...क्योंकि गुरमेहर कौर के विचारों से तुम डरते हो

(This article first appeared in Nav Bharat Times online Blog Hindivani)

किसी को अगर अभी मुगालता है कि भगवा ब्रिगेड से जुड़े संगठन, केंद्रीय मंत्री, पार्टी नेता देश की राष्ट्रीय अस्मिता बचाने के लिए जेएनयू (JNU) के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) में भी कोई महान काम कर रहे हैं तो उन्हें अपनी गलतफहमी दूर कर लेनी चाहिए। ...लेडी श्रीराम (LSR) कॉलेज की छात्रा गुरमेहर कौर (#GurmeharKaur) ने अब खुद को सारे प्रदर्शनों से अलग कर लिया है। उसने कहा है कि वो अपने कैंपेन से पीछे हट रही है और जिसका जो भी मन आए करे। ....आप लोगों के लिए यह एक वाक्य हो सकता है लेकिन इसके पीछे छिपी टीस को अपने क्या महसूस किया।




....गुरमेहर ने भगवा ब्रिगेड (SaffronBrigade) की गुंडागर्दी के खिलाफ आवाज उठाई और चंद ट्वीट किए...सिर्फ इतनी ही बात पर उसे रेप की धमकी दी गई...इतनी ही नहीं देश का जिम्मेदार गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू बयान देता है कि आखिर ऐसे लोगों को सिखाता कौन है यानी गुरमेहर ने कुछ लोगों के सिखाने में आकर गुंडागर्दी के खिलाफ आवाज उठाई। कुछ और मंत्री भी गुरमेहर की निंदा करने से पीछे नहीं रहे...। क्या राष्ट्रवादियों की मानसिकता ऐसी ही होती है कि किसी लड़की को रेप की धमकी दी जाए और आप उसकी ही निंदा करते रहें, आप उसके ही सवालों पर सवाल उठाते रहें।...आखिर तुम लोगों को गुरमेहर जैसी लड़कियों और लड़कों के विचारों से इतनी नफरत क्यों हैं...तुम में दम है तो उनके विचारों की काट करो लेकिन जब तुमसे नहीं हो पाता तो तुम पत्थर उठा लेते हो...रेप की धमकी देते हैं। ...इतने कायर हो, और कर भी क्या सकते हो।

...तुम लोग विचारों से डरते हो।...

...लेकिन अब तुम लोग चैन की सांस ले सकते हो। गुरमेहर ने तुम्हारी गुंडागर्दी के खिलाफ अपना कैंपेन वापस ले लिया है।...तुम खुश हो सकते हो...जोर से खिलखिला सकते हो।...लेकिन गुरमेहर कौर के विचार तो नहीं मरे।...तुम उसके विचारों की हत्या तो नहीं कर सके...ठीक उसी तरह कि जैसे गांधी (Gandhi) की हत्या की गई थी लेकिन उनके विचारों की हत्या नाथूराम गोडसे (Godse) की औलादें भी न कर सकीं। ...तो गुरमेहर कौर के विचारों की हत्या यह देश नहीं होने देगा।...कितने गिर गए हो तुम लोग....गुरमेहर के पिता शहीद हुए थे....लेकिन तुम लोगों ने ढूंढ कर निकाला कि वो कूपवाड़ा में एक अभियान के दौरान मारे गए थे....अरे यही वो मानसिकता है जो सियाचिन की बर्फ में दब कर शहीद होने वाले जवानों को शहीद नहीं मानती है।...हद तो यह है कि कुछ गधों ने गुरमेहर के बयान को सेना के सभी शहीदों का अपमान बता डाला....यही वह मानसिकता थी जो उस सैनिक (तेज बहादुर यादव) की पानी वाली दाल में बागवत के बीज खोज रही थी। यही वह मानसिकता थी जो उस सैनिक की फेसबुक (Facebook) प्रोफाइल में धर्म विशेष के नामों को खोज रही थी।

...कितना गिरोगे यार...

...गुरमेहर कौर के विचारों को काटने के लिए...उस सैनिक की पानी वाली दाल में बगावत खोजने के लिए...
...ऐसे विचार गुंडागर्दी के दम पर कुछ देर के लिए चुप्पी लगा जाएंगे लेकिन खत्म नहीं हो पाएंगे।...तुम्हारी गुंडागर्दी से रामजस कॉलेज (#RamjasCollege) के प्रोफेसर प्रशांत चक्रवर्ती के रीढ़ की हड्डी टूट गई। ....लेकिन क्या प्रशांत के विचारों को तुम लोग काट पाओगे....क्या शाहला राशिद को खामोश कर सकोगे। ....ऐसे विचार किसी दीनानाथ की दुकान पर नहीं मिलते और न किसी पुरातन काल में मिलते हैं कि जब कभी हाथी के नाक की सर्जरी की गई होगी। ...ऐसे विचार नॉर्थ कैंपस (#NorthCampus) या जेएनयू के क्लासरूम में पनपते हैं और फिजा में बिखर जाते हैं। ऐसे विचार हैदराबाद यूनिवर्सिटी (HU) या कोलकाता यूनिवर्सिटी से निकलकर देशभर में फैल जाते हैं। ऐसे विचार बीएचयू और एएमयू से भी आते हैं...उनकी रफ्तार तुमसे रोकी न जाएगी।...

...लेकिन तुम लोग विचारों से कंगाल हो...तभी काट भी नहीं कर पाते।...इतने कंगाल हो कि कभी शहीद-ए-आजम भगत सिंह में तो कभी नेताजी सुभाष चंद्र बोस में तो कभी राम प्रसाद बिस्मिल में अपने तथाकथित विचारों की समानता खोजते हो।...फिर भी खोज नहीं पाते।...अरे, बेवकूफो ये लोग गढ़े गए प्रतीक नहीं हैं।....इन्हीं किसी सरकारी योजना का नाम देकर जिंदा नहीं रखा गया है।...ये देश के प्रतीक हैं किसी राजनीतिक पार्टी के नहीं... इनके विचार हमारी धरोहर हैं...तुम बीच में कहां से टपक पड़े। ...तुम इनसे तालमेल करके अपना भगवा चोला नहीं बदल सकते। वो तो भगवा ही रहेगा।...उसके अंदर का तथाकथित विचार भी भगवा रहेगा। ...ऐसे ही तथाकथित विचार तो वीर अब्दुल हमीद को बाकी शहीदों के मुकाबले कमतर आंकते हैं....ऐसे ही तथाकथित विचार तो बाकी अब्दुल हमीदों को अपनी पार्टी का टिकट देते हुए राष्ट्रवादी (Nationalist) हो जाते हैं।...ऐसे ही विचार तो किसी करीम-रहीम के पकड़े जाने पर उन्हें आतंकवादी करार दे देते हैं।...ऐसे ही विचार तो मध्यप्रदेश में जासूसी का नेटवर्क चलाने वालों को आरोपी मान लेते हैं।

...रोहित वेमुला ने तो विचार फैलाने के बाद खुदकुशी कर ली थी....लेकिन तुम उसके विचारों से इतना डरे कि उसके दलित होने पर ही सवाल उठा डाला।....इतने डरे कि उनके परिवार का दलित (Dalit) स्टेटस तक छिनवा डाला।...तुम्हारे जज...फैसला भी तुम्हारा।...तुम्हारी नजर में रोहित वेमुला कल भी अपराधी था, आज भी है। ...लेकिन रोहित ने जिन बातों को उठाया, क्या उसके विचारों को तुम लोग दफन कर पाए।...रोहित के विचारों का सामना करने की हिम्मत-ताकत तुम लोगों में नहीं है। ...देखों न ....एक रोहित वेमुला जाता है तो कोई गुरमेहर कौर आ जाती है...आज गुरमेहर कौर को चुप कराया है तो कल कोई और आएगा....विचारों का ऐसा सैलाब आएगा कि तुम लोग तिनके की तरह उड़ जाओगे।...
इतिहास गवाह है कि उसने न जाने कितने चे ग्वेरा, सकुरात, अरस्तू और काफ्का के विचारों को जिंदा रखा।...क्योंकि ये लोग भी गढ़े गए प्रतीक नहीं हैं। ...इसलिए गुरमेहर कौर के विचार... प्रशांत चक्रवर्ती और रोहित वेमुला के विचार भी जिंदा रहेंगे....

...और देखो, जब विचारों से कंगाल हो तो दूसरे विचारों से मत टकराओ, उनसे कुछ सीखो।...गुरमेहर कौर जैसी बहादुरों का सम्मान करना सीखो...अबदुल हमीदों को भी जगह दो।...बरेली जाने वाला हर कोई नावेल्टी चौराहे पर दीनानाथ की लस्सी जरूर पीता है। पूरा बरेली शहर दीनानाथ की लस्सी पीता है। क्योंकि दीनानाथ की उस लस्सी जैसी मिठास कहीं नहीं और उसके साथ प्यार मुफ्त मिलता है। लेकिन तुम्हारे तथाकथित विचार किसी और दीनानाथ की दुकान से निकल कर आए हैं, जिनसे देश को खतरा है। उसमें मिठास नहीं जहरीलापन है।

 ...क्या देश तुमको इसी तरह बर्दाश्त कर लेगा...


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