संदेश

2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अध्यात्मिक भारत में मोहर्रम के मायने

चित्र
Meaning of Muhramme in Spiritual India इस्लामिक कैलंडर के हिसाब से साल की शुरुआत हो चुकी है। मोहर्रम उसका पहला महीना है। लेकिन न सिर्फ इस्लामिक कैलंडर के हिसाब से बल्कि पूरी दुनिया में जितनी भाषाएं, धर्म, जातियां मौजूद हैं, उनके लिए भी मोहर्रम के कई मायने और मतलब है। पर, अध्यात्मिक भारत के लिए इसका महत्व बहुत खास है। भारत में मुंशी प्रेमचंद ने कर्बला का संग्राम जैसी प्रसिद्ध पुस्तक लिखकर इसे आम हिंदी भाषी लोगों तक पहुंचाया तो भारत के नामवर उर्दू शायर कुंवर मोहिंदर सिंह बेदी ने इसे नए तेवर और अकीदत के साथ पेश किया। अपनी एक रचना में वह लिखते हैं कि कर्बला के मैदान में शहीद होने वाले पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन महज किसी एक कौम की जागीर क्यों रहें, क्यों न उस कुर्बानी को आम बनाया जाए जो इंसानियत के नाम दर्ज है। जिसमें छह महीने के बच्चे से लेकर बड़ों तक बेमिसाल शहादत शामिल है। महात्मा गांधी ने अपनी अहिंसा की अवधारणा का जिक्र करते हुए लिखा है कि उन्हें इस तरफ प्रेरित करने वाली विभूतियों में इमाम हुसैन भी शामिल हैं। पूरी दुनिया में जब हिंसा अपने नए-नए चेहरे रखकर

हमारी-आपकी जिंदगी में ब्लैकबेरी

चित्र
क्या आपके पास ब्लैकबेरी (Blackberry) है, मेरे पास तो नहीं है। मैं इस मोबाइल फोन का विरोधी नहीं हूं। दरअसल पिछले तीन दिन से इसकी सेवाएं भारत सहित दुनिया के 6 करोड़ लोगों को नहीं मिल रही हैं। यह भारत के अखबारों की पहले पन्ने की खबर बन गई है। दुनिया के किसी और अखबार ने इस खबर को पहले पन्ने पर जगह नहीं दी। भारत में यह फोन आम आदमी इस्तेमाल नहीं करता। यह भारत के कॉरपोरेट जगत यानी बड़ी कंपनियों के बड़े अधिकारी, नौकरशाह, खद्दरधारी नेता, अमीर घरों के बच्चे, अमीर बनने की इच्छा रखने वाले और उनकी अपनी नजर में ठीकठाक वेतन पाने वाले प्रोफेशनल्स का यह चहेता फोन है। भारत में एक कहावत मशहूर है कि अगर आपका जूता अच्छी तरह चमक रहा है तो उससे आपकी हैसियत का अंदाजा लगाया जाता है। यानी वह जमात जो खुद को प्रभावशाली बताती है, आपको अपनी जमात में शामिल करने को तैयार है। अब उस जूते की जगह ब्लैकबेरी ने ले ली है। मैं ब्लैकबेरी खरीद सकता हूं और उसकी सेवा का दाम भी चुका सकता हूं। लेकिन मुझे उसे ठीक तरह इस्तेमाल करना नहीं आता है। जब मैं मीटिंगों में जाता हूं तो वहां लोग अपने हाथ में ब्लैकबेरी निकालकर बैठे होते

पाकिस्तान में धर्म का अपहरण

चित्र
एशिया में अगर किसी मुल्क के लोगों की धार्मिक आजादी (religious freedom)जबर्दस्त खतरे में पड़ गई है तो वह पाकिस्तान है। वहां के ब्लासफेमी कानून की आलोचना करने पर एक और राजनेता की जान ले ली गई। इस बार तालिबानी कट्टरपंथियों ने वहां के मंत्री शहबाज भट्टी की हत्या कर दी, जबकि इसी मुद्दे पर पाकिस्तानी पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या को अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं। सलमान की हत्या के बाद पाकिस्तानी पत्रकार बीना सरवर ने एनबीटी के साथ एक बातचीत में कहा था कि कट्टरपंथी इस कानून के खिलाफ उठ रही हर आवाज को दबाना चाहते हैं। इस कानून को लेकर जो बहस बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद उठी थी, वह अब नए सिरे से शुरू हो गई है। मसलन, क्या वाकई कुरान में ऐसा कोई आदेश है कि मुहम्मद की निंदा करने वाले को मृत्युदंड दिया जाए? सूर-ए-अजाब कुरानशरीफ में ब्लासफेमी (blasphemy)को लेकर आई कुरान शरीफ की आयत सूर-ए-अजाब में कहा जा रहा है - ऐ मुहम्मद, जिसने अल्लाह और उसके संदेशवाहक की निंदा की, अल्लाह उसको इसी दुनिया में और बाद में भी सजा देगा। उसने उनकी बर्बादी के पूरे इंतजाम कर दिए हैं। अगर किसी ने कुरान का अध्ययन किया ह

उत्सव शर्मा...हर शहर से निकल कर आएंगे

चित्र
उत्सव शर्मा का यह दूसरा हमला है ऐसे लोगों पर, जिन पर आरोप है कि उन्होंने बेटियों को मरने पर मजबूर किया या फिर उन्हें मार दिया। मैं यहां उत्सव के समर्थन में खड़ा हूं। मैं जानता हूं कि ऐसा कह कर मैं भारतीय संविधान और यहां की अदालतों की तौहीन कर रहा हूं लेकिन अगर अब उत्सव के लिए लोग न उठ खड़े हुए तो आगे स्थितियां और भयावह होने वाली हैं। अभी बिनायक सेन को अदालत द्वारा सजा सुनाने के बाद भारतीय मीडिया और यहां के तथाकथित बुद्धिजीवियों की जो सांप-छछूंदर वाली स्थिति रही है, उसे देखते हुए बहुत जल्द बड़ी तादाद में उत्सव और बिनायक पैदा होंगे। इस समर्थन को इस नजरिए से न देखा जाए कि मेरे जैसे लोग हिंसा को अब कारगर हथियार मानने लगे हैं। नहीं, ऐसा नहीं है। यह हिंसा नहीं, उन असंख्य भारतीय के जज्बातों का समर्थन है जो इन दिनों तमाम वजहों से बहुत आहत महसूस कर रहा है। इधर आप लोग इस तरह की खबरें भी पढ़ रहे होंगे कि काफी संख्या में पढ़े-लिखे बेरोजगार युवक अपराध की तरफ मुड़ रहे हैं। ऐसे युवक जब खद्दरधारी नेताओं और उनसे जुड़े बेईमान अफसरों को जनता के पैसे को लूटते हुए देखते हैं तो इस व्यवस्था से उनका मोह भंग ह

पाकिस्तान में कट्टरपंथी पुराने अजेंडे पर ही चल रहे हैं

चित्र
पाकिस्तान में चंद दिन पहले वहां के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या कर दी गई। वह पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून (ब्लासफेमी) के गलत इस्तेमाल व इसमें से सजा-ए-मौत की धारा को खत्म किए जाने के प्रमुख पैरोकार थे। बीना सरवर पाकिस्तान की जानी-मानी पत्रकार और डॉक्युमेंटरी फिल्ममेकर हैं। वह इस समय वहां के प्रमुख समचारपत्र जंग ग्रुप में संपादक – स्पेशल प्रोजेक्ट्स (अमन की आशा) हैं। उन्होंने ब्राउन यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी आफ लंदन के अलावा हॉरवर्ड यूनिवर्सिटी से भी पढ़ाई की है। बीना सरवर से पाकिस्तान के मौजूदा हालत पर मैंने बातचीत की है...यह इंटरव्यू नवभारत टाइम्मस अखबार में 20 जनवरी,2011 को प्रकाशित हुआ है और उसकी वेबसाइट पर आनलाइन भी उपलब्ध है... पाकिस्तान में उदारवादी नेता व पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या को आप राजनीतिक या कट्टरपंथियों की करतूत मानती हैं? दोनों ही। जिस व्यक्ति ने उनकी हत्या की है, वह दिखता तो कट्टरपंथी है लेकिन दरअसल इस हत्या का मतलब और मकसद कुछ और भी है। हत्यारे मलिक मुमताज कादरी की ड्यूटी एलीट फोर्स में सिर्फ पंजाब के गवर्नर की सुरक्षा के लिए लगाई गई। हालांकि इससे पहले उसे

तेरा जाना

चित्र
रुपया-पैसा, बड़ा कारोबार होने के बावजूद वह मौत से हार गए। मौत को वह चुनौती नहीं दे सके। हालांकि उन्होंने समय-समय पर न जाने कितनों को चुनौती दी और हर लड़ाई को जीतते रहे लेकिन मौत से हुई इस लड़ाई में उन्हें पराजित होना पड़ा। 3 जनवरी की दोपहर जब मैं जीटी रोड पर ड्राइव कर रहा था और मेरा मोबाइल एसएमएस झेलते-झेलते शायद गुस्से में गरम हो चुका था, तभी एक जानी-पहचानी आवाज ने ध्यान सड़क से कहीं और भटका दिया। उन्हीं की मौत की खबर थी। हतप्रभ...कहां पुष्टि हो, क्या किया जाए। एक मित्र को रिंग किया तो उन्होंने पुष्टि की। तमाम यादें,मुलाकातें एक-एक कर याद आने लगीं। उनका सिगरेट के हर कश के साथ कुछ कहने का बेलौस अंदाज, फिर फैसला लेने का ऐलान होंठ काटकर ऐसे बयान करना मानों इसे बदल पाना मुश्किल होगा।...कुछ गलत फैसले, कुछ सही फैसले... पता नहीं उनकी नेतृत्व करने की क्षमता से मैं इस कदर क्यों प्रभावित था कि मित्र लोग इसे चाटुकारिता तक मानते रहे। हालांकि उनसे मुझे निजी लाभ या अन्य किसी तरह का लाभ कभी नहीं मिला। लेकिन जिस तरह कंपनी की बैठकों में वह मेरी ईमानदारी का प्रचार करते तो मुझे लगता कि इतना बड़ा पूंजीपत