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यौन शुचिता के मिथकों को ध्वस्त करती है 'देह ही देश'....जेएनयू में परिचर्चा

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 ' देह ही देश ' को एक डायरी समझना भूल होगा। इसमें दो सामानांतर डायरियां हैं , पहली वह जिसमें पूर्वी यूरोप की स्त्रियों के साथ हुई ट्रेजडी दर्ज है और दूसरी में भारत है। यह वह भारत है जहाँ स्त्रियों के साथ   लगातार मोलस्ट्रेशन होता है और उसे दर्ज करने की कोई कार्रवाई नहीं होती। सुप्रसिद्ध पत्रकार और सी एस डी एस के भारतीय भाषा कार्यक्रम के निदेशक अभय कुमार दुबे ने   कहा कि हमारे देश में मोलस्ट्रेशन की   विकृतियों की भीषण अभियक्तियाँ निश्चय ही   चौंकाने और डराने वाली हैं , जिनकी तरफ हमारा ध्यान ' देह ही देश ' को पढ़ते हुए जाता है।   जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के   भारतीय भाषा केंद्र में " कड़ियाँ " संस्था द्वारा क्रोएशिया प्रवास पर आधारित प्रो . गरिमा श्रीवास्तव की पुस्तक " देह ही देश " पर आयोजित परिचर्चा में प्रो दुबे ने हिंसा और बलात्कार की घटनाओं पर वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर प्रसारित करने को भीषण सामाजिक विकृति बत

क्या आप शहरी नक्सली हैं...आखिर कौन है शहरी नक्सली

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Urban Naxal यानी शहरी नक्सली ....यह जुमला आजकल बहुत ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। हालांकि कभी मेनस्ट्रीम पत्रिका में सुधांशू भंडारी ने शहरी नक्सलवाद की रणनीति पर लंबा लेख लिखकर इसकी चर्चा की थी। लेकिन यह लेख सिर्फ लेख रहा और नक्सली आंदोलन के प्रणेता इसे कभी अमली जामा नहीं पहना सके। लेकिन राष्ट्रवाद और आवारा पूंजीवाद का प्रचार प्रसार करने वाले अब अपने विरोधियों के लिए शहरी नक्सली या शहरी नक्सलवाद शब्द लेकर लौटे हैं। इस वक्त केंद्र सरकार के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को शहरी नक्सलियों की आवाज बताने का फैशन शुरू हो गया है। अगर आप सरकार के विरोध में हैं तो आप शहरी नक्सली हैं या देशद्रोही हैं।    हाल ही में कोरेगांव भीमा, पुणे और मुंबई में दलितों ने सड़क पर आकर जो आंदोलन किया, उसे बॉलिवुड के फिल्मकार विवेक अग्निहोत्री और उनके खेमे के लोगों ने इसे शहरी नक्लवाद बताया और लिखा। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में कन्हैया कुमार, उमर खालिद, शाहला राशिद ने पिछले दिनों तमाम मुद्दों पर जो आंदोलन किया, उसे भी शहरी नक्सलवाद से जोड़ा गया। हैदराबाद यूनिवर्सिटी, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, इलाहाबाद

...क्योंकि गुरमेहर कौर के विचारों से तुम डरते हो

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(This article first appeared in Nav Bharat Times online Blog Hindivani) किसी को अगर अभी मुगालता है कि भगवा ब्रिगेड से जुड़े संगठन, केंद्रीय मंत्री, पार्टी नेता देश की राष्ट्रीय अस्मिता बचाने के लिए जेएनयू (JNU) के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) में भी कोई महान काम कर रहे हैं तो उन्हें अपनी गलतफहमी दूर कर लेनी चाहिए। ...लेडी श्रीराम ( LSR ) कॉलेज की छात्रा गुरमेहर कौर (#GurmeharKaur) ने अब खुद को सारे प्रदर्शनों से अलग कर लिया है। उसने कहा है कि वो अपने कैंपेन से पीछे हट रही है और जिसका जो भी मन आए करे। ....आप लोगों के लिए यह एक वाक्य हो सकता है लेकिन इसके पीछे छिपी टीस को अपने क्या महसूस किया। ....गुरमेहर ने भगवा ब्रिगेड (SaffronBrigade) की गुंडागर्दी के खिलाफ आवाज उठाई और चंद ट्वीट किए...सिर्फ इतनी ही बात पर उसे रेप की धमकी दी गई...इतनी ही नहीं देश का जिम्मेदार गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू बयान देता है कि आखिर ऐसे लोगों को सिखाता कौन है यानी गुरमेहर ने कुछ लोगों के सिखाने में आकर गुंडागर्दी के खिलाफ आवाज उठाई। कुछ और मंत्री भी गुरमेहर की निंदा करने से पीछे नहीं रहे...। क्या र

एक बेबस मां और हमारी एक्सक्लूसिव खबर

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...उम्मीद है कि जेएनयू के गायब छात्र नजीब की बेबस मां को सड़क पर घसीटे जाने और हिरासत में लिए जाने की तस्वीर आप भूले नहीं होंगे।...लेकिन अब तमाशा देखिए....जो दिल्ली पुलिस नजीब को 26 दिन से नहीं तलाश कर पाई अब वो नजीब को इमोशनली डिस्टर्ब बता रही है। यानी वो अंदर ही अंदर ही किसी बात को लेकर परेशान था, इसलिए खुद ही गायब हो गया। ...यह महान खबर दिल्ली पुलिस के सूत्रों के हवाले से कुछ अखबारों ने छापी है। ऐसे भी कह सकते हैं कि इस मामले में चारों तरफ से फजीहत की शिकार पुलिस ने यह खबर अखबारों में प्लांट करा दी।  एक्सक्लूसिव की तलाश में भटकने वाले रिपोर्टर साथियों ने तह में जाने की कोशिश नहीं की कि इस खबर का मकसद क्या हो सकता है। दिल्ली पुलिस उन तथ्यों पर पर्दा डाल रही है कि नजीब के हॉस्टल में जाकर जिन स्टूडेंट्स या तत्वों ने मारपीट की थी, वो कौन लोग थे। नजीब उस घटना के फौरन बाद से गायब है। इस मामले में सवाल न पूछने वाले पत्रकार मित्र लगातार गलतियां कर रहे हैं। एक दिन पहले दिल्ली पुलिस खबर छपवाती है कि अब वो नजीब को तलाशने के लिए विदेशों की तर्ज पर सारी घटनाओं को रिकंस्ट्रक्ट करे