लड़ाई इतनी आसान नहीं है...

...दरअसल, वह शख़्स अपने एजेंडे पर बहुत सधे हुए तरीक़े से आगे बढ़ रहा है। 
बहुत थोड़े होने के बावजूद हम सब बिखरे हुए हैं। ...
उसके रंग बदलते भाषण, हर एक एक्शन उसकी रणनीति का ऐलान करते नज़र आते हैं।...

वह डॉगी के पिल्ले से बात शुरू करता है और कई साल बाद अजान की आवाज़ सुनते ही सेकुलर बन जाता है।...
आप उसके अगले दाँव का अंदाज़ा नहीं लगा सकते।...
हर इवेंट उसके लिए अवसर है।...हर अवसर उसके लिए इवेंट है।...
इवेंट में दिमाग़ है, साज़िश है, ब्रॉन्डिंग है। 

वह रूस का नहीं भारत का ज़ार है। हमारी नई पीढ़ी बेज़ार है।वह ज़ार को नहीं जानती।...शायद अधिकांश ने यह नाम ही न सुना हो...और सुना भी हो तो क्या पता गूगल ने उसे जार- जार में भ्रमित कर दिया हो।...
अपना हर लम्हा वह ज़ार अपने क्रोनी कैपिटलिस्ट गिरोह के लिए जीता है।...
यह क्रोनी कैपटलिस्ट गिरोह उसकी ताक़त है। गिरोह के पास हर तरह की ताक़त है। ज़ार की जान इस गिरोह में क़ैद है।...जब तक गिरोह ताक़तवर है। ज़ार भी ताक़तवर है।...गिरोह की ताक़त घटे या खत्म हो, अब तभी ज़ार भी कमज़ोर होगा।...या खत्म होगा।
यह सब आसान नहीं है।...
हम थोड़े हैं और बिखरे हुए हैं। ज़ार और उसके गिरोह से लड़ने की लड़ाई आसान नहीं है। ...नए तरीक़े खोजने होंगे।...लड़ाई का तरीक़ा बदलना होगा।...






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