापना का ही निषेध करने वाली अवधारणा है। हिंदुत्व निश्चय ही हिंदू धर्म से पूरी तरह अलग चीज है। हिंदू धर्म एक सर्व-समावेशी, वैविध्यपूर्ण, बहुदेववादी धर्म और संस्कृति है, जिसका अनुसरण भारत के 80 प्रतिशत लोग करते हैं। इसके बरक्स हिंदुत्व भारतीय समाज को गैर-हिंदुओं के प्रति शत्रुता के आधार पर संगठित करना चाहता है और भारतीय राष्ट्रवाद को कुछ इस तरह पुनर्परिभाषित करना चाहता है कि धार्मिक अल्पसंख्यक इसमें दूसरे दर्जे के नागरिक बन कर रह जाएं। क्या यह घिसा-पिटा आरोप नहीं है?

प्लीज, उन्हें हिंदू आतंकवादी न कहें

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कुछ जगहों पर हुए ब्लास्ट के सिलसिले में इंदौर से हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर बहुत सख्त प्रतिक्रिया (tough reaction) देखने को मिली। इनकी गिरफ्तारी से बीजेपी और आरएसएस के लोगों ने एक बहुत वाजिब सवाल उठाया है और उस पर देशव्यापी बहस बहुत जरूरी है। हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के बाद न्यूज चैनलों और कुछ अखबारों ने जो खबर दिखाई और पढ़ाई, इनके लिए hindu terrorist यानी हिंदू आतंकवादी शब्द का इस्तेमाल किया। यह ठीक वही पैटर्न था जब कुछ मुस्लिम आतंकवादियों के पकड़े जाने पर पहले अमेरिका परस्त पश्चिमी मीडिया (western media) ने और फिर भारतीय मीडिया ने उनको इस्लामी आतंकवादी (islamic terrorist) लिखना शुरू कर दिया। बीजेपी के बड़े नेता यशवंत सिन्हा ने 24 अक्टूबर को एक बयान जारी कर इस बात पर सख्त आपत्ति जताई कि हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं को हिंदू आतंकवादी क्यों बताया जा रहा है। सिन्हा ने अपने बयान में यह भी कहा कि बीजेपी के प्राइम मिनिस्ट इन वेटिंग लालकृष्ण आडवाणी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी यह कई बार कह चुके हैं कि आतंकवादी का कोई धर्म या जाति नहीं ह