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एक छात्र का मुझसे बारीक सवाल

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भारतीय लोकतंत्र में क्या दिनों-दिन गिरावट आ रही है? यह सवाल मुझसे 12वीं क्लास के एक छात्र ने आज उस वक्त किया, जब मैं किसी सिलसिले में उसके स्कूल गया था और एक टीचर ने मुझसे एक पत्रकार के रूप में उस छात्र से परिचय करा दिया। फिर उसने अचानक अमेरिका का उदाहरण दे डाला कि तमाम अमेरिकी दादागीरी के बावजूद हर राष्ट्रपति चुनाव में वहां की जनता अमेरिकी लोकतंत्र को और मजबूत करती हुई दिखाई देती है जबकि भारत में हर चुनाव के साथ इसमें गिरावट देखी जा रही है। मैंने उस छात्र को विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश को लेकर इस तरह की राय न बनाने की सलाह दी और कुछ बताना चाहा। लेकिन उसके अपने अकाट्य तर्क थे। उसका कहना था कि आप लोग कब तक झूठ बोलते रहेंगे। उसने कहा कि ऐसा कोई चुनाव याद दिलाइए जब भारत में जाति और धर्म के नाम पर वोट न मांगे गए हों? क्या यहां यह संभव है? सच यह है कि इस देश की सत्ता जिन लोगों के हाथों में होनी चाहिए, वे हाशिए पर हैं। भारत एक गरीब देश है लेकिन कोई गरीब, दलित या मुसलमान इस देश का प्रधानमंत्री नहीं बन सका? मैंने उसे एपीजे अब्दुल कलाम, हामिद अंसारी (मौजूदा उपराष्ट्रपति), डा. जाकिर हुसैन