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बात नफरत की दूर देश तक जा पहुंची है

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India's hate environment is being discussed abroad भारत में बने नफ़रत (hate) के माहौल को लेकर भले ही कांग्रेस पार्टी के राहुल गांधी को चिन्ता हो, लेकिन दुनिया में कई और जगहों पर भी इस पर चिन्ता जताई जा रही है। अगर कोई नहीं समझने को तैयार है, तो वो हैं - भाजपा और आरएसएस (BJP, RSS)। जिस देश में महंगाई, बेरोज़गारी, भुखमरी, अशिक्षा, दम तोड़ती स्वास्थ्य व्यवस्था मुद्दा ही नहीं हैं। राष्ट्रीय टीवी चैनलों पर बहस अफ़्रीका से चीता लाए जाने और उन्हें छोड़ने पर हो रही हो।   दो दिन पहले जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के बर्कले सेंटर फॉर रिलिजन, पीस एंड वर्ल्ड अफेयर्स के एक वरिष्ठ फेलो जॉक्लीने केसरी ने द कन्वर्सेशन यूएस की एक पत्रकार और संपादक कल्पना जैन के साथ भारत में मुस्लिम विरोधी अभद्र भाषा और हिंसा (hate violence) के उदय पर चर्चा की। विद्वानों और पत्रकारिता के दृष्टिकोण को मिलाकर, दोनों ने तर्क दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने देश के हिंदू बहुसंख्यकों के बीच मुसलमानों के प्रति साम्प्रदायिक नज़रिया और माहौल का निर्माण किया है।       2014 में मोदी के सत्ता मे

मुस्लिम ब्रदरहुड से बड़ी चुनौती है आरएसएस की

-विकास नारायण राय, पूर्व आईपीएस राहुल गाँधी की आरएसएस की मुस्लिम ब्रदरहुड से तुलना सटीक होते हुए भी ऐतिहासिक सतहीपन का शिकार नजर आती है| सबसे पहले, उन्होंने वैश्विक शांति के नजरिये से आकलन में वही गलती की है जो 2013 में मिश्र में मोहम्मद मोरसी की सरकार का तख्ता पलट होने देने में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने की थी| पॉलिटिकल इस्लाम को अरब समाज के लोकतान्त्रिक परिदृश्य से ओझल नहीं किया जा सकता; न पॉलिटिकल हिंदुत्व को भारतीय समाज के! दूसरे, भारतीय समाज को आरएसएस के खतरे से चेताने के लिए उन्हें देशी जमीन का इस्तेमाल करना चाहिये था क्योंकि आरएसएस विश्व शांति को नहीं भारतीय समाज की शांति को खतरा है| आज मिश्र में ब्रदरहुड के साठ हजार लोग जेलों में हैं जबकि भारत में आरएसएस अपने आप में कानून बना हुआ है; इस लिहाज से आरएसएस कई गुना बड़ी चुनौती कहा जाएगा| अमेरिका में इसी महीने मिश्र में ब्रदरहुड सत्ता पलट पर न्यूयॉर्क टाइम्स के कैरो में ब्यूरो प्रमुख रहे डेविड किर्कपैट्रिक की किताब ‘इनटू द हैंड्स ऑफ़ द सोल्जर्स’ का प्रकाशन हुआ है| उनकी थीसिस के अनुसार, ब्रदरहुड शासन में अंततः लोकतान्त्रिक