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तुझको मिर्ची लगी तो मैं क्या करूं

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वैसे तो नीचे वाला लेख मैंने यह सोचकर लिखा था कि इसकी भावनाओं को आप लोग अच्छी तरह समंझेंगे। पर कुछ साथी कमेंट देने के दौरान भटक गए या उन्हें बात समझ में नहीं आई। इस लेख पर आए सभी कमेंट में से दो लोगों के कमेंट पर मैं भी कुछ कहना चाहता हूं। हालांकि इन दोनों लोगों ने अपनी असल पहचान छिपा रखी है और कोई इनका असली नाम नहीं जानता। एक साहब कॉमन मैन बनकर और एक साहब ने नटखट बच्चा के नाम से यहां कमेंट करके गए हैं। इनका कहना है कि मुसलमान लोग सिमी की निंदा नहीं कर रहे हैं। यह अत्यंत ही सफेद झूठ है। तमाम मुस्लिम नेताओं ने और आम मुसलमानों ने ऐसे तमाम संगठनों की निंदा की है जो आतंकवाद के पोषक हैं। दिल्ली से लेकर मुंबई में प्रदर्शन हुए हैं। शायद इन दोनों भाइयों ने भी वो खबरें चैनलों और अखबारों में फोटो देखेंगे जिसमें आम मुसलमान अपने दो खास ट्रेडमार्क दाढ़ी और टोपी के साथ नजर आ रहा है। आतंकवाद किसी भी रूप में और किसी भी धर्म का निंदनीय है। सिमी के घटनाक्रम पर अगर इन दोनों महानुभावों ने नजर डाली होगी। बैन तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) पर भी लग चुका है लेकिन कोई आज तक साबित नहीं कर पाया कि यह संगठन